सभी पंथ एक मंच पर आएं : शंकराचार्य प्रज्ञानंद

17 Aug 2024 13:23:01
 
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मुंबई, 16 अगस्त (आ.प्र.).
 
इस समय देश और विदेश में जो स्थितियां बन रही है और सनातन संस्कृति को आघात पहुंचाने के जो सुनियोजित प्रयास हो रहे है, उसे देखते हुए हमारी सनातन परंपरा की समस्त इकाइयों चाहे वे हिंदू हो, जैन हो, बौद्ध हो, सभी धर्माचार्यों, उपदेशों को एक मंच पर आकर विधम शक्तियों के षड्यंत्रों से समाज को सचेत और जागृत करना होगा. यह समय की महत्ती आवश्यकता है. यह बात मुंबई में चातुर्मास कर रहे द्वारका शारदापीठ और ज्योतिर्मठ पीठ के दी पीठाधेीशर जगद्गुरु शंकराचार्य प्रज्ञानंद सरस्वती ने आज राजस्थान प्रेस क्लब द्वारा आयोजित एक पत्रकार-वार्ता के दौरान पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए कही. उन्होंने बांग्लादेश में घट रही घटनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जो भी हो रहा है वह पीड़ादायी है लेकिन साथ ही हमारी आंखें खोलने के लिए प्रकृति यह करवा रही है ताकि हम सचेत हो जाय और सनातन संस्कृति को आघात पहुंचाने के कुत्सित प्रयासों को नेस्तनाबूद कर सके.
 
इसलिए भारत की भूमि पर जिन पंथ परंपराओं ने जन्म लिया है, वे सभी एक मंच पर आकर सामूहिक प्रयासों से समाज की रक्षा करने की कवायद करें. उन्होंने धर्म के विभिन्न आयामों का उल्लेख करते हुए कहा कि हिंसा पर आधारित किसी मजहब को धर्म की संज्ञा दी ही नहीं जा सकती. धर्म केवल उपासना पद्धति का नाम नहीं है. शोशत, सत्य और नित्य ही धर्म होता है. चातुर्मास आयोजक समाजसेवी गणपत कोठारी ने दी पीठाधेीशर जगद्गुरु शंकराचार्य प्रज्ञानंद जी सरस्वती के मुंबई में चातुर्मास की उपादेयता और इस दौरान विभिन्न धर्माचार्यों से परस्पर संवाद करते हुए सांस्कृतिक एकता को मजबूत करने के सूत्रों से पत्रकारों को परिचय करवाया गया. इसी दौरान जगदीश पुरोहित द्वारा परिकल्पित श्रीमद्‌‍ आदि शंकराचार्य द्वारा रचित सचित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्‌‍ की तस्वीर प्रज्ञानंद को भेंट की गई. राजस्थान प्रेस क्लब द्वारा आयोजित इस पत्रकार-वार्ता में क्लब के अध्यक्ष कन्हैयालाल खंडेलवाल, संस्थापक जगदीश पुरोहित, सचिव व्यास कुमार रावल, कोषाध्यक्ष दिनेेशर माली, हरीश राजावत, सुरेश भंसाली, पुरुषोत्तम रावल, दिनेश भंसाली सहित कई पत्रकार मौजूद रहे.
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