मैं खुद को ही अपना ‌‘आइडॉल‌’ मानता हूं : स्वप्निल कुसाले

पुणे श्रमिक पत्रकार संघ के ‌‘वार्तालाप‌’ कार्यक्रम में निशानेबाजी में ब्रांज मेडल विजेता ने कहा

    10-Aug-2024
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पुणे, 9 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
मैंने जिस स्थिति में सफलता प्राप्त की, वह मुझे पता है. इसके चलते मैं खुद को ही मेरा आइडॉल मानता हूं. यह राय निशानेबाजी में ब्रांज मेडल विजेता स्वप्निल कुसाले ने गुरुवार को पुणे श्रमिक पत्रकार संघ द्वारा आयोजित ‌‘वार्तालाप‌’ कार्यक्रम में व्यक्त की. यहां पुणे श्रमिक पत्रकार संघ के अध्यक्ष सुनीत भावे, महासचिव मीनाक्षी गुरव, ट्रेजरर शिवाजी शिंदे एवं प्रशिक्षक दीपाली देशपांडे उपस्थित थे. स्वप्निल ने कहा कि मैंने जो सफलता अर्जित की, वह मैं अच्छी तरह जानता हूं. मैं कभी किसी के दबाव में नहीं आया. मेरे मनोरोग विशेषज्ञ ने मुझे केवल बॉडी पर फोकस करने की सलाह दी थी. दबाव से कैसे निपटें यह महत्वपूर्ण होता है. दबाव दूर करने की सलाह उन्होंने मुझे दी. इस वजह से मैं ही खुद का आइडॉल हूं.
 
मैंने इसी खेल को करियर बनाने का निर्णय लिया है. प्रशिक्षक, सरकारी अधिकारी एवं सरकार के सहयोग से ही मुझे यह सफलता मिली है, मगर मैं इस सफलता से ज्यादा खुश नहीं हूं. मैंने गोल्ड मेडल जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है. मैं वह लक्ष्य एक दिन जरूर पूर्ण कर लूंगा, यह मुझे विश्वास है. मैंने सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त बर्बाद न करते हुए खुद पर फोकस रखने का निर्णय लिया है. सोशल मीडिया की वजह से समय बर्बाद होता है. ग्रामीण भागों में खिलाड़ी तैयार हो सकें, इसके लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए. दो मुकाबलों के बीच जो समय होता है, उसमें सभी खिलाड़ी अपने कंफर्ट जोन में रहते हैं. उन्हें इससे रिलैक्स महसूस होता है. प्रशिक्षक देशपांडे ने कहा कि हमारी पीढ़ी के पास तकनीकी ज्ञान था, जो हमारे प्रशिक्षकों के पास नहीं था.
 
तब ऑलम्पिक में पहुंच पाना स्वप्न जैसी बात थी, मगर अब नई पीढ़ी में ऑलम्पिक में मेडल जीत पाना यह एक स्वप्न होता है. स्वप्निल ने उसी स्वप्न को साकार किया है. उसकी शुरुआत ही उस स्वप्न के साथ हुई थी. इस खेल की दृष्टि से पिछले 10-15 सालों में बहुत बदलाव हुआ है. खेल के क्षेत्र में सभी लोग ऑलम्पिक जीतें ही, ऐसा नहीं है. खेल में सफलता प्राप्त करना अच्छी बात है, मगर अन्य क्षेत्रों में भी करियर बनाया जा सकता है. स्वप्निल ने गुरुवार की सुबह दगड़ूसेठ हलवाई गणपति मंदिर जाकर भगवान श्री गणेश के दर्शन किए. बालेवाड़ी स्थित गगन नारंग एकेडमी में भी उसका जोर-शोर से स्वागत किया गया.