चाकण, 19 सितंबर ( आ.प्र.)
घरेलू वाहन कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा नई वीरो के लांच के साथ हल्के वाणिज्यिक वाहन (एलसीवी) खंड में अपनी अग्रणी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी तांत्रिक विकास विभाग के अध्यक्ष आर वेलु स्वामी ने बताया कि कंपनी का लक्ष्य शुरुआत में 5,000 इकाइयों की मासिक बिक्री करना है. 3.5 टन से कम वजन वाले सीवी सेगमेंट में महिंद्रा की हिस्सेदारी 51.2% है. इस सेगमेंट में दो डिवीजन हैं. 2 टन से कम और 2 टन से 3.5 टन. 2 टन से कम वजन वाले सेगमेंट में महिंद्रा की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 22 में 40% से बढ़कर अब 51% हो गई है. 2 टन से 3.5 टन वाले सेगमेंट में इसकी हिस्सेदारी वित्त वर्ष 22 में 55% से बढ़कर अब 63% हो गई है. महिंद्रा एंड महिंद्रा के ऑटोमोटिव डिवीजन के अध्यक्ष विजय नाकरा ने कहा कि जिस तरह से उत्पाद को डिजाइन किया गया है, वह इंट्रा-सिटी स्पेस में काम करना है और इसकी पेलोड क्षमता 1.2 टन से 1.7 टन है. इस उत्पाद के साथ, हमारा मानना है कि हमारी बाजार हिस्सेदारी 40% से काफी बढ़ जाएगी.
वीरो महिंद्रा के अर्बन प्रॉस्पर प्लेटफॉर्म पर आधारित है, जो भारत का पहला ग्राउंड-अप मल्टी-एनर्जी मॉड्यूलर सीवी प्लेटफॉर्म है और इससे इंटरनल कम्बशन इंजन (और इलेक्ट्रिक मॉडल बनाए जा सकते हैं. वाहन की कीमत 7.99 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) से शुरू होती है.नाकरा ने कहा कि हमने वीरो के लिए 120,000 यूनिट की वार्षिक क्षमता स्थापित की है. यह वाहन कई पावरट्रेन में कई पेलोड क्षमताओं में आएगा. तभी हम पूरी क्षमता का उपयोग कर पाएंगे. हम वर्तमान में प्रति माह 5,000 यूनिट की उम्मीद कर रहे हैं. जैसे ही हम इलेक्ट्रिक और 1-टन सेगमेंट में एक और अवतार प्राप्त करेंगे, हम प्रति माह 10,000 यूनिट की पूरी क्षमता तक पहुंच जाएंगे. नाकरा ने बताया कि महिंद्रा ने वीरो के जिन वेरिएंट को लांच किया है, उन पर 900 करोड़ रुपये का निवेश किया है. उन्होंने कहा, जब हम बाकी वेरिएंट और इलेक्ट्रिक को जोड़ेंगे, तो उनकी कीमत 900 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी.