पुणे, 14 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
आज दुनिया में 5 में से 3 लोग सायरस पूनावाला के सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित वैक्सीन ले रहे हैं. पूनावाला के कारण ही भारत कोरोना जैसे संकट से उबर सका. चिकित्सा और सामाजिक क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए केंद्र सरकार को उन्हें सिर्फ पद्मभूषण पुरस्कार सीमित न रखकर भारतरत्न पुरस्कार से सम्मानित करना चाहिए. पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने यह भावना व्यक्त की. चिकित्सा और सामाजिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पवार के हाथों डॉ. सायरस पूनावाला को वनराई की ओर से दिया जाने वाला ‘स्व. डॉ. मोहन धारिया राष्ट्रनिर्माण पुरस्कार' प्रदान किया गया. इस मौके पर वे बोल रहे थे. इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, सांसद श्रीनिवास पाटिल, वनराई के अध्यक्ष रवींद्र धारिया, वनराई फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. डॉ. गिरीश गांधी, कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के कुलपति वेदप्रकाश मिश्रा, वनराई के ट्रस्टी गणपतराव पाटिल, सचिव नीलेश खांडेकर, ट्रस्टी रोहिदास मोरे, सचिव अमित वाडेकर आदि उपस्थित थे.
केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सायरस पूनावाला को शुभकामनाएं दीं. सायरस पूनावाला ने कहा, डॉ. मोहन धारिया जब देश की योजना समिति के उपाध्यक्ष थे, तब उन्होंने हमारे सीरम संस्थान की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. उसके बाद भी उन्होंने समय-समय पर संस्थान का मार्गदर्शन किया. इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित वैक्सीन के कारण लाखों बच्चों की जान बच रही है, यह संतोष की बात है. पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, सायरस पूनावाला का योगदान डॉ. मोहन धारिया की तरह राष्ट्र-निर्माण का है. डॉ. मोहन धारिया के नाम पर पुरस्कार देने से एक तरह से इस पुरस्कार का कद बढ़ गया है. डॉ. मोहन धारिया ने जिस तरह भारतीय राजनीति में एक अलग ऊंचाई बनाकर दी, उसी तरह डॉ. पूनावाला ने मेडिकल क्षेत्र में अपने काम से देश ही नहीं, बल्कि दुनिया को बड़े संकट से बचाया है.
नितिन गड़करी ने कहा, डॉ. सायरस पूनावाला जैसी दूरदर्शी हस्ती के कारण आज देश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. युवाओं को कैंसर से मुक्ति दिलाने का संकल्प लेकर डॉ. सायरस पूनावाला ने जो कदम उठाया है, वे इस प्रयास में जरूर सफल होंगे. डॉ. पूनावाला व डॉ. धारिया जैसी महान विभूतियों ने न केवल महाराष्ट्र, बल्कि देश के निर्माण में भी बहुत बड़ा योगदान दिया है.
डॉ. वेदप्रकाश मिश्र ने कहा कि आधुनिक भारत को देखते हुए यदि देश में विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में तीर्थस्थल का चयन करना हो तो सायरस पूनावाला के सीरम इंस्टीट्यूट को एक बड़ा तीर्थस्थल कहा जा सकता है. यह निश्चित रूप से गर्व की बात है कि आज देश में उत्पादित होने वाली 89% वैक्सीन का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट में होता है. डॉ. गिरीश गांधी ने कहा, किसी भी राजनीतिक दल के सत्ता में आने के बाद पार्टी के सामाजिक लक्ष्य शिथिल हो जाते हैं, लेकिन मोहन धारिया ने हमेशा सत्ताधारी दल को समाजोन्मुखी कार्य करने के लिए प्रेरित किया. रवींद्र धारिया ने कहा, वनराई के पहले ग्राम विकास का उद्घाटन शरद पवार ने 1984 में केतकावले में किया था. तब वे मुख्यमंत्री थे. डॉ. मोहन धारिया का उद्देश्य जंगल, जमीन और पानी का संरक्षण करना था, जो आज संस्था का मुख्य उद्देश्य है. डॉ. सतीश देसाई ने कार्यक्रम का संचालन किया. रवींद्र धारिया ने परिचय दिया. रोहिदास मोरे ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
देश को दिशा दिखाई
शरद पवार ने कहा, डॉ. मोहन धारिया ने अपनी राजनीति और सामाजिक सरोकारों से देश को एक अलग दिशा दिखाई. मोहन धारिया की विचारधारा ‘राष्ट्र प्रथम' वाली थी. सीरम इंस्टीट्यूट एक तरह से उनके ही विचारों पर आगे बढ़ते हुए न सिर्फ देश के लिए बल्कि दुनिया के सभी लोगों के लिए वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है.