आत्मा की परवाह करने वाला फैमिली गुरु कहलाता है : राजरक्षितविजयजी

22 Jul 2024 14:40:33
 
raaj
 
पुणे-सातारा रोड, 21 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
श्री आदिनाथ सो. जैनसंघ पुणे में गुरु पूर्णिमा पर्व के अवसर पर पंन्यास राजरक्षितविजयजी, पंन्यास नयरक्षितविजयजी आदि साधु-साध्वीजी की पावन निश्रा में सद्गुरु शरणम्‌‍‍ मम का संगीतमय एवं भावपूर्ण कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस अवसर पर मुंबई, सूरत, नवसारी, भोर और पुणे से सैकड़ों गुरु भक्त आशीर्वाद लेने आए. पं. राजरक्षितविजयजी ने कहा कि, सद्गुरु की महिमा भगवान से भी बड़ी है. भगवान मौन है. प्रभु सद्गुरु के मुख से बोलते हैं. प्रभु ने मोक्ष प्राप्ति के लिए तपस्या, आत्मचिंतन, ध्यान और सेवा के अनेक मार्ग बताये हैं. लेकिन शिष्य के लिए कौन सा मार्ग उपयुक्त है इसका निर्णय सद्गुरु करते हैं. एक मेडिकल स्टोर में बुखार-सद की कई दवाएं हैं. लेकिन मरीज को कौन-सी दवा लेनी यह डॉक्टर तय करता है. जो शरीर की देखभाल करता है उसे फैमिली डॉक्टर कहा जाता है, और जो आत्मा की देखभाल करता है उसे फैमिली सद्गुरु कहा जाता है.
 
सद्गुरु के प्रति सम्मान मोक्ष का ताला खोलने की मुख्य कुंजी है. फैमिली डॉक्टर, फैमिली वकील की तरह फैमिली गुरु होना चाहिए. युवा व्याख्याता पं. नयरक्षितविजयजी ने कहा कि संसार में कई प्रकार के गुरु होते हैं. मोटिवेशन स्पीकर (गुरु), प्रबंधन गुरु, योग गुरु, कौशल गुरु आदि लेकिन सद्गुरु मिलना अत्यंत दुर्लभ है. सद्गुरु बाहर से सख्त और अंदर से नरम होते हैं. सद्गुरु का पहला कर्तव्य शिष्य को खाली करना है. जो सद्गुरु के पास खाली होता है उसे सद्गुरु भर देते हैं. सेटगुरु, स्वीटगुरु दुनिया में बहुत होंगे, लेकिन सद्गुरु मिलना बहुत मुश्किल है. जिसे सद्गुरु की गोद मिल जाती है, उसकी निगोद का सफर सदैव के लिए समाप्त हो जातस है. व्याख्यान प्रतिदिन सोमवार से शुक्रवार सुबह 7:30 बजे चल रहे हैं.
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