नई दिल्ली - हीमोफीलिया रोग क्या है समझाइए? ये प्रश्न गूगल पर काफी पूछा जाता है. हीमोफीलिया को हिंदी में अधिरक्तस्त्राव कहा जाता है. यह ब्लीडिंग डिसऑर्डर है. यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति के शरीर में खून ठीक से जमता नहीं है. विशेषतौर पर चोट लगने या सर्जरी आदि में आमतौर पर क्लॉटिंग होती है और खून का बहाव रुक जाता है. लेकिन हीमोफीलिया में ब्लड क्लॉटिंग नहीं होती है. वैसे बता दें कि हमारे रक्त में कई ऐसे प्रोटीन होते हैं, जो खून को जमने में मदद करते हैं. इन्हें फैक्टर्स कहा जाता है. जिन लोगों को हीमोफीलिया की समस्या होती है उनमें फैक्टर VIII (8) या फैक्टर IX (9) की कमी होती है. हीमोफीलिया की समस्या कितनी गंभीर है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि ब्लड में कितने फैक्टर्स हैं. किसी के शरीर में जितने कम फैक्टर्स होंगे, उतनी ही ज्यादा उनमें ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है. यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो बन सकती है.
हीमोफीलिया के लक्षण -
किसी चोट या कट से बहुत ज्यादा खून बहना.
किसी सर्जरी या दांतों के इलाज के दौरान अतिरिक्त खून बहना, शरीर पर लंबे और गहरे नील पड़ना.
वैक्सीन लगने पर भी खून का अनियंत्रित बहाव होना, शरीर के जोड़ों में दर्द, सूजन और ठोसपन आना.
मल-मूत्र में खून आना, बिना किसी कारण नाक से खून बहना.
इलाज -
व्यक्ति की नस में सुई की मदद से एक ट्यूब लकाकर क्लॉटिंग फैक्टर को बदला जाता है. जब ब्लीडिंग हो रही हो तो उसके इलाज के लिए इस रिप्लेसमेंट थेरेपी को किया जा सकता है.
डेस्मोप्रेसिन, इमिसिजुमैब (हेसलिब्रा), क्लॉट-प्रिजर्विंग मेडिकेशन, फाइब्रिन सीलैंट्स, फिजिकल थेरेपी, इसके अलावा माइनर कट के लिए फर्स्ट एड.