भक्तों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ ‌‘घोरात्कष्टात स्तोत्र पठन'

19 Dec 2023 14:01:38
 
mnatra
 
बुधवार पेठ, 18 दिसंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
प.पू. वासुदेवानंद सरस्वती टेम्बे स्वामी द्वारा रचित घोरात्कष्टात स्तोत्र का पुणे के सैकड़ों दत्त भक्तों ने सामूहिक रूप से पाठ किया. श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा.. नर्मदे हर हर.. का जाप और अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त.. के नामघोष ने कै. लक्ष्मीबाई दगडूसेठ दत्त मंदिर परिसर में माहौल भक्तिमय कर दिया. दत्त जयंती समारोह के अवसर पर यह कार्यक्रम बुधवार पेठ में श्री दत्त मंदिर के सामने श्री दत्त कलामंच उत्सव मंडप में कै. लक्ष्मीबाई दगडूसेठ हलवाई दत्त मंदिर ट्रस्ट और अखिल भारतीय त्रिपदी परिवार द्वारा आयोजित किया गया था.
 
इस अवसर पर विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोऱ्हे, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेश गोसावी, अखिल भारतीय त्रिपदी परिवार के प्रमुख प.पू. बाबा महाराज तराणेकर (इंदौर), श्रीमंत दगडूसेठ हलवाई सार्वजनिक गणपति ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सुनील रासने, संजय नामजोशी (ट्रस्टी, योगाभ्यानंद माधवनाथ महाराज संस्थान, इंदौर), त्रिपदी परिवार पुणे शाखा के हरि मुस्तिकर, नागपुर शाखा के राजीव हिंगवे और मुंबई शाखा के अण्णा वडनेरकर भी उपस्थित थे. ट्रस्ट के अध्यक्ष युवराज गाड़वे, कार्यकारी ट्रस्टी डॉ. पराग कालकर, महोत्सव के प्रमुख अक्षय हलवाई, उत्सव के उपप्रधान सुनील रूकारी, ट्रस्टी एड. प्रताप परदेशी, महेंद्र पिसाल, राजू बलकवड़े आदि इस अवसर पर मंच पर उपस्थित थे.
 
इस वर्ष दत्त मंदिर उत्सव का 126वां वर्ष है. दत्त जयंती समारोह का शुभारंभ भजन पाठ के साथ हुआ. इस मौके पर घोरात्कष्टात मंत्रों का जाप कर लोगों के कल्याण की प्रार्थना की गई. डॉ. नीलम गोऱ्हे, प.पू. बाबा महाराज तराणेकर ने अपने विचार व्यक्त किए. युवराज गाड़वे ने कहा, दत्त जयंती के अवसर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सभी देवता उपासक एक साथ आएं और सामूहिक पूजा करें, ऐसा उद्देश्य था. एड. शिवराज कदम जागीरदार ने संचालन किया. कोषाध्यक्ष एड. रजनी उकरंडे ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
 
26 तक सांस्कृतिक कार्यक्रम
महोत्सव के तहत 26 दिसंबर तक मंदिर के सामने श्री दत्त कलामंच में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. रोजाना दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक भजन और शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. ट्रस्ट ने अपील की है कि सभी कार्यक्रमों में श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हों.
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