समस्याओं के हल हेतु राजनीति में सेवा परमो धर्म का सूत्र याद रखें

पंजाब विधान सभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवान ने एमआईटी डब्ल्यूपीयू कार्यक्रम में कहा

    18-Sep-2024
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seva 
 
कोथरुड, 16 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) ‌
 
‘सेवा परमो धर्म' के सूत्र को ध्यान में रखते हुए राजनीति में प्रवेश करना चाहिए. सामाजिक समस्याओं का समाधान जन सेवा के माध्यम से ही किया जा सकता है. जब समाज के प्रत्येक व्यक्ति का विकास होगा, तभी भारत वेिशगुरू बनेगा, ऐसे विचार पंजाब विधान सभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवान ने रखे. वे एमआईटी डब्ल्यूपीयू में मिटसॉग के 20वें बैच की शुरुआत करते हुए आयोजित समारोह में बोल रहे थे. एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट द्वारा आयोजित इस मास्टर्स इन पॉलिटिकल लीडरशिप एंड गवर्नमेंट (एमपीजी) के 20वें बैच की शुरुआत शुक्रवार (13 सितंबर) को की गई. इस मौके पर राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी और महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित थे.
 
कार्यक्रम की अध्यक्षता माईर्स एमआईटी के संस्थापक अध्यक्ष एवं एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो. डॉ. वेिशनाथ दा. कराड ने निभाई. यहां एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट के संस्थापक और डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल वेिशनाथ कराड, एमआईटी मिटसॉग के निदेशक डॉ. के. गिरीसन और श्रीधर पब्बीशेट्टी उपस्थित थे. कार्यक्रम में गणमान्य अतिथियों द्वारा राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन की पुस्तक का विमोचन किया गया. डॉ. नीलम गोर्हे ने कहा कि सरकार और प्रशासन, न्यायिक संस्थाओं, शिक्षा व्यवस्था, सांस्कृतिक परिवर्तन को समझिए. लोगों से ज्ञान प्राप्त कीजिए. सुनने की आदत रखें और विधायी उपकरणों को अपनाएं. इसी तरह जब आप राजनीति में उतरते हैं तो आपको व्यक्तिगत, सामाजिक और जीवन कल्याण के बारे में अधिकार और आत्मवेिशास मिलता है.
 
डॉ. सी. पी. जोशी ने कहा, राजनेताओं का काम विषम समाज को एक साथ लाना है. प्रत्येक युवा में कौशल का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है. देश में राजनीति क्षेत्र में उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है. प्रो. डॉ. वेिशनाथ कराड ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम्‌‍ की अवधारणा को लागू करने के लिए हिंदू राष्ट्र नहीं बल्कि हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करना जरूरी है. कुलपति डॉ. आर. एम. चिटणीस ने अपने विचार रखे. डॉ. परिमल माया सुधाकर ने मिटसॉग की स्थापना की पृष्ठभूमि बताई. छात्रा संस्कृति ढोलमा एवं ध्रुव सावजी ने अपने विचार प्रस्तुत किये. प्रो. डॉ. गौतम बापट ने सूत्रसंचालन किया.