पुणे, 8 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
कुख्यात गुंडे शरद मोहोल की हत्या के मामले में गिरफ्तार 2 वकीलों की पुलिस हिरासत 11 जनवरी तक बढ़ा दी गई है. एड्. रवींद्र वसंतराव पवार (उम्र 40 वर्ष, निवासी नांदेगांव, तहसील मुलशी) व एड्. संजय रामभाऊ उड़ान (उम्र 43 वर्ष, निवासी भुसारी कॉलोनी, कोथरूड) इन वकीलों के नाम हैं. गौरतलब है कि आरोपियों ने शुक्रवार की दोपहर कोथरूड के सुतारदरा इलाके में मोहोल पर गोलीबारी करके उसे मौत के घाट उतारा था. इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें से 2 वकीलों को 8 जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था. सोमवार को पुलिस हिरासत खत्म होने के कारण उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां उनकी पुलिस कस्टडी बढ़ाई गई. कोर्ट में जांच अधिकारी सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर हेमंत पाटिल ने बताया कि 15 दिसंबरः 2023 को शरद मोहोल हत्याकांड के 6 आरोपी एक साथ मिले थे.
इस मुलाकात के बाद आरोपियों ने वकील रवींद्र पवार को फोन किया था. 5 जनवरी को वारदात के बाद मुन्ना पोलकर और उसके साथी सातारा रोड से भाग रहे थे. इसी दौरान खेड़ शिवापुर टोल नाके के सामने आरोपी वकील रवींद्र पवार और संजय उड़ान उनसे मिले. तब दोनों वकीलों ने आरोपियों के साथ एक से डेढ़ घंटे तक 15 किलोमीटर का सफर किया. इसके बाद सभी आरोपी सातारा रोड पर एक पेट्रोल पंप पर रुके थे. उस वक्त आरोपियों से मिलने उनके परिजन आए थे. उनमें से एक रिश्तेदार ने आरोपियोंं को एक नया सिम कार्ड दिया. यह सब आरोपी वकीलों के सामने ही चल रहा था. आरोपियों और दोनों वकीलोंं को पुलिस ने रंगेहाथों पकड़ा. आरोपियों के पास से हथियार और नकदी बरामद की गई है.
साथ ही सरकारी वकील नीलिमा इथापे यादव ने कोर्ट को बताया कि इस अपराध की जांच में प्रगति हुई है. शरद मोहोल की हत्या के बाद आरोपियों ने पवार और उड़ान से संपर्क किया था. अगर आरोपी सरेंडर करना चाहते थे तो उन्होंने सिम कार्ड क्यों बदला? इसके अलावा वे पुणे की विपरीत दिशा में यात्रा क्यों कर रहे थे? रवींद्र पवार और संजय उड़ान आरोपियों को वास्तव में कहां ले जाने वाले थे और कहां छिपाने वाले थे? इन सवालों को लेकर गहन जांच करना जरूरी है इसलिए इन दोनों को 5 दिन की पुलिस हिरासत दी जाए. आरोपी वकीलों की ओर से एडवोकेट सुधीर शाह व एडवोकेट एन.डी. पाटिल ने पक्ष रखा. एड. सुधीर शाह ने कोर्ट को बताया कि जब शरद मोहोल की हत्या हुई तब एड. पवार व एड. उड़ान वहां मौजूद नहीं थे. आरोपी पवार और उड़ान के सिर्फ क्लाइंट थे. इसके चलते आईपीसी 302 जैसी धाराएं पवार और उड़ान पर लागू नहीं होतीं. उन्होंने अदालत से उन्हें जमानत देने की मांग की. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने दोनों आरोपी वकीलों की पुलिस हिरासत 11 जनवरी तक बढ़ा दी