गंगाधाम, 18 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
महावीर बनने के लिए एक जन्म काफी नहीं है, वे एक ही जन्म में भगवान महावीर नहीं बने, इसके लिए उन्होंने 27 जन्मों की यात्रा की है. महावीर ने चारों गतियों का अनुभव किया है. वे सभी प्रकार के अनुभवों की आग से गुजरे हैं और एक महान नायक बने हैं. यह विचार गंगाधाम स्थित गोयल गार्डन में आयोजित ‘महावीर गाथा' व्याख्यान माला के चौथे दिन प्रवीणॠषिजी ने व्यक्त किए. उन्होंने विश्वभूति की कथा का खुलासा करके दर्शकों को जिंदगी का अनोखा संदेश दिया. उन्होंने बताया कि महामंत्री ने विश्वभूति को निष्कासित करने के लिए इसी तरह की साजिश रची. अचानक राजसभा में गुप्तचर राजा के सामने आ गये.
उसने बताया कि राज्य के एक पड़ोसी सामंत ने विद्रोह कर दिया है और यदि उसे नियंत्रित नहीं किया गया तो वह अन्य सामंतों को अपने साथ लेकर राजधानी पर आक्रमण कर देगा. अतः युद्ध की तैयारी की गई. लेकिन राजा को इस बात का अंदाजा नहीं था कि ये सब विश्वभूति से छुटकारा पाने की साजिश थी. राजा ने यहां युद्ध की घोषणा कर दी. रणदुंभी की आवाज सुनकर विश्वभूति नामक योद्धा सभा में पहुंचे. जब मनुष्य पर जुनून सवार हो जाता है, तो वह केवल शरीर में ही जीवित रहता है, लेकिन मन में मर जाता है. जब वेिशास टूटता है तो इंसान थक जाता है. राजसभा में तनावपूर्ण माहौल था. लेकिन विश्वभूति की ओर किसी की नजर नहीं पड़ी. वह राजा के पास गया और बोला, तात, मेरे रहते आप युद्धभूमि में नहीं जायेंगे. मैं नहीं जानता कि किससे लड़ना है, क्यों लड़ना है, लेकिन मैं इस लड़ाई का नेतृत्व करूंगा. षड्यंत्रकारियों ने विश्वभूति के इस स्वभाव को पहचान लिया. बुरे लोग अच्छे लोगों के अच्छे स्वभाव का चतुराई से उपयोग करते हैं.
अक्सर एक सज्जन व्यक्ति को उसके सज्जन स्वभाव के लिए दंडित किया जाता है. मंत्री ने उसका परिहास किया, परन्तु विश्वभूति दौड़कर आया और क्षण भर में युद्ध के लिये तैयार हो गया. राजा को भी नहीं पता था कि यह वेिशभूति को राज्य से निकालने की साजिश थी. अत: उन्होंने स्वयं विश्वभूति को गले लगाकर अलविदा कहा. विश्वभूति बिना मंगलतिलक लिये ही युद्ध में चले गये. विश्वभूति की मां को पता चला तो उन्हें शक हुआ कि उनके बेटे के खिलाफ कोई साजिश हुई है. मंत्री जानता था कि यदि विश्वभूति युद्धभूमि में जाने से पहले माता-पिता से मिलने जायेगा तो यह षड़यंत्र विफल हो जायेगा. इसलिए, चाहे आपके जीवन में कितनी भी बड़ी आपात स्थिति क्यों न आए, जिन पर आप भरोसा करते हैं उन्हें बताए बिना एक कदम भी न उठाएं.