राज्य के सहकारिता पर पकड़ हेतु मोहोल को सहकारिता मंत्रालय !

पुरंदर एयरपोर्ट का कार्य पूरा करने नागरिक उड्डयन मंत्रालय रहेगा फायदेमंद

    11-Jun-2024
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पुणे, 10 जून (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
पुणे लोकसभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित सांसद और राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल को राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण सहकारिता और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. महाराष्ट्र के निर्माण में मुख्य रूप से सहकारिता क्षेत्र का बड़ा योगदान रहा है और कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों ने अब तक सहकारिता क्षेत्र के जरिए ही राजनीति में पकड़ बनाई है. इसे भेदने के लिए बीजेपी ने मोहोल को सहकारिता मंत्रालय के रूप में बड़ी जिम्मेदारी दी है. इसके साथ ही यह कयास लगाया जा रहा है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय के माध्यम से औद्योगिक शहर के नव- विस्तारित एयरपोर्ट का मसला तेजी से हल किया जाएगा.
 
मुरलीधर मोहोल ने लोकसभा चुनाव में अच्छे वोटों से जीत हासिल की. लोकसभा में उनकी पहली जीत के बाद पार्टी नेतृत्व ने उन्हें राज्यमंत्री का पद देकर उन पर अपना भरोसा जताया. बता दें कि कुछ साल पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की पहल पर सहकारिता मंत्रालय स्थापित किया गया था. महाराष्ट्र में सहकार क्षेत्र की एक लंबी परंपरा रही है. मुख्य रूप से ग्रामीण महाराष्ट्र में शक्कर, डेयरी उद्योग, कपास, कृषि उपज बिक्री सहित इसे पूरक बैंकिंग क्षेत्र में भी सहकारिता ने प्रमुख भूमिका निभाई है.अब तक फॉर्मूला यही रहा है कि जिसकी सहकारी क्षेत्र पर पकड़ हो, उसकी राज्य की राजनीति पर भी पकड़ रहती है.
 
सहकारी क्षेत्र पर मुख्य रूप से कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व रहा है. पिछले कार्यकाल में गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में एक अलग सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश जैसे राज्य सहकारिता के माध्यम से अधिकार क्षेत्र में रहें. संयोग से, नए मंत्रिमंडल में अमित शाह पर मंत्रालय का पूरा जिम्मा है और मुरलीधर मोहोल को राज्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
 
4 सालों से पेंडींग कार्य को गती मिलने की संभावना
पुणे जैसे औद्योगिक शहर में वायुसेना का हवाई अड्डा होने से इस पर कुछ सीमाएं हैं. इस पृष्ठभूमि में, अंतर्राष्ट्रीय बाजार की दृष्टि से पुणे शहर के निकट पश्चिमी महाराष्ट्र के लिए उपयुक्त एयरपोर्ट पुरंदर में बनाने की योजना है. हालांकि पिछले तीन-चार साल से चल रहे प्रयासों में तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं. इस पृष्ठभूमि में, मोहोल को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का प्रभार सौंपे जाने से हवाई अड्डे का मसला निकट भविष्य में हल हो जाएगा.