फुरसुंगी व उरूली को मनपा से हटाने के फैसले से ग्रामीण नाराज

12 Sep 2024 14:10:17

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पुणे, 11 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
दो गांवों (फुरसुंगी और देवाची उरूली) को मनपा की सीमा से बाहर करने के सरकार के फैसले पर स्थानीय स्तर पर महायुति के भीतर ही विवाद की आग भड़कने के संकेत मिल रहे हैं. 70 फीसदी ग्रामीणों ने इस फैसले का विरोध किया, क्योंकि मनपा से गांवों को बाहर करने के बाद गांवों के विकास कार्यों पर दीर्घकालिक असर पड़ेगा. इसके बावजूद सरकार द्वारा लिये गये इस निर्णय के खिलाफ गांव वालों ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का फैसला किया है. फुरसुंगी और देवाची उरूली को अन्य 9 गांवों के साथ 2017 में मनपा में शामिल किया गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में गांवों को मनपा में शामिल किया गया.
 
इसके बाद यहां मनपा का चुनाव भी हुआ. साथ ही ग्राम पंचायतों के कर्मचारियों को मनपा की सेवा में समाहित कर लिया गया. हालांकि 2022 में राज्य में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महायुति सरकार के गठन के बाद, शिवसेना के पूर्व मंत्री विजय शिवतारे ने इन दो गांवों, फुरसुंगी और देवाची उरूली को मनपा से बाहर करने की मांग की. इस मांग के पीछे दावा किया गया था कि इन गांवों से ग्राम पंचायत से ज्यादा प्रॉपर्टी टैक्स वसूला जा रहा है और उसकी तुलना में बुनियादी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. दिसंबर 2022 में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा इन गांवों को बाहर करने की घोषणा किये जाने के बाद दोनों गांवों में दो गुट बने. इन गांवों के लगभग 70 फीसदी ग्रामीणों ने सरकार के फैसले का विरोध किया.
 
इतना ही नहीं कोर्ट में याचिका भी दायर की गई. कोर्ट ने सरकार को ग्रामीणों की स्थिति समझने का निर्दे श देते हुए यह भी निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को फिर से कोर्ट में अपील करने का मौका मिलेगा. इस बीच, मार्च 2023 में राज्य सरकार द्वारा इन दोनों गांवों को बाहर करने की प्रक्रिया शुरू किये जाने के बाद मनपा ने इन गांवों में चल रहे विकास कार्यों को रोक दिया. केवल दैनिक सफाई और प्रकाश व्यवस्था जैसी आवश्यक सुविधाएं ही बरकरार रखी गईं. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी सत्ताधारी नेताओं ने गांवों को बाहर करने को लेकर कोई भूमिका स्पष्ट नहीं की. सिर्फ मनपा को आदेश दिया गया कि शामिल सभी गांवों में प्रॉपर्टी टैक्स का बकाया वसूलने के लिए अभियान न चलाया जाये. हालांकि, अब विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने गांवों को बाहर करने का आदेश दिया है, जिससे स्थानीय लोगों में खलबली मच गई है.
 
नगर परिषद्‌‍ बनने से टैक्सेशन का अधिकार मिलेगा
पुरंदर में नया हवाई अड्डा बन रहा है. इससे इस क्षेत्र का विकास होगा. पहले साल में ही विकास शुल्क के जरिए 250 करोड़ रुपये की इनकम होगी. एक मंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान, इस क्षेत्र में सभी सड़कें और ड्रेनेज लाइनें पूरी हो चुकी हैं, जो मेरे पुरंदर निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है. पानी सप्लाई के लिए राज्य पेयजल योजना के माध्यम से 80 प्रतिशत कार्य हो चुका है. इसलिए अब हमें मनपा की जरूरत नहीं है. नगर परिषद्‌‍ बनने के बाद टैक्सेशन (कर निर्धारण) का अधिकार यहीं के नगरसेवकों को मिलेगा. इससे यह ए क्लास नगर परिषद्‌‍ बनेगी, इसलिए हमने गांवों को बाहर करने की मांग की.
 
गांवों के विकास पर प्रभाव पड़ेगा
स्थानीय नागरिक व भाजपा पदाधिकारी रणजीत रासकर ने कहा कि फुरसुंगी और उरूली देवाची को मनपा से बाहर नहीं किया जाना चाहिए. 70 प्रतिशत ग्रामीणों का मानना है कि इसका गांवों के विकास पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा. यही कारण है कि हमने गांवों को बाहर करने के सरकार के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद सरकार ने गांवों को बाहर करने का फैसला टाल दिया. कोर्ट ने निर्देश दिया था कि गांवों को बाहर करने की प्रशासनिक प्रक्रिया में भी ग्रामीणों की बात एक बार फिर सुनी जानी चाहिए. हालांकि सरकार ने बाद में ग्रामीणों को नहीं बुलाया. कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करते हुए सरकार ने आपसी सहमति से फैसला लिया है और इस फैसले के खिलाफ फिर से कोर्ट में अपील की जायेगी.
 
 
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