AIJMF द्वारा जैनियों को सैनिक बनाने के लिए ‌‘राष्ट्रीय जैन सेना' की स्थापना

27 Apr 2024 15:08:56
 
aijmf
 
मुंबई, 26 अप्रैल (आ.प्र.)
 
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीरस्वामी की 2623वीं जयंती के शुभ दिन पर जैन धर्म में एक क्रांतिकारी निर्णय लिया जा रहा है. ऑल इंडिया जैन माइनॉरिटी फाउंडेशन (AIJMF) इस दिन से जैन धर्म, जैन तीर्थों और साधु-देवताओं से संबंधित समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से जैन सैनिकों को प्रशिक्षित करने के लिए ‌‘राष्ट्रीय जैन सेना' संगठन की स्थापना की जाएगी. जैन सेना की मुंबई में पांच और महाराष्ट्र में 30 शाखाएं शुरू की जा रही हैं. लक्ष्य दो महीने के भीतर देशभर के हर शहर, जिले, राज्य में ऐसी शाखाएं खोलने का है. इन शाखाओं में जैन युवाओं को अन्याय के विरुद्ध संगठित रूप से लड़ने का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा.
 
‘एआईजेएमएफ' एवं राष्ट्रीय जैन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित गांधी ने एक वीडियो के माध्यम से समस्त जैन समाज को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि 2014 में केंद्र सरकार ने जैनियों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया. इसके बाद ‌‘एआईजेएमएफ' की स्थापना हुई. दस वर्षों में देशभर में जैन अल्पसंख्यकों की 650 शाखाएं प्रारंभ हो चुकी हैं और इनमें एक लाख जैन कार्यकर्ता कार्यरत हैं. इस माध्यम से जैन समाज में अनेक प्रकार के कार्य चल रहे हैं परंतु धर्म एवं समाज की अनेक गंभीर समस्याओं के समाधान हेतु सशक्त संगठन का अभाव है. इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर जैन सेना शाखा शुरू करने का निर्णय लिया गया है.
 
देशभर के जैन संघों को अब इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. हमें अपने धर्म, तीर्थ और समाज को बचाने के लिए विशेषकर युवाओं में लाठी-काठी पर गंभीरता से विचार करना होगा. इससे एक मजबूत संगठन बनेगा AIJMF के नेतृत्व में राष्ट्रीय जैन सेना का गठन किया गया है. संगठन के उपाध्यक्ष संदीप भंडारी ने कहा कि जैन समुदाय पर दिनोंदिन हमलों की संख्या बढ़ती जा रही है. जैन समाज में जैन मंदिरों में चोरी, जैन मुनियों पर हमले, दुर्घटनाओं में साधु-देवताओं की मृत्यु, अनूप मंडल जैसे समूहों द्वारा हमले जैसी समस्याएं हैं. इसके साथ ही पालीताणा, शिखरजी और गिरनारजी आदि तीर्थों को लेकर भी सवाल बढ़ रहे हैं. तो सवाल उठता है कि हम अपनी कमजोरी को ‌‘अहिंसा परमो धर्म:' के पीछे क्यों छिपाएं? ‌‘अहिंसा परमो धर्म:, हिंसा ही धर्म है' यह कहावत अब आवश्यक है.
 
अर्थात्‌‍ अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है; परंतु हिंसा भी इस धर्म से उतनी ही श्रेष्ठ है. यहां हिंसा की वकालत नहीं की जा रही लेकिन अगर हम आज अपने धर्म की रक्षा करने में असफल रहे तो अगली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी. इतना ही नहीं हमारा धर्म ही नष्ट हो सकता है. हम आक्रमण नहीं करना चाहते, लेकिन अगर कोई हम पर हमला करने वाला है तो हमें पूरा अधिकार है और अपने धर्म, समाज की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है. आज मजबूत संगठन जरूरी है. इसे ध्यान में रखते हुए, महावीर जन्म कल्याणक के शुभ दिन पर देशभर में जैन सेना की एक शाखा शुरू करने का निर्णय लिया गया है.
 
सभी जैन श्रावकों, जैन युवाओं से आह्वान है कि वे ‌‘राष्ट्रीय जैन सेना' में शामिल होकर जैन सैनिक बनें और जैन धर्म की रक्षा और सम्मान के लिए तैयार रहें. संगठन कैसा होगा? ‌‘राष्ट्रीय जैन सेना' के संगठन के बारे में जानकारी देते हुए संदीप भंडारी ने बताया कि भारत में लगभग साढ़े चार करोड़ जैन हैं लेकिन कोई मजबूत जुड़ाव नहीं है. इतनी सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सबसे पहले ‌‘जैन सेना' की एक शाखा बनाई जाएगी जो सभी जैनियों का एक मजबूत संगठन बनेगी. शाखा में एक शाखा प्रमुख, दो उपप्रमुख, तीन संयुक्त प्रमुख और दस कार्यकारी शामिल होंगे. दो महीने के अंदर भारत में इस तरह की शाखाएं स्थापित कर जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पदाधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी.
 
अंधेरी में चार समितियां
मुंबई में ‌‘जैन सेना' की शाखा स्थापित करने की जिम्मेदारी बीजेपी के जैन सेल, महाराष्ट्र की संयुक्त सचिव प्रीति शाह और उनकी टीम को दी गई है. मुंबई समेत देशभर में जैन शाखाएं खोलने के लिए संघों के बीच फॉर्म बांटे गए हैं. इसका विज्ञापन महावीर जन्म कल्याणक के दिन किया जाएगा. तदनुसार, अंधेरी में 4 कार्यकारी समितियों का गठन किया गया है और विले पार्ले में एक. उम्मीद है कि जल्द ही अन्य टीमों से भी फॉर्म भरवाए जाएंगे.
 
 
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