मुकुंदनगर, 18 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
जैन धर्म के गच्छाधिपति पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री दौलतसागरसूरीश्वरजी महाराज (उम्र-103 वर्ष) का रविवार (18 फरवरी) की सुबह 10.31 बजे निधन (समाधि पूर्वक कालधर्म) हुआ. वे मुकुंदनगर के सुजय गार्डन में विराजित थे. गुरुदेव का अंतिम संस्कार आज सोमवार (19 फरवरी) को सुबह 9:30 बजे कात्रज आगम मंदिर में होगा. दौलतसागरजी के निधन का समाचार मिलते ही पुणे में विराजमान जैन धर्म के अनुयायी, साधु-साध्वियों का आना शुरु हो गया. यह सिलसिला दिनभर चला. सुविशाल सागर समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति के भक्तगण सैकड़ों की संख्या में दिनभर अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. शाम 7 बजे से भावना भक्ति एवं पालखी यात्रा के चढ़ावे हुए. बताया गया कि सोमवार सुबह 5:30 बजे पूज्यश्री की अंतिम पालखी यात्रा सुजय गार्डन से प्रारंभ होकर सातारा रोड से होते हुए सुबह 8:30 बजे कात्रज आगम मंदिर प्रवेश करेगी. वहां गुरुदेव का अग्नि संस्कार सुबह 9:30 बजे होगा. पूज्य गुरुदेव का 40 साल से पुणे शहर और यहां के श्रद्धालुओं पर विशेष लगाव था.
कई ग्रंथों को किया कंठस्थ
दौलतसागरजी महाराज ने 12 दिन में पंचप्रतिक्रमण, 6 दिन में 6 कर्मग्रंथ, 1 दिन में दशवैकालिक सूत्र, 6 दिन में उत्तराध्यान सूत्र, 8 दिन में आचारंग सूत्र, 36 घंटे में नवस्मरण, एक दिन में वीतरागस्तोत्र जैसे सूत्र कंठस्थ कर लिए थे तथा उन्हें 45 आगम कंठस्थ थे. उन्होंने छट्ठ के पारणे छट्ठ पाँच विगई का त्याग कर वर्षीतप किया. दीक्षा से 37 वर्षों तक प्रतिदिन खड़े-खड़े 1008 लोगस्स का काउसग्ग किया और 1008 खमासमणे दिए. पूज्य श्री सागर समुदाय के 900 साधु- साध्वी भगवंत से अधिक के गण नायक हैं.