पुणे, 30 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि फडणीस द्वारा बनाये गये कार्टून (व्यंग्यचित्र) देखने में आसान और सहज भले ही लगें, लेकिन वे आसान नहीं हैं. इसके लिए कड़ी मेहनत और चिंतन की आवश्यकता होती है. शिवराम दत्तात्रय फडणीस अर्थात् शि.द. फडणीस के आयु के 100वें वर्ष में पदार्पण किये जाने के उपलक्ष्य में वसुंधरा क्लब व कार्टूनिस्ट्स कम्बाइन के संयुक्त तत्वावधान में कोहिनूर द्वारा प्रस्तुत ‘शि.द. 100’ नामक 4 दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ राज ठाकरे के हाथों हुए फडणीस के सम्मान के साथ हुआ. इस मौके पर वे बोल रहे थे. यह उत्सव 1 अगस्त तक चलेगा. इस अवसर पर राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल, वरिष्ठ चित्रकार वासुदेव कामत, प्रसिद्ध लेखिका मंगला गोडबोले, महोत्सव के स्वागताध्यक्ष कोहिनूर ग्रुप के मुख्य कार्यकारी निदेशक कृष्णकुमार गोयल, सुहृद होम्स एंड हॉलीडेज-पुणे के सहस ंस्थापक मकरंद केलकर, स्किन सिटी के डायरेक्टर डॉ. नितिन ढेपे, महोत्सव के संयोजक वसुंधरा क्लब के वीरेंद्र चित्राव, कार्टूनिस्ट कम्बाइन के चारुहास पंडित, संजय मिस्त्री और नचिकेत ठाकुर आदि उपस्थित थे. फडणीस का यह नागरिक अभिनंदन समारोह बालगंधर्व रंगमंदिर में संपन्न हुआ.
कार्यक्रम में उन्हें पुणेरी पगड़ी, शॉल और सम्मान-पत्र से सम्मानित किया गया. राज ठाकरे ने कार्टूनिस्ट शि.द. फडणीस और राज्य के उपमुख्यमंत्री फडणवीस के सरनेम का उल्लेख कर व्यंग्य कसते हुए कहा कि कार्टूनिस्ट फडणीस तथा डिप्टी सीएम फडणवीस में सिर्फ ‘व’ अक्षर से फर्क पड़ा. उनके सरनेम में यह ‘व’ न होने से वे बच गये और व्यंग्यचित्र के क्षेत्र में आये, वरना वे भी उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की कतार में चले गए होते और फडणवीस की तरह व्यंग्यचित्र (कार्टून) बनकर रह गए होते. राज ठाकरे ने कहा, अगर कल्पना दिमाग में आई, लेकिन उसके साथ उपयुक्त रचनात्मक कैरिकेचर न बना तो वह दिल पर नहीं छाता. कार्टून बेहतर होने पर भी कल्पना उसके अनुरूप न हो तो वह विफल हो जाता है. इसलिए अच्छा कार्टून अस्तित्व में आने के लिए दोनों बातें जरूरी हैं. फडणीस के किसी भी कार्टून में यह संतुलन टूटा हुआ नहीं दिखता. यही कारण है कि उनके कार्टून न केवल तकनीकी रूप से परिपूर्ण हैं, बल्कि आम लोगों के दिलों को भी छूते हैं. चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि पुणे मनपा के माध्यम से पुणे में फडणीस के कार्य का गौरव करने के लिए जल्द ही अकादमी शुरू की जायेगी. उन्हें महाराष्ट्र भूषण व पद्म पुरस्कार दिलाने के लिए हम सिफारिश करेंगे. इस दौरान अन्य गणमा