वंचित बहुजन आघाड़ी का पहला सांसद पुणे से बनेगा

उम्मीदवारी मिलने के बाद लोकसभा प्रत्याशी वसंत मोरे ने जीतने का जताया विश्वास

    04-Apr-2024
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van 
 
पुणे, 3 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
वंचित बहुजन आघाड़ी के पुणे लोकसभा उम्मीदवार वसंत मोरे ने बालासाहेब आंबेडकर और वंचित बहुजन आघाड़ी पार्टी द्वारा दी गई उम्मीदवारी के माध्यम से पुणे शहर से वंचित के पहले सांसद के रूप में चुने जाने पर अपना शत-प्रतिशत वेिशास व्यक्त किया. मंगलवार की रात को लोकसभा प्रत्याशी घोषित होने के बाद वे बुधवार को जिलाधिकारी कार्यालय के सामने स्थित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा को नमन करने आये. इस समय वह बात कर रहे थे. मंगलवार को राज्य में वंचित के 5 उम्मीदवारों की सूची घोषित होने के बाद मनसे के पूर्व शहराध्यक्ष वसंत मोरे पुणे की सीट के लिए मैदान में उतरे.
 
मोरे ने उम्मीदवारी घोषित होने के बाद बुधवार को मार्केटयार्ड स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अभिवादन किया. उसके बाद उन्होंने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया. इसके बाद वसंत मोरे ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपनी टिप्पणी देकर अपनी जीत का भरोसा जताया. वसंत मोरे ने कहा कि वंचित बहुजन समाज के नागरिकों को मुट्ठी में कर स्थापित पार्टियों को उनकी जगह दिखाने से वंचितों की जीत शत-प्रतिशत साकार होगी. मैंने शुरू से ही शहर में मराठा समुदाय के आरक्षण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर अपनी आवाज उठाई है. जरांगे पाटिल और बालासाहेब आंबेडकर का मराठा समाज के प्रति एक ही रुख है.
 
इसलिए मराठा समुदाय मेरी मदद जरूर करेगा. जब मैं मनसे पार्टी में था, मैंने कभी जाति की राजनीति नहीं की और भविष्य में भी ऐसा नहीं करूंगा. भोंग्या (लाउड स्पीकर) के मुद्दे पर मैंने शहराध्यक्ष का पद छोड़ा. उस समय सभी राज्यों से मुस्लिम समुदाय को जो प्रतिक्रिया मिली, वह अवेिशसनीय थी. इसलिए मोरे ने वेिशास व्यक्त किया कि मुस्लिम समुदाय भी इस वर्ष मेरे पीछे खड़ा रहेगा. मनसे में होते हुए किए काम पर राज्य के सभी ने गौर किया. मोरे ने इस मौके पर कहा है कि सभी राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए मानवता के माध्यम से रात-दिन काम किया, यह मेरा मजबूत पक्ष है.
 
वंचित बहुजन आघाड़ी द्वारा पुणे लोकसभा क्षेत्र से पूर्व नगरसेवक वसंत मोरे को टिकट दिए जाने से चुनावी मुकाबला रोचक हो गया है. शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि महायुति के मुरलीधर मोहोल और महाविकास आघाड़ी के रवींद्र धंगेकर के बीच सीधा मुकाबला होगा, लेकिन मोरे की उम्मीदवारी ने रोमांच बढ़ा दिया है. अब इस बात की चर्चा होने लगी है कि मोरे को मानने वाले और वंचित के वोटर किसे झटका देंगे? 2019 के पुणे लोकसभा चुनाव में बीजेपी के गिरीश बापट ने कांग्रेस उम्मीदवार मोहन जोशी को साढ़े तीन लाख वोटों के अंतर से हराया था. तब वंचित के उम्मीदवार अनिल जाधव को करीब 65 हजार वोट मिले थे. मुख्य रूप से आंबेडकरी आंदोलन में वेिशास रखने वाले मतदाताओं ने जाधव को वोट दिया था.
 
इस बार के चुनाव में तस्वीर अलग है. किसी समय नगरसेवक रहे मोहोल, धंगेकर और मोरे आमने-सामने चुनाव लड़ेंगे. मोरे ने कुछ दिन पहले मनसे से इस्तीफा दे दिया था और महाविकास आघाड़ी से टिकट मांगा था. पांच बार के नगरसेवक रवींद्र धंगेकर पिछले साल कसबा विधानसभा उपचुनाव में भाजपा महायुति को हराकर देशभर में प्रसिद्ध हुए. मोहोल और धंगेकर राष्ट्रीय पार्टियों से मैदान में हैं तो साफ है कि मुख्य मुकाबला इन्हीं के बीच होगा. केंद्र और राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा और शक्ति मोहोल के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. भाजपा के 10 साल के शासन के खिलाफ विपक्षी दलों कांग्रेस व अन्य दलों द्वारा गठित इंडिया गठबंधन के कारण राष्ट्रीय स्तर पर दो अलग-अलग प्रवाह देखने को मिल रहे हैं. विपक्ष सत्तारूढ़ दल के खिलाफ यह कहते हुए आग उगल रहा है कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो संविधान बदल दिया जाएगा. इसके चलते आंबेडकरी विचारों वाले एक बड़े वर्ग का झुकाव इंडिया के पक्ष में देखा जा रहा है. ऐसे में वंचित मतदाता मराठा समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले वसंत मोरे को कितना समर्थन देंगे, यह जिज्ञासा का विषय रहने वाला है.