अमरेंद्रकुमार सिंह
डायरेक्टर . सर्वे ऑफ इंडिया, पुणे विभाग
भारतीय सर्वेक्षण विभाग हमारे देश का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय मानचित्रण संस्थान है. यह ब्रिटिश काल से ही देश सेवा के लिए कार्य कर रहा है. यह केंद्र सरकार का सबसे पुराना विभाग है और 1767 से निरंतर सेवा प्रदान कर रहा है. सरकार को गांवों एवं जगहों के नामों का सही उच्चारण और नामों का सही अनुवाद प्रदान करने का भी काम इस विभाग का है. 2030 तक हमारा टारगेट देश के लिए डिजिटल एलिवेशन मॉडल बनाने का है. महाराष्ट्र में ड्रोन की सहायता से 36 हजार गांवों की मैपिंग का कार्य जारी है और अभी तक 13 हजार गांवों की मैपिंग पूरी हो चुकी है. साथ ही स्वामित्व योजना के तहत 28 लाख प्रॉपर्टी कार्ड भी बांटे गए हैं. शेष गांवों की प्रॉपर्टी मैपिंग और कार्ड बनाने का कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा करने का हमारा लक्ष्य है. यह जानकारी सर्वे ऑफ इंडिया, पुणे विभाग के डायरेक्टर अमरेंद्रकुमार सिंह ने दै.‘आज का आनंद’ की पत्रकार रिद्धि शाह द्वारा लिए गए साक्षात्कार में साझा की; पेश हैं पाठकों के लिए उनसे द्वारा की गई बातचीत के कुछ विशेष अंश...
सवाल : आप कहां से हैं और आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है?
जवाब : मैं बिहार के एक छोटे से गांव मुंगेर का रहने वाला हूं. मेरी प्राथमिक शिक्षा वहीं हुई है. इसके बाद मैंने राजदेवकीनंदन और डायमंड जुबली कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद मैंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद से बी.टेक और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली से एम.टेक की डिग्री हासिल की. मेरी माताजी और मेरे पिताजी अभी भी मुंगेर में रहते हैं, मेरे पिता एक किसान हैं और मां एक गृहिणी हैं. मेरी पत्नी साची सिंह इंफोसिस टेक्नोलॉजी में कार्यरत थीं लेकिन अब वह एक गृहिणी हैं. इसके अलावा मेरे बड़े भाई शैलेंद्र सिंह सिविल कंस्ट्रक्शन व्यवसाय में हैं. मेरे बड़े भैय्या लोक जनशक्ति पार्टी के राज्य सचिव भी रह चुके हैं.
सवाल : आप सर्वे ऑफ इंडिया पुणे विभाग से पहले कहां नियुक्त थे? सर्वे ऑफ इंडिया के पुणे विभाग के डायरेक्टर पद पर आप कब से हैं ?
जवाब : भारतीय सर्वेक्षण विभाग पुणे डिवीजन में तैनात होने से पहले, मैं जयपुर के पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय में उप- महा सर्वेक्षक के रूप में कार्यरत था. मैंने डेढ़ साल इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में भी ऑपरेशनल ऑफिसर के पद पर सेवा दी है. मुझे सरकारी सेवा देते-देते 20 साल से अधिक समय हो चुका है. इसके अलावा मेरी पहली पोस्टिंग 2005 से 2008 तक पुणे में ही हुई थी उस दौरान मैं उप- अधीक्षक सर्वेक्षक के पद पर नियुक्त हुआ था. इसके साथ मैं पिछले साल 6 सितंबर 2023 से सर्वे ऑफ इंडिया पुणे डिवीजन में निदेशक के पद पर कार्यरत हूं.
सवाल : सर्वे ऑफ इंडिया क्या है? इसमें क्या-क्या काम किए जाते हैं?
जवाब : भारतीय सर्वेक्षण विभाग हमारे देश का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय मानचित्रण संस्थान है या हम कह सकते हैं यह मैपिंग एजेंसी है. भारतीय सर्वेक्षण विभाग समग्र सीमाओं के संबंध में डेटा एकत्र करने के लिए जिम्मेदार है. 2022 में विशेष राष्ट्रीय भूस्थानिक पॉलिसी आई है, इस पॉलिसी के बाद से हमारे चार प्रकार के काम हैं. इसमें गांव की सीमाओं से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं का प्रबंधन करना, राज्यों के बीच सीमा निर्धारण का काम, पॉलिसी के तहत ही टोपोनॉमी का कार्य करना, जिसमें हम देश के सभी गांवों, नदियों, पहाड़ों, बसस्टॉप, रेलवे से संबंधित मैपिंग सर्वेक्षण भी करते हैं और इनके ऑडियो सूची एवं बाइट से स्पष्टता प्रदान करना शामिल है. सरकार को गांवों एवं जगहों के नामों का सही उच्चारण और नामों का सही अनुवाद प्रदान करने का भी काम हमारे विभाग का है. वर्तमान में हमने गांव की सीमा का सामंजस्य ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के साथ मिलकर शुरू किया है. सर्वे ऑफ इंडिया कंटीन्यूअस ऑपरेटिंग रेफरेंस स्टेशंस के माध्यम से एक बड़ा नेटवर्क बना रही है, जिसके तहत विभाग लगातार ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) ऑब्जर्वे शन करते रहते हैं. अभी तक हमने 1000 अलग-अलग जगहों पर जीपीएस लगाए हैं. महाराष्ट्र में 77 जगहों और गोवा में हमने 3 जगहों पर जीपीएस लगाए हैं. 2030 तक हमारा टारगेट देश के लिए डिजिटल एलिवेशन मॉडल बनाने का है. इसके साथ सबसे विशेष परियोजना जो आईएएस ऑफिसर महासेवक हितेश मकवाना द्वारा निकाली गई है वह है ड्रोनगिरी, जो नागरिकों के लिए डिजाइन की गई है, इसका कार्य अभी जारी है.
सवाल : सर्वे ऑफ इंडिया की स्थापना कब हुई और उसके उद्देश्य के बारे में जानकारी दें?
जवाब : सर्वे ऑफ इंडिया ब्रिटिश काल से ही देश सेवा के लिए कार्य कर रहा है. यह केंद्र सरकार का सबसे पुराना विभाग है और 1767 से सेवा प्रदान कर रहा है. अग्रेजों ने नक्शे या मैप के माध्यम से जगहों को जानने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया विभाग की स्थापना की थी. सर्वे ऑफ इंडिया का मुख्य कार्य सीमा निर्धारित करना है. ताकि दो राज्यों के बीच अगर कुछ सीमा विवाद हो तो डाटा की मदद से स्थान, सीमाओं को लेकर बहस नहीं होनी चाहिए. हमारे द्वारा सरकार को सीमाओं का साइंटिफिक और सटीक डेटा उपलब्ध कराया जाता है.
सवाल : सर्वे ऑफ इंडिया का मुख्य कार्यालय कहां है और देशभर में कुल कितने विभाग द्वारा कामकाज चलता है?
जवाब : सर्वे ऑफ इंडिया का मुख्य कार्यालय देहरादून में है. इस प्रधान कार्यालय के माध्यम से देशभर में भारतीय सर्वेक्षण विभाग के विभिन्न कार्यालयों को दिशा-निर्देश जारी किये जाते हैं. तदनुसार कार्रवाई की जाती है. देशभर में सर्वे ऑफ इंडिया के 17 डायरेक्टरेट कार्यालय, 2 विशेष डायरेक्टरेट कार्यालय, 1 ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, 3 डायरेक्टरेट विंग्स और 4 विशेष डायरेक्टरेट विंग्स हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर जिओ-इनफॉर्मेटिक साइंस एंड टेक्नोलॉजी यह ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट हैदराबाद में है. यहां देशभर से लोग इस क्षेत्र में ट्रेनिंग लेने आते हैं.
सवाल : पुणे विभाग के अंतर्गत कितने जिलों का कामकाज चलता है ?
जवाब : भारतीय सर्वेक्षण विभाग का पुणे प्रभाग महाराष्ट्र और गोवा को कवर करता है. महाराष्ट्र में 36 जिलों और गोवा में कुल 2 जिलों का सर्वेक्षण और मानचित्रण किया गया है. यह राज्य के विकास की योजना बनाने में उपयोगी है. वास्तव में सर्वेक्षण और मानचित्रण करके इसका उपयोग देश की विभिन्न विकास योजनाओं के लिए भी किया जाता है.
सवाल : पुणे विभाग के कार्यक्षेत्र का स्वरूप देखते हुऐ यहां पर्याप्त संख्या में स्टाफ है क्या ?
जवाब : कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त नहीं है. वर्तमान में पुणे विभाग के अंतर्गत 102 कर्मचारी कार्यरत हैं. इसमें प्रथम श्रेणी के 2, द्वितीय श्रेणी में 24 और बाकी सब तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी शामिल हैं. हम आवश्यकता के अनुसार आउटसोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति करते हैं. कर्मचारियों की भर्ती की प्रक्रिया देहरादून स्थित मुख्य कार्यालय के माध्यम से की जाती है और नियुक्ति स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एसएससी) द्वारा की जाती है.
सवाल : स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण वर्ग के बारे में जानकारी दें ?
जवाब : अभी देश के महासर्वेक्षक का हमें निर्देश है कि किसी के भी द्वारा ट्रेनिंग के लिए आग्रह किया जाता है तो हम उन्हें या तो नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर जिओ- इनफॉर्मेटिक साइंस एंड टेक्नोलॉजी हैदराबाद में रेफर करें या हम अपने विभाग में उन्हें ट्रेनिंग प्रदान करें. इसलिए कोई भी अगर हमें ट्रेनिंग का आग्रह करते हैं तो हम मना नहीं करते हैं. पिछले 6 महीनों में हमने कई स्कूलों और कॉलेजों में प्रशिक्षण प्रदान किया है. हाल ही में, हमने विभिन्न स्कूलों के छात्रों को मुफ्त 4000 शिक्षा मानचित्र भी वितरित किए. स्कूल प्रशासन के अनुरोध पर सर्वे ऑफ इंडिया स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन कर रहा है. हर साल विज्ञान दिवस के मौके पर विज्ञान प्रदर्शनी आयोजित की जाती है. इसमें विभिन्न स्कूलों के छात्र यहां आते हैं. उस वक्त भी उन्हें यहां के काम के बारे में जानकारी दी जाती है.
सवाल : सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा मैप्स अपडेशन व प्रिंटिंग के अलावा और कौन से प्रकाशन किए जाते हैं ?
जवाब : अब सर्वे ऑफ इंडिया की कार्यप्रणाली को डिजिटल कर दिया गया है. तो डेटा डिजिटलीकृत है. इसके अलावा पॉलिटिकल मानचित्र, राज्य मानचित्र, पहाड़ी मानचित्र, ट्रैकिंग मानचित्र, पर्यटक गाइड मानचित्र भी प्रकाशित किये जाते हैं. ये मानचित्र हिंदी और अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किए गए हैं. मानचित्र प्रकाशित करने से पहले भाषाविदों का भी मार्गदर्शन लिया जाता है. इसके साथ यह स्थानीय नागरिकों के लिए जरूरी है कि मानचित्र क्षेत्रीय भाषाओं में रहे, इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस संबंध में मुख्यालय को अवगत कराया जायेगा. इसके साथ हमने कई सरकारी कार्यालयों में अपने नए पॉलिटिकल मैप भेजकर वहां से पुराने मैप हटा दिए हैं. इसके साथ अब सब डेटा डिजिटल है और जैसे ही कोई परिवर्तन होता है हम वैसे ही अपने डेटा को अपडेट कर देते हैं. हमारी एक विंग है इंटरनेशनल बाउंड्री डायरेक्टरेट ये इंटरनेशनल बाउंड्री तय करती है. यह विंग विदेश मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करती है. हमारे निदेशालय को इंटरनेशनल बाउंड्री तय करने का अधिकार नहीं है.
सवाल : क्या सर्वे ऑफ इंडिया भारत के मैप्स का प्रकाशन करनेवाली एकमात्र संस्था है ?
जवाब : जी हां, सर्वे ऑफ इंडिया एक ऐसी संस्था है जो भारत और उसके राज्यों तथा अन्य विषयों के मानचित्र प्रकाशित करती है. अगर किसी कंपनी को मानचित्र प्रकाशित कराना है तो उसे सर्वप्रथम विभाग से अनुमति लेनी होती है. सवाल : मैप्स में क्या समय-समय पर कुछ बदलाव किए जाते हैं या नहीं, किस प्रकार के बदलावकिए जाते हैं? जवाब : हमें जैसे ही बदलाव की जानकारी मिलती है हम वैसे ही मानचित्र अपडेट कर देते हैं. जब डिजिटलाइजेशन नहीं हुआ था तो हम हर 5 साल में बदलाव करते थे, लेकिन अब जैसे ही कोई बदलाव होता है हम तुरंत उसकी जानकारी मानचित्र में अपडेट कर देते हैं.
सवाल : आपके प्रकाशन क्या सब्सिडाइअड कीमतों में बेचे जाते हैं?
जवाब : अधिकांश सब्सिडाइअड ही हैं, हमारी कीमत 150 रुपये है और अगर कोई प्रकाशन किया जाता है तो 250 रुपये हम शुल्क लेते हैं और अक्सर तो हम मुफ्त में ही मानचित्र दे देते हैं. इसके साथ ऑनलाइन मैप भारतीय सर्वेक्षण विभाग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं.
सवाल : मैप्स प्रिंट या प्रकाशित करने से पहले उनका अपडेशन करने की प्रक्रिया क्या होती है ? क्या जमीन की प्रत्यक्ष गिनती (मोजणी) की जाती है ?
जवाब : मैप प्रकाशित या उनके अपडेशन से पहले हमें देहरादून स्थित प्रधान कार्यालय की अनुमति लेना अनिवार्य है. हम मैपिंग के लिए अभी बड़े पैमाने पर ड्रोन और लिडार (लाइटिंग डिटेक्शन एंड रेंजिंग) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं.
सवाल : स्वामित्व योजना के बारे में जानकारी दें? स्वामित्व योजना के अंतर्गत महाराष्ट्र में कितने गांवों का ड्रोन मैपिंग किया गया है ?
जवाब : स्वामित्व योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई है. इसके तहत हम ड्रोन की सहायता से प्रॉपर्टी की मैपिंग करते हैं और प्रॉपर्टी कार्ड बनाते हैं जिसपर प्रॉपर्टी की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है और यह प्रॉपर्टी कार्ड हम राज्य सरकार को प्रदान करते हैं फिर सरकार प्रॉपर्टी कार्ड संबंधित मालिकों को सौंप देती है. यह उनके लिए प्रॉपर्टी दस्तावेज के समान है. यह उनको मालिकाना हक प्रदान करती है. इस प्रॉपर्टी कार्ड पर ग्रामीण क्षेत्र के लोग लोन भी ले सकते हैं. ग्रामीण लोगों को उनकी जमीन का मालिकाना हक दिया जाए इसके लिए स्वामित्व योजना लागू की गई. महाराष्ट्र में ड्रोन की सहायता से 36 हजार गांवों की मैपिंग का कार्य जारी है और अभी तक 13 हजार गांवों की मैपिंग पूरी हो चुकी है. साथ ही 28 लाख प्रॉपर्टी कार्ड भी बांटे गए हैं. हमारा शेष गांवों की प्रॉपर्टी मैपिंग और कार्ड बनाने का कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है. इसके साथ इस परियोजना से सरकार के पास ग्रामीण इलाकों की जमीन का रिकॉर्ड होगा.
सवाल : मॉडर्न मैपिंग टेक्नोलॉजी, डिजिटल जिओग्राफिकल मैप, टोपोग्राफिकल मैप, सीमावर्ती मैप, रेल्वे मैपिंग के लिए कौनसी तकनीक का उपयोग करते हैं ?
जवाब : हम किसी के लिए भी कोई विशेष या अलग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करते, हमारे पास किसी भी विभाग से जिस तरह की रिक्वायरमेंट आती है उस अनुसार हम मैपिंग के लिए उपकरणों एवं टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. उदहारण के तौर पर जैसे हमें बोला गया कि रोड की मैपिंग करनी है तो हम रोड में एक जीपीएस लगा देते हैं और आर्क मैप सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा वर्तमान में हम हर छोटी से छोटी मैपिंग भी ड्रोन से कर रहे हैैं.
सवाल : पुणे विभाग के लिए नई बिल्डिंग प्रस्तावित है क्या ? कुल मिलाकर नई बिल्डिंग का खर्च कितना अपेक्षित है ?
जवाब: इस नई बिल्डिंग के लिए हमारे द्वारा प्रस्ताव सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्ल्यूडी) को पहले ही भेजा जा चुका है. नई बिल्डिंग को सुविधाजनक बनाया जाएगा क्योंकि वर्तमान बिल्डिंग कार्य करने के लिए अपर्याप्त है. नई बिल्डिंग में डिजिटल सेक्शन होगा, अधिकारियों को बैठने के लिए जगह होगी, नई बिल्डिंग हमारे विभाग के परिसर में ही निर्माण की जाएगी. नई बिल्डिंग में 2 फ्लोर प्रस्तावित है