वैश्विक स्तर पर ख्याति प्राप्त कर रहे हिमाचल हैंडलूम उत्पाद

    06-Mar-2023
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Handloom 
हिमाचल प्रदेश के बुनकराें ने हथकरघा व हस्तशिल्प के अपने पारम्परिक काैशल से देश-विदेश में राज्य का नाम राेशन किया है. हथकरघा उद्याेग क्षेत्र में प्रदेश की कढ़ाई वाली कुल्लवी तथा किन्नाैरी शाॅल ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी एक अलग पहचान कायम बनाई है.यह जानकारी प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने रविवार काे यहां दी. उन्हाेंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बुनकराें काे प्राेत्साहित करने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं. विभिन्न जागरूकता शिविराें के आयाेजन के साथ-साथ प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है. ये बुनकर कलस्टर विकास कार्यक्रम के विभिन्न घटकाें के माध्यम से भी लाभान्वित किए जा रहे हैं. हथकरघा से संबंधित उपकरण भी बुनकराें के लिए उपलब्ध करवाए जा रहे हैं.
 
उद्याेग विभाग द्वारा प्रदेश तथा अन्य राज्याें में आयाेजित मेलाें तथा प्रदर्शनियाें के माध्यम से विपणन सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है. बुनकराें के उत्पादाें काे व्यापार मेलाें, दिल्ली हाॅट, सूरजकुंड मेलाें इत्यादि राष्ट्रस्तरीय आयाेजनाें में भी व्यापक स्तर पर विपणन की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है. हथकरघा उद्याेग में प्रदेश की प्रमुख सहकारी समितियाें में शामिल ‘हिमबुनकर’ बुनकराें तथा कारीगराें की राज्यस्तरीय संस्था है, जाे कई वर्षाें से कुल्लवी शाॅल तथा टाेपी काे बढ़ावा दे रही है. वर्ष 1944 में भुट्टी बुनकर सहकारी समिति, पंजाब सहकारी समिति लाहाैर के तहत पंजीकृत की गई, जिसे आज भुट्टिकाें के नाम से जाना जाता है. भुट्टिकाे ने कुल्लू की हजाराें महिलाओं काे कुल्लवी शाॅल बनाने की कला में प्रशिक्षण प्रदान किया है. वर्ष 1956 में ठाकुर वेद राम भुट्टिकाे के सदस्य बने तथा इसे पुन: गति प्रदान की. इसके उपरान्त, भुट्टिकाे के अध्यक्ष सत्य प्रकाश ठाकुर ने इस संस्था काे पूरे प्रदेश में संचालित किया.