नई दिल्ली, 30 सितंबर (आ. प्र.)
समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं के केंद्रीय संगठन, इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी ने कहा है कि उसके सदस्यों ने कुल विज्ञापन कारोबार 16,472.40 करोड़ बताया है, जो वर्ष 2023 में 2022 के 14,892.34 करोड़ से 10.6 प्रतिशत अधिक है. विशेषज्ञों का मानना है कि प्रिंट मीडिया देश में तीन प्रमुख विज्ञापन माध्यमों में से एक है, तथा यह ब्रांडों तक पहुंच और पैमाने की प्रभावशीलता प्रदान करता है. आईएनएस वार्षिक रिपोर्ट वित्त वर्ष 24 के अनुसार विज्ञापन राजस्व के विभिन्न स्रोतों में से मान्यता प्राप्त विज्ञापन एजेंसियों ने अपने सदस्यों के विज्ञापन व्यवसाय पर अपना दबदबा कायम रखा है. अंग्रेजी दैनिकों का विज्ञापन राजस्व 6.23 प्रतिशत बढ़कर 3433 करोड़ रुपये हो गया, जबकि भारतीय भाषा के दैनिकों का राजस्व लगभग 2 प्रतिशत बढ़कर 2023 में 4496.52 रुपये हो गया. पीडब्ल्यूसी इंडिया के सीडीओ और टीएमटी लीडर मनप्रीत सिंह आहूजा ने कहा कि प्रिंट मीडिया धीरे-धीरे ठीक हो रहा है. कोविड-19 से पहले के स्तर की ओर बढ़ रहा है, क्षेत्रीय भाषा के प्रकाशन अन्य क्षेत्रों की तुलना में तेजी से वापसी कर रहे हैं.
ऑटो, रियल एस्टेट, बीएफएसआई और टिकाऊ क्षेत्रों से विज्ञापन खर्च में वृद्धि ने इस वृद्धि को बढ़ावा दिया है.भारत में विज्ञापन माध्यम के रूप में प्रिंट मीडिया के निरंतर प्रभुत्व के कुछ प्रमुख कारणों को रेखांकित करते हुए मैडिसन वर्ल्ड के अध्यक्ष सैम बलसारा ने कहा, बड़ी संख्या में श्रेणियां हैं, जैसे ऑटोमोबाइल, दोपहिया वाहन, टायर, मोबाइल फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक्स, ई-कॉमर्स, खुदरा, आभूषण और मनोरंजन, जो मानते हैं कि स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय समाचार पत्रों में पहले पूरे पृष्ठ का विज्ञापन एक प्रभावशाली ब्रांड लॉन्च का एक आवश्यक घटक है. हालांकि प्रिंट का उपयोग प्रति संपर्क लागत के आधार पर महंगा है, लेकिन बड़े पैमाने पर पाठकों की वजह से एक ही दिन में बड़ा और त्वरित प्रभाव पैदा हो सकता है. अन्य माध्यमों को अपनी प्रकृति के कारण पहुंच बनाने में समय लगता है. उन्होंने कहा कि बहुत सारे सफल स्थानीय एफएमसीजी ब्रांड भी हैं जो अपने ब्रांड की प्रमुखता बनाए रखने के लिए निरंतर आधार पर स्थानीय और क्षेत्रीय प्रिंट माध्यम का उपयोग कर रहे हैं.
टैम मीडिया रिसर्च की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 की पहली छमाही में प्रति प्रकाशन विज्ञापन स्थान में 2023 की इसी अवधि की तुलना में 5 प्रतिशत की वृद्धि होगी. बैंग इन द मिडल के सह-संस्थापक और प्रबंध भागीदार नरेश गुप्ता ने कहा कि प्रिंट विज्ञापन ब्रांडों को पैमाने और तत्काल पहुंच हासिल करने में मदद करते हैं. उन्होंने कहा कि यह लंबी कहानी कहने का भी मौका देता है. उन्होंने कहा कि डिजिटल-फर्स्ट ब्रांड भी प्रिंट विज्ञापनों पर जोरदार निवेश करते देखे जा रहे हैं. ब्रांड रणनीतिकार और अनुभवी विज्ञापनकर्ता अम्बी परमेेशरन ने कहा कि डी2सी ब्रांड्स ने महसूस किया है कि अगर वे अपना सारा खर्च परफॉरमेंस मार्केटिंग पर लगाते हैं तो एक खास समय के बाद उनके ब्रांड को प्रीमियम मिलना बंद हो सकता है. इसलिए जब वे परफॉरमेंस मार्केटिंग का उपयोग करके एक निश्चित स्तर का पैमाना हासिल कर लेते हैं, तो डी2सी ब्रांड प्रिंट और टीवी माध्यमों पर विज्ञापन खर्च करके ब्रांड मार्केटिंग में पैसा लगाना शुरू कर देते हैं.