रविवार पेठ, 13 मार्च (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
राजस्थान में रंगों से खेलने के लिए धूलिवंदन का ज्यादा महत्व है. लेकिन पुणे से एकरूप हुआ माहेश्वरी समुदाय दशकों से मराठी संस्कृति में ढलते हुए रंगपंचमी मनाता आ रहा है. उस अवसर पर ‘गोठ' अर्थात सभा मनाई जाती है. माहेश्वरी समुदाय की ओर से समुदाय के सदस्यों के लिए वन भोजन, मनोरंजन आदि जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. माहेश्वरी लोग जो लगभग 30 वर्ष पूर्व तक रविवार पेठ में रहते थे, वे शहर के विस्तार के साथ उपनगरों में बिखर गए हैं. इसलिए समाज की प्रतिष्ठितों ने होली से लेकर रंगपंचमी तक के 6 दिनों में प्रत्येक शाम को एकत्रित होकर उत्सव मनाने का निर्णय लिया था.
एक ओर जहां परिवार व्यवस्था बिखर रही है और घर में बड़ों का स्थान अधीनस्थ होता जा रहा है, ऐसे में सामाजिक एकीकरण महत्वपूर्ण हो जाता है. गोठ एक ऐसी परंपरा है जहां समाज के वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान किया जाता है. गोठ माहेश्वरी समाज के उत्साही आनंदयात्री प्रियम राठी को समर्पित थी. इस वर्ष गोठ को हास्य, फिशपॉड, रास नृत्य, एकपात्रि, गीत, कथावाचन के सुन्दर कार्यक्रम से सजाया गया था.
होली व रंगपंचमी के अवसर पर उपस्थित लोगों ने जमकर रंग-बिरंगे फूलों के साथ त्योहार का आनंद लिया. इस अवसर पर उद्योगपति विट्ठलसेठ मणियार, नंदकिशोर राठी, पुरुषोत्तम लोहिया द्वारा ठाकुरजी की आरती कर गोठ का समापन किया गया. इस संयोजन में उमेश झंवर, सचिन मुंदडा, गोकुल लड्डा, आशा भूतडा, मीनल सोमाणी, गोकुल लाहोटी शामिल हुए. सोनिया भुतडा और निधि नावंदर ने संचालन किया. यह जानकारी समाज के सत्येंद्र राठी ने दी.