उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा

20 Jun 2023 14:38:21
 

jagannath 
 
अक्षय तृतीया से रथ यात्रा की तैयारी प्रारंभ हो जाती है. 19 जून को ‌‘नव यौवन नेत्र उत्सव' संपन्न हुआ जब भगवान्‌‍ को पंद्रह दिन के एकांतवास के बाद काजल,चन्दन,तिलक लगाया जाता है और वे अगले दिन की रथ यात्रा के लिये तैयार होते हैं. भगवान्‌‍ जगन्नाथ,बलदेव और देवी सुभद्रा को गर्भगृह से अपने रथों तक एक भव्य जुलूस में शंख व घंटों के बीच ले जाया जायेगा. अनुष्ठान को ‌‘ढाडी पहन्डी' कहा जाता है. पुरी के राजा गजपति महाराज सोने की झाडू से रथ मंडप और सड़क की सफाई करके छेरा-पहंरा की परंपरा निभाते हैं. तीन रथों को रस्सियों से लाखों श्रद्धालु असीम श्रद्धा और आस्था से खींचते हुए ले जायेंगे और 21 जून संध्या को तीन किलोमीटर दूर स्थित श्री गुंडीचा मंदिर पहुंचेंगे. गुंडीचा मंदिर पहुंचकर भगवान एक दिन रथ पर ही रहते हैं. अगले दिन भगवान मंदिर में प्रवेश करते हैं. और अपनी मौसी के घर सात दिनों तक रहते हैं. पांचवें दिन लक्ष्मीजी भगवान्‌‍ को लेने गुंडीचा मंदिर चुपचाप पहुंचती हैं, वे यह सोचतीं हैं कि भगवान तो तीन दिन में वापस आने वाले थे.
 
मंदिर में भगवान्‌‍ से उनकी मुलाकात नहीं हो पाती है क्योंकि वे भक्तों के बीच बहुत व्यस्त रहते हैं. रुष्ट लक्ष्मीजी रथ के एक पहिये को चोट पहुंचाती हैं. इसे ‌‘हेरा पंचमी' का अनुष्ठान कहते हैं और यह 24 जून को है. भगवान्‌‍ की वापसी यात्रा 28 जून को आरम्भ होगी. इसे ‌‘बहुड़ा यात्रा' कहते हैं. लौटने से पहले भगवान की मौसी के यहाँ ‌‘पोडा पीठा' खाने की परंपरा है. पोड़ा पीठा चावल, गुड़, नारियल और दाल से बनी मिठाई है. जगन्नाथ मंदिर वापस पहुंचने के बाद भी सभी प्रतिमाएं रथ में ही रहती हैं. 29 जून को ‌‘सुनबेहसा' अनुष्ठान होगा जब भगवान्‌‍ को सोने के आभूषणों से सुसज्जित किया जायेगा. 30 जून को रथों पर ही बर्तनों में पेय का प्रसाद चढ़ाया जायेगा. अगले दिन एकादशी 1 जुलाई को भगवान्‌‍ रुष्ठ लक्ष्मीजी को रसगुल्लों की भेंट अर्पित कर मनाएंगे, तब लक्ष्मीजी मंदिर के द्वार खोलेंगी और भगवान्‌‍ मंदिर में प्रवेश करेंगे. विधिवत स्नान और मंत्रोच्चार के बीच देव विग्रहों को पुनःमंदिर में प्रतिष्ठित किया जाता है. इस अनुष्ठान को ‌‘नीलाद्री बिजे' कहतें हैं और इसी के साथ भगवान्‌‍ जगन्नाथ की अद्भुत रथ यात्रा संपन्न होती है.
                                                                                     
 
पुरी के भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा जगत प्रसिद्ध है. स्कन्द-पुराण समेत अनेकों पुराणों में हमें वर्णन मिलता है. हर वर्ष भगवान मंदिर से बाहर आ कर भक्तों को दर्शन देते हुए अपनी मौसी के यहां कुछ दिनों के लिये जाते हैं. इस वर्ष रथ यात्रा 20 जून को रात्रि 10.04 को शुरू होगी.
 
                                                                                                                                                            - छवि अनुपम, पुणे 
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