दुनियाभर में बारामती का मान बढ़ाने वाले शरद पवार को इस उम्र में दुःख देना उचित नहीं

    06-May-2024
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बारामती, 5 मई (शैलेश काले)
 
अजीत पवार राज्य में और सुप्रिया सुले राष्ट्रीय स्तर पर अच्छे विकास कार्य कर रहे हैं, लेकिन इसकी नींव शरद पवार ने पचास साल पहले रखी थी. उन्हीं के कारण आज बारामती का कायाकल्प दिखाई देता है. बारामती का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाकर दुनियाभर में इसका मान बढ़ाने वाले शरद पवार को इस उम्र में दुःख देना उचित नहीं है. पवार परिवार में जो कुछ हुआ वह किसी बुरे सपने जैसा लगता है. यह भावना बारामती के लोग दबी जुबान में व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन उनके झुकाव की बात पूछने पर वे इस पर बात करना सीधे तौर पर टाल रहे हैं. ऐसे में बारामती विधानसभा क्षेत्र के चुनाव की उत्सुकता और भी बढ़ गई है. रविवार की शाम 5 बजे बारामती क्षेत्र में प्रचार अभियान थम गया.
 
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद सांसद सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार (ननद-भावज) के बीच सीधी टक्कर है. बारामती में लड़ाई शरद पवार और अजीत पवार के इर्द-गिर्द घूम रही है, क्योंकि अजीत पवार ने बीजेपी-शिवसेना के साथ मिलकर महायुति में शामिल होते समय पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष और अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ कई गोपनीय बातें उजागर कीं. प्रचार के आखिरी दिन भी यही तस्वीर देखने को मिली. बारामती क्षेत्र में भी आखिरी दिन भी जमकर प्रचार हुआ. दोनों पक्षों की ओर से शक्ति प्रदर्शन के लिए रैलियां और सभाएं आयोजित की गईं.
 
सुप्रिया सुले के प्रचार की समापन सभा में पूरा पवार परिवार मौजूद था. सभा से पहले हमने बारामती शहर का दौरा किया और नागरिकों की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की. पहले तो हर किसी ने बात करना टाल दिया, लेकिन उन पर स्नेहपूर्वक दबाव डालने पर वे धीरे-धीरे सावधानी से प्रतिक्रिया देने लगे. अजीत दादा काम में शेर हैं. सुप्रिया सुले भी सक्रिय हैं. लेकिन पचास साल पहले शरद पवार ने बारामती के विकास की नींव रखी. यह निश्चित रूप से हमारे लिए गर्व की बात है कि बारामती का यह नेता राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ता है. युवा यह राय व्यक्त कर रहे हैं कि पवार परिवार में दरार केवल उनके परिवार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सभी बारामती वासियों के परिवार में दरार है. वरिष्ठ नागरिक अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं कि इस उम्र में पवार साहब को दर्द देना हमें मंजूर नहीं है. जब उनसे उनके झुकाव के बारे में पूछा गया तो वे साफ-साफ बात करने से कतराते रहे. अधिकांश लोगों ने कहा कि वे अपना निर्णय ईवीएम के माध्यम से स्पष्ट करेंगे. इससे बारामती के चुनाव परिणाम को लेकर उत्सुकता बढ़ी है.