अहमदाबाद में ऐतिहासिक दीक्षा महोत्सव : एक साथ 35 मुमुक्षुओं ने संयम जीवन स्वीकार किया

‌‘दीक्षार्थी अमर रहें" के नारों से अध्यात्म नगरी गूंज उठी

    25-Apr-2024
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deek
 
अहमदाबाद, 24 अप्रैल (आ. प्र.)
 
अरबों रुपयों की संपत्ति, विश्व का वैभव और सभी सुख-सुविधाएं चरणों में एक ऑर्डर पर पालन करनेवाला 24 x 7 का स्टाफ... ऐसे अत्यंत वैभवशाली जीवन को त्यागकर संयम मार्ग का जीवन अपनाना हरेक व्यक्ति के लिए संभव नहीं. लेकिन अहमदाबाद में आयोजित दीक्षा महोत्सव में 35 मुमुक्षुओं ने सारा वैभव, सुख-सुविधा छोडकर संयम का मार्ग अपनाया है. रिवरफ्रन्ट पर 3 लाख स्क्वेअर फीट परिसर में निर्माण किए गये भव्य अध्यात्म नगरी सोमवार (22 अप्रैल) को ‌‘दीक्षार्थी अमर रहे' जयकारों से गूंज उठी. अहमदाबाद में 500 वर्षों के बाद इतिहास में राचा गया है. एक ही मंडप में 35 जैन दीक्षा का महोत्सव दीक्षा महानायक आचार्य विजय योगतिलकसूरीश्वरजी म. सा. के पवित्र हांथों संपन्न हुआ. इसके लिए साबरमती रिवरफ्रंट पर निर्माण किये गये अध्यात्म नगरी में सोमवार (22 अप्रैल) सुबह 5.30 बजे दीक्षा के मंगल विधि का प्रारंभ हो गया.
 
इस अवसर पर सुबह 30 हजार से अधिक श्रद्धालुओं से पूरा परिसर खचाखच भरा हुआ था. 15 आचार्य भगवंत, 400 से अधिक साधु-साध्वीजी के साथ भगवंतों के सानिध्य में 35 मुमुक्षुओं को साधु साहित्य अर्पण करने का विधि शुरू की गयाी. 25 मिनिटमें आचार्य भगवंतों के हस्ते 35 मुमुक्षुओं ने ‌‘ओधो' अर्पण किये गये. इसमें 15 भाई और 20 बहन हैं. दीक्षार्थिओं के हाथ में ‌‘ओधो' आने के बाद मुमुक्षुओं के परमात्मा को वंदना करनी होती है, इस के लिए स्नान और साधू वेश परिधान करने सभी मुमुक्षु चले गये. उचित समय अनुसार सभी मुमुक्षुओं ने अपने पारिवारिक वस्त्र को छोडकर साधु जीवन के सफेद वस्त्र पहनकर सज्ज हो गए और स्टेज पर आये. इसके बाद ‌‘लोचनी' (बालों को हाथों से निकालना) विधि कराया और 35 मुमुक्षों के संसारी नाम रद्द करके उन्हें नूतन नाम दिये गये. गुरु भगवंत द्वारा मुमुक्षुओं की लोचनी विधी प्रतीकात्मक की गयी थी. उसके बाद सभी मुमुक्षुओं ने साधु जीवन स्वीकार करने की प्रतिज्ञा गुरुदेव से प्राप्त की.
 
10 मुमुक्षु 18 से कम उम्र के
संयम जीवन का स्वीकार करने वाले 35 मुमुक्षुओं में से 10 मुमुक्षु 18 से भी कम उम्र के हैं. उन्हों ने माता-पिता की सहमति के साथ दीक्षा ग्रहण की है. इस में दीक्षा लेनेवाले पांच परिवार ऐसे है दीक्षा के बाद जिनके घर ताला लग गया है. अब समग्र जीवन प्रभु वीर मार्ग पर चलना हैं. संयम जीवन पर स्वीकार करनेवालों में एक टेक्सटाइल मार्केट के बडे व्यवसायी है, तो दूसरे रियल इस्टेट में कारोबार करनेवाले हैं, एक डिजिटल मार्केटिंग में मास्टर डिग्री लेनेवाले है, तो एक बारहवीं परीक्षा में जिले में प्रथम आया हुआ छात्र है. इसमें प्रतिभाशाली संगीतकार भी शामिल है.
 
परमात्मा का वंदन करके तीन प्रदक्षिणा की
सुबह 4.32 मिनट को 35 मुमुक्षुओं को ‌‘विदाईतिलक' करके उन्हें उनके निवासस्थान से विदा कर दिया गया. उस समय उन्हें भावना दी गई कि, मोहराजा के सामने होने वाली लडाई में विजय प्राप्त करके वह मोक्षगामी बनें. 35 मुमुक्षु हाथ में श्रीफल लेकर दीक्षा मंडप में आये और स्टेज पर आकर उन्हों ने समोवसरण परमात्मा के वंदन करके तीन प्रदक्षिणा दीं. उसके बाद गुरूदेव को वंदन किया और उन्हे विनंती की, मेरे सारे दोष दूर करो और इसके लिए प्रतिकात्मकरीत्या मेरा मुंडन किया जाये. ‌‘प्रव्रज्य' प्रदान करके संसार से दूर करो और मोह के सामने लडवाने के लिए हमें सरंजामरूप में साधुवेश अर्पण करो. उसके बाद गुरुदेव ने विनंती मान्य करने 35 मुमुक्षुओं को ‌‘ओधो' अर्पण किया.