पुणे, 26 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
पुणे मनपा की सीमा 519 स्क्वेयर किमी हो गई है तथा शहर की आबादी 60 लाख तक पहुंच गई है. वर्तमान जन्मदर और स्थानांतरण की गति को देखते हुए वर्ष 2047 तक जनसंख्या 1 करोड़ तक पहुंच जाएगी. हालांकि मनपा द्वारा भले ही समान जलापूर्ति योजना क्रियान्वित की जा रही हो, लेकिन शहर के 10 फीसदी आवासीय इलाकों में अभी से ही पीने के पानी की समस्या है और भविष्य की आबादी के बारे में सोचा जाए तो पानी का नया विकल्प न खोजने पर आधे पुणे वासियों पर पानी का संकट उत्पन्न होने की आशंका है. मनपा पर्यावरण रिपोर्ट में शहर में उपयोग में लाई जा रही जमीन, जनसंख्या, सड़क और वाहन की मात्रा, ठोस कचरा और सीवेज प्रबंधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, जलापूर्ति, पार्क, जलवायु, पर्यावरण की वर्तमान स्थिति, नगर पालिका द्वारा कार्यान्वित की जाने वाली योजनाएं और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला गया है.
इस संबंध में दिए गए आंकड़ों से भविष्य के शहर पुणे की तस्वीर नजर आती है. मनपा सीमा में 23 गांवों को शामिल करने के बाद क्षेत्रफल बढ़ा है. शामिल गांवों की विकास योजना पर काम चल रहा है और वहां एकीकृत विकास नियमावली भी लागू कर दी गयी है. पुणे शहर में शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के कारण बड़े पैमाने में रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं. इसलिए रोजगार के लिए बाहर से आने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. कंस्ट्रक्शन क्षेत्र के भी अच्छे दिन आ गए हैं. शहर में भौगोलिक स्थिति के कारण पानी सप्लाई में बाधा आ रही है. लगभग 10 प्रतिशत आबादी पानी की कमी से परेशान है. भविष्य में उपनगरों और सम्मिलित गांवों में बड़े पैमाने पर विकास के संकेत दिख रहे हैं और इस आबादी तक पानी पहुंचाना एक बड़ी चुनौती होगी. शहर के विस्तार और भविष्य की जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में सड़कों की संख्या अपर्याप्त है. इसी तरह वाहनों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है और 35 लाख तक पहुंच गयी है. सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के साथ पीएमपीएमएल को मजबूत करने के लिए नई बसें खरीदने की प्रक्रिया जारी है. साथ ही नई मेट्रो लाइनें शुरू करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. यह रिपोर्ट भविष्य में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है.
पर्यावरण रिपोर्ट की मुख्य बातें
- शहर में पक्षियों की 263 प्रजातियां पाई गई हैं.
- शहर में लगभग 2200 कचरा (950 टन गीला कचरा) उत्पन्न होता है और 100 प्रतिशत कचरे पर प्रक्रिया की जाती है. ठोस कचरा प्रबंधन एवं प्लास्टिक उपयोग के संबंध में लगातार जन जागरूकता पैदा की जा रही है.
- 2022 में शिवाजीनगर और हड़पसर इलाकों में अधिक वायु प्रदूषण दर्ज किया गया.
- चौबीस घंटे जलापूर्ति योजना के 1550 किमी में से 830 किमी तक का काम पूरा. ट्रांसमिशन कार्य के बीच 115 किमी. 73 किमी में से 73 किमी का काम पूरा हो चुका है. 1,19,746 वाटर मीटर लगाए गए हैं.
- कंस्ट्रक्शंस के लिए एसटीपी प्लांट से प्रोसेस किये हुण पानी का उपयोग करना अनिवार्य कर दिया गया है.
- शहर में बिजली की खपत 4463.59 मिलियन यूनिट से बढ़कर 4982.89 मिलियन यूनिट हो गई.
- कार्बन उत्सर्जन, ग्रीन हाउस गैस और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए शहर का क्लाइमेट एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा. इस उद्देश्य के लिए विशेषज्ञों से युक्त एक क्लाइमेट एक्शन सेल की स्थापना की जा रही है.
- मेरी वसुंधरा प्रतियोगिता में शहर को तीसरा स्थान.