पुणे बना दुनिया का छठा सबसे भीड़-भाड़ वाला शहर

टॉमटॉम इंडेक्स रैंकिंग-2022 की रिपोर्ट में खुलासा : टू-व्हीलर वाहनों की संख्या भी 45 लाख के करीब पहुंची

    08-Dec-2023
Total Views |
 
pune
 
पुणे, 7 दिसंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
शहर में यातायात की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे नागरिकों को शहर की सड़कों पर भारी यातायात संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वहीं टॉमटॉम ट्रैफिक इंडेक्स रैंकिंग-2022 ने पुणे शहर को दुनिया के 56 देशों के 389 शहरों में छठा सबसे भीड़-भाड़ वाला शहर बताया है. वर्तमान में पुणे में ट्रैफिक के साथ-साथ रोड़रेज की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. आजकल छोटी सी या मामूली बात पर कब बहस हो जाए और यह बहस कब जान पर हावी हो जाए, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. आजकल लोग हर चीज में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, फिर चाहे वह जिंदगी की दौड़ हो या सड़कों की.
 
लोग दूसरों को कभी आगे नहीं जाने देना चाहते फिर चाहे वह सड़कों पर ही क्यों न चल रहे हो. बंड गार्डन से प्रतिदिन आवागमन करने वाले एक यात्री महेश ने बताया कि बंड गार्डन पुल के पास, सुबह और शाम को यातायात से काफी भीड़ रहती है. इस क्षेत्र में किसी भी तरफ कोई पर्याप्त ट्रैफिक सिग्नल नहीं है. आजकल सभी लोग यातायात के नियम तोड़ते हैं, जिससे स्थिति और खराब हो जाती है. हमारी आवागमन संबंधी परेशानियों पर अंकुश लगाने के लिए अधिकारियों और नागरिकों की ओर से प्रयासों की आवश्यकता है. सेव पुणे ट्रैफिक मूवमेंट के निदेशक हर्षद अभ्यंकर ने बताया कि पुणे की सड़कों पर बहुत सारे लोग सीमित संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, न केवल ड्राइविंग स्थान के लिए बल्कि पार्किंग के लिए भी.
 
अब हम संसाधन तो नहीं बढ़ा सकते, लेकिन हम निजी मोटर वाहनों के उपयोग को कम करने का प्रयास जरूर कर सकते हैं. 2017 और 2018 की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पिछले 20 वर्षों में, शहर की आबादी तेजी से निजी परिवहन पर निर्भर हो रही है. शहर की आबादी इन 20 वर्षों में 90 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जिससे यातायात भी 700 प्रतिशत तक बढ़ गया है. पुणे में वाहनों की कुल संख्या मानव आबादी से अधिक हो गई है. मनोचिकित्सक अमित नुलकर ने बताया कि रोडरेज व्यक्तिगत मुद्दों और यातायात समस्याओं का परिणाम हो सकता है. नियम तोड़ने वाले लोग, ट्रैफिक जाम, और लेन काटने वाले लोग इसमें शामिल हो सकते हैं, जिनसे जलन और आक्रामकता उत्पन्न हो सकती है.
 
इसके साथ, अगर कोई पहले से ही अपने निजी जीवन से निराश है, तो उसकी संभावना है कि वह सड़क पर विपरीत परिस्थिति में आक्रामक तरीके से प्रतिक्रिया कर सकता है. आज हमें नहीं पता कौन सा व्यक्ति किस स्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देगा. ऐसा कोई उपकरण नहीं है जो इसके लिए काम कर सके. ऐसा कोई रेटिंग उपकरण नहीं है जो आक्रामकता का सटीक अनुमान लगा सके. हम सबको एक दूसरे को समझने की जरुरत है. संभावित समाधान यह हो सकता है कि जो कोई भी मनोचिकित्सक के पास जा रहा है, और यदि उनकी काउंसलिंग के दौरान यह पहचाना जाता है कि उन्हें गाड़ी चलाते समय गुस्सा आता है तो उन्हें उस समय के लिए ड्राइविंग करने से बचना चाहिए और सार्वजनिक परिवहन का इस्तमाल करना चाहिए.
 
शहर की 62 प्रतिशत सड़कें 9 मीटर से कम चौड़ी
31 मार्च, 2023 तक, पुणे शहर में टू-व्हीलर वाहनों की कुल संख्या 44,87,523 दर्ज की गई थी. 23 नवंबर को, पीपीसीआर (पुणे प्लेटफॉर्म फॉर कोलैबोरेटिव रिस्पांस) ने शहर की बिगड़ती यातायात स्थिति पर चर्चा करने के लिए पुणे यातायात पुलिस से मुलाकात की जिसमें पीपीसीआर के एक सदस्य ने बताया कि शहर की 62 प्रतिशत सड़कें 9 मीटर से कम चौड़ी हैं, जो भारी यातायात प्रवाह वाले कुछ क्षेत्रों में चुनौतियां पैदा करती हैं.