शिवाजीनगर, 4 सितंबर (आ.प)
वर्तमान में विभिन्न कोर्ट में कई तरह लंबित मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पुणे जिला स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष प्रशांत कुलकर्णी ने जनता से अपील की है कि वे सार्वजनिक सेवा मामलों में शीघ्र न्याय के लिए स्थायी लोक अदालत की सेवाओं का लाभ उठाएं. स्थायी लोक अदालत एक प्रभावी मंच है जो विवादों को त्वरित और प्रभावी ढंग से सुलझाने में मदद करता है. स्थायी लोक अदालत का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 22-बी के तहत किया गया है. इसे एक अध्यक्ष और दो सदस्यों के साथ स्थायी निकाय के रूप में स्थापित किया गया है, जो सद्भाव और चर्चा के माध्यम से झगड़ों का समाधान करते हैं. इसके अंतर्गत सार्वजनिक उपयोगिताएं जैसे परिवहन, स्वच्छता, डाक, टेलीग्राफ, बीमा, बैंकिंग और अन्य वित्तीय संस्थान, शैक्षणिक संस्थान, हाउसिंग सोसायटी एवं रियल एस्टेट, बिजली और पानी की आपूर्ति, राज्य और केंद्रीय सेवाएं आदि शामिल हैं. स्थायी लोक अदालत का निर्णय अंतिम और सभी पक्षों पर बाध्यकारी होता है. इसकी क्षेत्राधिकार सीमा 1 करोड़ रुपए तक है. यदि पार्टियां किसी समझौते पर पहुंचने में असफल होती हैं, तो अदालत के पास मामले का निर्णय करने की शक्ति होती है.
मामलों की परिस्थितियों और पक्षों की इच्छाओं, बयानों को सुनने के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाता है. अदालत में पक्षों से कोई भी कोर्ट फीस नहीं ली जाती स्थायी लोक अदालत के एड.अभिजीत रौंदाले ने कहा कि स्थायी लोक अदालत में पक्षों से कोई भी कोर्ट फीस नहीं ली जाती है और पार्टियों को अधिकतम अवसर दिए जाते हैं. साथ ही विवादों को दोनों पक्षों के हितों के आधार पर निपटाने के प्रयास किया जाता है, लेकिन अदालत का लाभ उठाने के लिए अन्य अदालतों में कोई दावा लंबित नहीं रहना चाहिए.
वर्तमान में 594 मामले लंबित
अध्यक्ष प्रशांत कुलकर्णी ने बताया कि इस सेवा का फायदा उठाने के लिए दोनों पार्टियों को समझौता करने के लिए तैयार रहना चाहिए. यह सेवा समय और पैसे दोनों की बचत करती है और न्याय की त्वरित प्राप्ति सुनिश्चित करती है. वर्तमान में स्थायी लोक अदालत में कुल 594 मामले लंबित हैं और नवंबर 2023 से अब तक 97 मामलों का निपटारा किया जा चुका है.