पुणे, 30 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (अंनिस) के कार्याध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड के आरोपियों से जब कोर्ट ने पूछताछ की तो आरोपियों ने जवाब दिया कि हमें इस बारे में पता नहीं है तथा सीबीआई ने जो सबूत पेश किए हैं वो झूठे हैं. शरद कलसकर व एड्. संजीव पुनालेकर ने लिखित जवाब दिया. साथ ही वीरेंद्र तावड़े ने कोर्ट में अर्जी के जरिए सीबीआई के विभागीय पुलिस अधिकारी चौहान को कोर्ट में गवाही देने के लिए बुलाने की मांग की. इस मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी. कोर्ट ने बचाव पक्ष से गवाहों की सूची पेश करने को कहा गया है. डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में वीरेंद्र सिंह तावड़े, सचिन अंदुरे, शरद कलसकर और संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे पर आरोप तय किये गये हैं.
इनमेंं से संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे दोनों जमानत पर बाहर हैं. डॉ. दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को महर्षि विट्ठल रामजी शिंदे ब्रिज पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में अब तक सीबीआई की ओर से 20 गवाह पेश किये जा चुके हैं. उनसे जिरह भी की गई. इसमें प्रत्यक्षदर्शी किरण केशव कांबले और विनय केलकर के साथ-साथ ससून के पोस्टमार्टम विभाग के डॉ. अजय तावरे, शिकायतकर्ता नवनाथ रानगट, संजय साडविलकर, सोमनाथ धायड़े और एस.आर. सिंह की गवाही दर्ज की गई. सीबीआई द्वारा तय किये गये सभी गवाहों की गवाही और जिरह पूरी हो चुकी है. डेढ़ महीने बाद गुरुवार को पी.पी. जाधव की अदालत में दाभोलकर हत्याकांड की फिर से सुनवाई हुई. इस बार कोर्ट ने आरोपियों से 300 से ज्यादा सवाल पूछे. अधिकांश सवालों का जवाब आरोपियों ने ‘नहीं, पता नहीं' के रूप में दिया.