दिवाली की मिठाई-नमकीन 15 फीसदी महंगी

24 Oct 2024 17:13:05
 
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गुलटेकड़ी, 23 अक्टूबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
दिवाली खुशियों का त्यौहार है. जिस प्रकार रोशनी, पटाखों, सजावट और कपड़ों में आनंद है, उसी प्रकार स्वादिष्ट मिठाई-नमकीन भी आनंद का कारण बनता है. खासकर इसमें मोतीचूर या सूजी के लड्डू, चिवड़ा, अनारसे, शंकरपाली, करंजी, शेव और स्नैक्स जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं. इस मिठाई-नमकीन को तैयार करने के लिए आवश्यक मुख्य सामग्रियों में तेल, सूजी, मैदा और आटा की कीमतें इस साल काफी बढ़ गई हैं. इसलिए इस साल का दिवाली फराल करीब 15 प्रतिशत महंगा होगा. कई व्यापारी बताते हैं कि पहले हमारे कई ग्राहक पुणे के बाजार में 400 किलोमीटर दूर से आते थे, अब वो बात नहीं रही. अब स्थानीय ग्राहक ही यहां बड़ी संख्या में आते हैं.  
 
घर पर मिठाई-नमकीन बनाने में रुचि कम
कई व्यापारियों का कहना है कि पहले के समय में दिवाली के दौरान ही कुछ दिनों में कुछ खास पदार्थ मिठाई-नमकीन के रुप में खाए जाते थे. इसलिए उसकी राह देखी जाती थी. लेकिन, वर्तमान में ऐसे खाद्य पदार्थ अब साल भर कहीं भी आसानी से उपलब्ध हैं और खाए जा सकते हैं. इसलिए, दिवाली के दौरान मिलने वाले मिठाई-नमकीन की उतनी राह नहीं देखी जाती. लेकिन फिर भी दिवाली पर फराल की डिमांड रहती है. इसे घर पर तैयार करने की मात्रा काफी कम हो गई है. हालांकि, रेडीमेड फराल किट की अच्छी मांग है.
 
 
 चीनी की कीमतों में खास बदलाव नहीं
 
चीनी की कीमत में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है. इस वर्ष की रेंज लगभग पिछले वर्ष के समान ही है. दिवाली के चलते फराल, स्वीट मार्ट, आइसक्रीम और मिठाई निर्माताओं की ओर से चीनी की मांग बढ़ गई है. क्योंकि दिवाली की छुट्टियों के दौरान इन सभी वस्तुओं की बिक्री अधिक होती है. उपभोक्ता मुख्य रूप से रिफाइंड शक्कर की मांग कर रहे हैं. वे अच्छी गुणवत्ता वाली चीनी चाहते हैं. दिवाली के लिहाज से पिठ्ठी चीनी की मांग भी अच्छी है. फिलहाल सरकार इथेनॉल पर ज्यादा प्रोत्साहन दे रही है. स्वाभाविक रूप से, शक्कर मिलें शक्कर की तुलना में इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए अधिक इच्छुक हैं. फिलहाल शक्कर की मांग अच्छी है, आपूर्ति भी सुचारू है. लेकिन चूंकि इस साल शक्कर मिलें देर से शुरू होंगी, इसलिए नवंबर-दिसंबर महीने में चीनी की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है. इसलिए ऐसा लग रहा है कि कीमतें थोड़ी बढ़ सकती हैं.
- ईश्वर नहार, मोतीलाल एंड संस, मार्केटयार्ड
 
 
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दिवाली के दौरान बिक्री तीन गुना बढ़ती है
 
हम लगभग 46 वर्षों से इस व्यवसाय में हैं. दिवाली में मिठाई-नमकीन एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है. मिठाई-नमकीन बनाने के लिए चार मुख्य सामग्रियों की आवश्यकता होती है: सूजी, मैदा, आटा और बेसन. हम इसी व्यवसाय में हैं. फिलहाल आपूर्ति और मांग सुचारु है. पिछले कुछ वर्षों में ग्राहकों द्वारा तैयार मिठाई-नमकीन खरीदना पसंद किया जा रहा है, जिससे जो मिठाई-नमकीन तैयार करते हैं और बेचते हैं, उन ग्राहकों में वृद्धि हुई है. रेडी-टू-ईट या इंस्टेंट फूड के प्रति बढ़ते रुझान के कारण छोटी पैकेजिंग में खाद्य पदार्थों की अधिक बिक्री हुई है. पिछले साल की तुलना में आटा, रवा और मैदा करीब दो सौ रुपये प्रति क्विंटल महंगा हो गया है. बेसन की कीमतों में करीब 1,300 रुपये का इजाफा हुआ है. पहले दिवाली के दौरान ये चारों खाद्य पदार्थ बड़ी मात्रा में बिकते थे. इसलिए, दिवाली के दौरान होनेवाली बिक्री की मात्रा में कमी आई है, फिर भी 10 से 20 प्रतिशत बिक्री में बढ़ोतरी हर साल रहती है.
 - आशीष कुवाड, कुवाड ब्रदर्स, मार्केटयार्ड
 
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दिवाली के दौरान बिक्री में 10 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी
हम लगभग 46 वर्षों से इस व्यवसाय में हैं. दिवाली में मिठाई-नमकीन एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है. मिठाई-नमकीन बनाने के लिए चार मुख्य सामग्रियों की आवश्यकता होती है: सूजी, मैदा, आटा और बेसन. हम इसी व्यवसाय में हैं. फिलहाल आपूर्ति और मांग सुचारु है. पिछले कुछ वर्षों में ग्राहकों द्वारा तैयार मिठाई-नमकीन खरीदना पसंद किया जा रहा है, जिससे जो मिठाई-नमकीन तैयार करते हैं और बेचते हैं, उन ग्राहकों में वृद्धि हुई है. रेडी-टू-ईट या इंस्टेंट फूड के प्रति बढ़ते रुझान के कारण छोटी पैकेजिंग में खाद्य पदार्थों की अधिक बिक्री हुई है. पिछले साल की तुलना में आटा, रवा और मैदा करीब दो सौ रुपये प्रति क्विंटल महंगा हो गया है. बेसन की कीमतों में करीब 1,300 रुपये का इजाफा हुआ है. पहले दिवाली के दौरान ये चारों खाद्य पदार्थ बड़ी मात्रा में बिकते थे. इसलिए, दिवाली के दौरान होनेवाली बिक्री की मात्रा में कमी आई है, फिर भी 10 से 20 प्रतिशत बिक्री में बढ़ोतरी हर साल रहती है.
- सुरेंद्र मित्तल, लक्ष्मी ट्रेडर्स, मार्केटयार्ड
 
 
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दो बड़े युद्ध और इम्पोर्ट ड्यूटी से तेल के दाम बढ़े
तेल के लिहाज से इस साल की दिवाली काफी महंगी रहने वाली है, क्योंकि, तेल के दाम काफी बढ़ गए हैं. सरकार द्वारा आयात शुल्क 20 फीसदी बढ़ा दिए जाने से तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इसके अलावा दुनिया में दो बड़े युद्ध भी चल रहे हैं, जिसका प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ा है. हाल के दिनों में बायोडीजल के उत्पादन के लिए पाम तेल का उपयोग बढ़ गया है. परिणामस्वरूप, खाद्य उत्पादों में उपयोग किए जाने वाले पाम तेल की मात्रा कम हो गई है. खपत के लिए इस तेल की उपलब्धता कम होने के कारण तेल की आपूर्ति कम हो गई है और कीमतें बढ़ गई हैं. दिवाली का सीजन होने के कारण आपूर्ति और मांग सुचारू है. आयात शुल्क बढ़ने से कीमतें बढ़ी हैं. यह प्रवृत्ति भविष्य में भी जारी रहने की उम्मीद है. कुल मिलाकर दिवाली पिछले साल से ज्यादा महंगी है.
- रायकुमार नहार, एम. एम. नहार, मार्केटयार्ड
 
 
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