पुणे, 15 जून (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
श्री नारायणी धाम कात्रज, पुणे में सनातन संस्कृति के अनुसार गर्भवती महिलाओं का गर्भसंस्कार संपन्न कराने का कार्यक्रम गायत्री परिवार के संयुक्त सहयोग से शुरू किया गया है. यह कार्यक्रम हर महीने के अंतिम रविवार को गर्भवती महिला व गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य एवं सुसंस्कारिता हेतु यज्ञ के साथ संपन्न किया जाता है. इसी क्रम में अगला संस्कार 30 जून को किया जायेगा. यह कार्यक्रम पूर्ण तया निशुल्क रहेगा लेकिन इसमें भाग लेने हेतु पंजीयन करवाना आवश्यक है. आज आधुनिक विज्ञान भी यही बता रहा है की मां के गर्भ में बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास की नींव पड़ जाती है. तीन माह से ही गर्भ का मस्तिष्क विकसित होने लगता है. सोनोग्राफी के द्वारा गर्भ का निरीक्षण करके ये पता लगा है कि गर्भ में ही बच्चा सुनता, सूंघता और स्वाद लेने के साथ ही दुखी और खुश होता है तथा याद भी करता है. गर्भ में बच्चे का अचेतन मस्तिष्क मां के अचेतन से जुड़ा रहता है, इसलिए मां के विचार, भावनाएं क्रियाएं सभी का प्रभाव बच्चे पर पड़ता है, जो स्थाई होता है.

मां की मनस्थिति को घर का वातावरण व घर-परिवार के सदस्यों का व्यवहार भी प्रभावित करता है इसलिये इस संस्कार में गर्भवती महिला के साथ उसके पति व परिवार के सदस्यों को भी शामिल किया जाता है. सभी को गर्भवती माता तथा गर्भस्थ शिशु के शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक संतुलन व भावनात्मक उल्लास को बनाये रखने हेतु सावधानी बरतने की शपथ दिलाई जाती है. बाद में गर्भवती माता को वेदमंत्रों द्वारा आशीर्वाद देकर शुभसंकल्पों को ग्रहण करवाया जाता है.
गर्भसंस्कार एक प्रकार से बच्चे के शरीर को स्वस्थ व उसके मानस को संतुलित, प्रखर, विवेकवान व प्रभावशाली बनाने का सूक्ष्म इलाज है. चूंकि यह संस्कार यज्ञ के साथ किया जाता है, यज्ञ के सकारात्मक प्रभाव गर्भ मे पल रहे बच्चे के ऊपर पड़ते हैं. इस प्रकार सनातन धर्म की शिक्षा के अनुसार एक संस्कारवान पीढ़ी निर्माण करनेका कार्य इस प्रकल्प द्वारा किया जा रहा है. यह संस्कार संपन्न कराने के उपरांत गर्भवती माता के नियमित मार्गदर्शन हेतु झूम लिंक पर आहार, विहार, संस्कार व व्यवहार विषयक विशेषज्ञों के व्याख्यानों का आयोजन किया जाता है. इस कार्यक्रम की अधिक जानकारी और रजिस्ट्रेशन के लिए आशा अग्रवाल (9766045409) गायत्री परिवार, कोंढवा-कात्रज महिला मंडल से संपर्क किया जा सकता है.