‌‘हिंदी-सिंधी गीत संगीत नाइट‌’ कार्यक्रम उत्साहपूर्वक संपन्न

चिंचवड़ स्थित रामकृष्ण मोरे सभागृह में ‌‘बोमदिला-1962 उपन्यास‌’ का विमोचन रहा मुख्य आकर्षण

    16-Nov-2024
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चिंचवड़, 15 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
 
सिंधू सेवा संगम, पिंपरी (कमल मलकानी एंड टीम) के द्वारा आयोजित हिंदी-सिंधी गीत संगीत नाइट कार्यक्रम उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ. यह कार्यक्रम 12 नवंबर को चिंचवड़ स्थित रामकृष्ण मोरे सभागृह में दिवाली मिलन के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था. इस विशेष कार्यक्रम में चार चांद लगाने के लिए रिम-झिम म्यूजिकल आर्केस्ट्रा को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने हिंदी और सिंधी गीतों की प्रस्तुतियां देकर श्रोताओं का दिल जीत लिया. समारोह में पुणे और पिंपरी के कई प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित हुए, जिनका स्वागत कमल मलकानी और अनिल बठीजा एंड टीम द्वारा किया गया. इस शुभ अवसर पर जीवत केसवानी द्वारा सिंधी भाषा में अनुवादित ‌‘बोमदिला- 1962‌’ उपन्यास का विमोचन भी किया गया. यह विमोचन गीता टिलवानी (गीता बिल्डर्स, पुणे), दिलीप टिलवानी, कमल मलकानी, डॉ. सी.जी. धर्मा, डॉ. मुकेश धर्मा, डॉ. बंटी धर्मा, अंजू एवं संजय नोतानी, यश एवं लवीना नोतानी एवं वर्षा केसवानी द्वारा किया गया. सभी उपस्थित व्यक्तियों ने सिंधी भाषा के विकास और संवर्धन की आवश्यकता पर जोर दिया और इसे हर क्षेत्र में प्रोत्साहित करने की बात की. ‌
 
‘बोमदिला-1962‌’ उपन्यास के मूल लेखक डॉ. अविनाश बिनीवाले हैं, जिनकी 70 से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. इस उपन्यास का अनुवाद कई भारतीय भाषाओं में हो चुका है, जिनमें मराठी, हिंदी, गुजराती, अंग्रेजी, असमिया, संस्कृत, बोडो तथा कनड़ हैं. अब यह किताब सिंधी में जीवत केसवानी के द्वारा अनुवाद की गई है. किताब 1962 के भारत-चीन युद्ध पर आधारित है और यह युद्धग्रस्त सैनिकों की मानसिकता और युद्ध क्षेत्र की वास्तविकताओं को गहराई से बताती है.
 
सिंधी अनुवाद और शैक्षिक योगदान जीवत केसवानी वर्तमान में पश्चिम क्षेत्रीय भाषा केंद्र, डेक्कन कॉलेज पुणे में सिंधी व्याख्याता के रूप में कार्यरत हैं और कई अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर सिंधी अनुवाद कार्य भी कर रहे हैं. इसके अलावा वह झूलेलाल मेट्रिमोनियल, पुणे के संचालक और डायरेक्टर भी हैं. उनका मानना है कि युवाओं को सिंधी साहित्य के प्रति अपनी सोच सकारात्मक बनानी चाहिए और उसे संरचनात्मक रूप से विकसित करना चाहिए. सिंधी भाषा के विकास पर हुआ विचार-विमर्श विमोचन के दौरान मंच पर उपस्थित सभी प्रमुख हस्तियों ने सिंधी भाषा के महत्व और उसके विकास पर अपने विचार साझा किए.
 
कमल मलकानी ने कहा कि जीवत केसवानी का कार्य न केवल सिंधी भाषा को सिखाना है, बल्कि वह इसके साहित्यिक विकास में भी सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं. यह सराहनीय है कि वह 32 वर्षों से इस क्षेत्र में अपनी सेवा दे रहे हैं. जीवत केसवानी ने कहा कि सिंधी भाषा के विकास के लिए कई सिंधी अकादमियां, दिल्ली की राष्ट्रीय सिंधी भाषा परिषद और अन्य संस्थाएं बहुत योगदान दे रही हैं, लेकिन युवा पीढ़ी को भी आगे आकर अपनी मातृभाषा के प्रति अपने कर्तव्यों को समझना चाहिए. सिंधी भाषा के साहित्यिक क्षेत्र में और अधिक कार्य किया जाना चाहिए, ताकि यह भाषा समृद्ध और समकालीन बनी रहे.