कॉलेज में आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा भी जरुरी

प्रसिद्ध लेखिका रेणु अग्रवाल ने नई पीढ़ी के निर्माण पर व्यक्त की स्पष्ट राय

    08-Jan-2024
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पुणे, 7 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
दुनिया भर में हर माता-पिता अपनी संतान को सफल और स्वस्थ जिंदगी देना चाहते हैं. हमारे यहां बच्चों के संस्कार घर से स्कूल और फिर कॉलेज जाते-जाते कहीं गुम हो जाते हैं. हमारे स्कूलों में पहली से 10वीं कक्षा तक चाहे वह सीबीएसई हो या स्टेट बोर्ड या फिर आईसीएसई बोर्ड हो हर स्कूल में नैतिक शिक्षा या फिर वैल्यू एजुकेशन विषय पढ़ाया जाता है. हालांकि इस विषय पर विद्यार्थी ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. फिर भी यह विषय कक्षा पहली से 10वीं तक के स्कूलों में पढ़ाया जाता है लेकिन मेरा मानना यह है कि क्या इस नैतिक शिक्षा की जरुरत सिर्फ स्कूल तक ही है क्या? क्या स्कूल से कॉलेज में जाने के बाद इसकी जरुरत समाप्त हो जाती है? जबकि कॉलेज में नैतिक शिक्षा की जरुरत सबसे ज्यादा है. यह स्पष्ट राय प्रसिद्ध लेखिका प्रो. रेणु अग्रवाल ने व्यक्त की.
 
उन्होंने कहा यही वह समय है जब युवक-युवती के दिमाग में कई सवाल आते हैं तथा उनके गलत संगत में जाने की संभावना होती है. वर्तमान में हमारा युवा पता नहीं किस एकेडमिक स्ट्रेस में होता है, आए दिन विद्यार्थियों के द्वारा आत्महत्या करने की खबरें आती है. क्या आज से 50-60 साल पहले किसी ने डॉक्टर या इंजीनियर की पढ़ाई नहीं की.पहले भी बच्चे गुरुकुल आवास में रहकर पढ़ाई करते थे, उस समय आज से भी ज्यादा कठिन समस्याओं का सामना उन्होंने किया लेकिन कभी भी स्टूडेंट सुसाइड, एकेडमिक स्ट्रेस तथा पीयर प्रेशर जैसी समस्याएं उनके सामने नहीं थीं, लेकिन आज यह समस्या घर- घर, कॉलेज-कॉलेज पहुंच गई है. यह समस्या अपना विकराल रुप धारण करे उससे पहले इसका हल ढूंढना चाहिए.
 
हमें अपनी तरफ से छोटी-छोटी कोशिश कर आजमाना होगा. आखिर कार यह हमारी युवा पीढ़ी के भविष्य का सवाल है. इस समस्या का एक ही हल हो सकता है, कि हम अपने बच्चों को नैतिक शिक्षा या वैल्यू एजुकेशन कॉलेज तक अनिवार्य करें. इस विषय पर ज्यादा से ज्यादा चर्चा करें. जब तक विद्यार्थी इस विषय को उत्तीर्ण नहीं कर लें उन्हें डिग्री प्रदान नहीं की जाए. अगर देश में नैतिक शिक्षा का विषय अनिवार्य हो गया तो विद्यार्थी अपना अकेडमिक स्ट्रेस खुद संभाल सकते हैं. इसके साथ ही आध्यात्मक का जोड़ भी शिक्षा में होगा तो उनमें सेल्फ कांफिडेंस बढ़ेगा. समय रहते हमने उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले युवाओं को सही रास्ता नहीं दिखाया और कॉलेजों में नैतिक शिक्षा आरंभ नहीं की तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है.