एमआईटी में विश्वरूप दर्शन आर्यभट्ट वेधशाला उद्घाटित

इको पार्क हिल पर तीन टेलिस्कोप लगाए : डीप स्काई के चित्र लिये जा सकेंगे

    07-Feb-2024
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कोथरुड, 6 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
ब्रह्मांड दर्शन के अवलोकन और अध्ययन के लिए एमआईटी वेिश शांति वेिशविद्यालय के भौतिकी विभाग द्वारा मवेिशरूप दर्शन आर्यभट्ट वेधशालाफ की स्थापना की गई. एमआईटी के इको पार्क पहाड़ी पर तीन दूरबीनें लगाई गई हैं. इसमें जीएसओ के दो टेलीस्कोप एक 8 इंच न्यूटोनियन और 10 इंच रिसर्कुलेशन टेलीस्कोप दोनों ताइवान से आयातित हैं. यूनिस्टेलर ईवीस्कोप 2 फ्रांस से आयातित एक दूरबीन है. इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक आलोक श्रीवास्तव, अनिरुद्ध देशपांडे (उपाध्यक्ष, ज्योर्तिविद्या परिषद) और एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. वेिशनाथ दा.
 
कराड ने सोमवार (5 फरवरी) को मवेिशरूप दर्शन आर्यभट्ट वेधशालाफ का उद्घाटन किया. आलोक श्रीवास्तव ने कहा, भविष्य में, चखढ थझण को खडठज जैसे उपग्रह पर एक अंतरिक्ष वेधशाला बनाने की उम्मीद है. यहां चांद, सितारों के साथ-साथ ब्रह्मांड भी दिखाई देगा और वे ब्रह्मांड को सामने लाने की कोशिश करेंगे. अनिरुद्ध देशपांडे ने कहा कि यह वेधशाला जमीनी अवलोकन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पुणे के मध्य में स्थित है. इस स्कूल से छात्रों के साथ-साथ अन्य नागरिकों को भी लाभ होगा. डॉ. विश्वनाथ कराड़ ने कहा, आज हम ब्रह्मांड की प्रकृति को समझने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन संतों ने प्रकृति और जीवन के बारे में जानकारी दी है. वेधशाला को कॉसमॉस एस्ट्रोनॉमी क्लब के मार्गदर्शन में बनाया गया.
 
यह काम छात्रों सम्यक कोठारी, ओजस धुमाल, अमेय अरगड़े, तेजस कुलकर्णी, नीरज वर्मा, ऋग्वेद अर्गे, रोहन संगई और रिचल अभंग की एक टीम ने किया. बताया गया कि यह एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में सबसे बड़ा छात्र प्रोजेक्ट है. साथ ही देश के किसी भी वेिशविद्यालय में ऐसा कोई प्रोजेक्ट प्रस्तुत नहीं किया गया है. ऐसी परियोजनाएं केवल अनुसंधान केंद्रों में हैं. छात्र सम्यक कोठारी ने कॉसमॉस एस्ट्रोनॉमी क्लब एवं वेधशाला के बारे में जानकारी दी. एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आर. एम. चिटनीस, सीएओ डॉ. संजय कामतेकर, डॉ. सचिन कुलकर्णी, डॉ. अनूप काले और विष्णु भिसे उपस्थित थे. प्रो. डॉ. मिलिंद पांडे ने भी अपने विचार व्यक्त किये. कॉसमॉस एस्ट्रोनॉमी क्लब की समन्वयक प्रो. अनघा कर्णे ने प्रस्तावना दी. डॉ. मिलिंद पात्रे ने संचालन किया.