पुणे, 15 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
केंद्रीय सड़क परिवहन और हाई-वे मंत्री नितिन गड़करी ने कहा कि हम कहते थे कि मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे की वजह से अगले पचास वर्षों तक ट्रैफिक में कोई समस्या पैदा नहीं होगी, लेकिन सच यह है कि अभी भी ट्रैफिक जाम की समस्या का समाधान नहीं हुआ है. इसलिए अटल सेतु से निकलते ही मुंबई से बेंगलुरु तक चौदह लेन का एक्सप्रेस-वे बनाया जाएगा. इस काम का कॉन्ट्रैक्ट भी जारी कर दिया गया है. इस रोड को पुणे के रिंग रोड से जोड़ा जाएगा और अगले छह महीनों में इसका काम शुरू हो जाएगा. इससे पुणे-मुंबई का सफर और भी तेज हो जाएगा.
इंजीनियर दिवस पर सीओईपी प्रौद्योगिकी वेिशविद्यालय (टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी) और सीओईपी पूर्व छात्र संघ द्वारा अभियंता दिवस पर आयोजित ‘सीओईपी अभिमान पुरस्कार’ समारोह में गड़करी बोल रहे थे. इस अवसर पर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल, कुलपति डॉ. सुनील भिरूड, नियामक बोर्ड (रेगुलेटरी बोर्ड) के अध्यक्ष प्रमोद चौधरी, पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष भरत गीते, मानद सचिव डॉ. सुजीत परदेशी आदि उपस्थित थे. इस वर्ष का सीओईपी जीवनगौरव पुरस्कार वरिष्ठ उद्योगपति पी.एन. भगवती की ओर से लोहिया ने स्वीकार किया. इसके अलावा अभिनेता वैभव तत्ववादी, राज्य पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव प्रवीण दराड़े, सिक्किम के कैबिनेट मंत्री राजू बसनेत, जेपी मॉर्गन चेस की सीईओ मेनका पानपालिया और टेस्ला मोटर्स के वरिष्ठ निदेशक ऋषिकेश सागर को सीओईपी अभिमान पुरस्कार से सम्मानित किया गया. गड़करी ने कहा, समाज की जरूरतों के आधार पर शोध किया जाना चाहिए और इससे उत्पन्न सेवाएं, चीजें और उत्पाद आम आदमी के लिए किफायती होने चाहिए. हमें हर क्षेत्र में रोजगार पैदा करने वाली और निर्यात बढ़ाने वाली तकनीक अपनानी होगी.
जब तक मैं हूं, देश में चालक रहित कारें नहीं आएंगी
हमें ऐसी तकनीक की जशरत है जो समाज और गरीबों के जीवन को बदल दे. जहां तक मेरी बात है तो देश में चालक रहित कारें नहीं आएंगी. यह संशोधन अच्छा है या बुरा, इससे मुझे कोई लेना-देना नहीं है. गड़करी ने यह भी कहा कि देश में 22 लाख लोगों को रोजगार मिला है. स्मार्ट सिटी नहीं बल्कि स्मार्ट गांव जरूरी कृषि अर्थव्यवस्था की उपेक्षा के कारण शहर की जनसंख्या बढ़ रही है. स्मार्ट सिटी नहीं, बल्कि स्मार्ट गांव बनाने चाहिए. इसके लिए कृषि क्षेत्र को पानी, जंगल, जमीन और प्राणियों पर आधारित नई टेक्नोलॉजियों से पूरक बनाने की जरूरत है. देश की 65 प्रतिशत आबादी कृषि अर्थव्यवस्था पर आधारित है. जब तक गांव, गरीब, मजदूर और किसान समृद्ध नहीं होंगे, तब तक हम आत्मनिर्भर भारत नहीं कहलाएंगे. किसान अब सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि ऊर्जा प्रदाता बन गया है. अगर ग्रामीण इलाकों में रोजगार पैदा होगा तो लोग शहरों में क्यों आएंगे?