शिवाजीनगर, 8 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
कला जीवन को समृद्ध बनाती है और लोगों को निपुण बनाती है, इसलिए हर किसी को जीवन में कम से कम एक कला का ज्ञान होना चाहिए. जज के पास भी बहुत कला होती है; मुख्य जिला न्यायाधीश श्याम चांडक ने विचार व्यक्त किया कि इनका विकास किया जाए. वे जिला न्यायाधीश सुनील वेदपाठक द्वारा बनाए गए मयूर चित्रों की प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे. प्रदर्शनी का उद्घाटन चित्रकार और मूर्तिकार प्रमोद कांबले और चित्रकार मुरली लाहोटी ने किया. प्रदर्शनी रविवार शाम 6 बजे तक सभी के लिए खुली है.
सुनील वेदपाठक ने प्रस्तावना में कहा कि, वे कैसे वो मोर पेंटिंग के प्रति आकर्षित हुए और यह कला उनके अंदर कैसे विकसित हुई इसके बारे में उन्होंने विस्तार से जानकारी दी. प्रमोद कांबले ने कहा कि सुनील वेदपाठक की पेंटिंग इस क्षेत्र के कई लोगों को कला को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यदि ये सभी चित्र एक पुस्तक बन जाएं तो यह बहुत से लोगों तक पहुंचेगी. उनकी हर तस्वीर में विविधता है. कला उच्च गुणवत्ता वाले शिल्प कौशल की अभिव्यक्ति है. मुरली लाहोटी ने कहा, कलाकार अपनी कला के माध्यम से आम आदमी की अदृश्य दुनिया को चित्रित करता है. अगर कला की सच्चे मन से पूजा की जाए तो यह कलाकार को जीवित रखती है और उसे हमेशा काम करने की ऊर्जा देती है.
सुनील वेदपाठक की कला उच्चतम क्रम की कलात्मक रचनात्मकता की अभिव्यक्ति है. उनके चित्रों में विविधता दिखाई देती है और वे अपनी कला को एक ही विषय मयूर को समर्पित करते हैं. कार्यक्रम में जिले के न्यायाधीश, पूर्व राजस्व आयुक्त उमाकांत दांगट, पूर्व मुख्य जिला न्यायाधीश दिलीप देशमुख, पूर्व पुलिस अधिकारी भगवंतराव मोरे, डिप्टी कलेक्टर संजय पवार, डॉ. केएच संचेती, भाऊसाहेब जाधव, पुष्कराज पाठक, गंगाराम पाटिल उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन न्यायाधीश जागृति भाटिया ने किया तथा सुनील वेदपाठक ने आभार व्यक्त किया.