संघर्ष और समर्पण से बनती है पेशेवर की पहचान

12 Oct 2025 15:38:41

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पुणे, 11 अक्टूबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
वकालत सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी और सेवा का माध्यम है. इस पेशे में आने वाले हर वकील को केवल कानूनी ज्ञान ही नहीं, बल्कि धैर्य, ईमानदारी, निडरता और समाज के प्रति संवेदनशीलता की आवश्यकता होती है. हमारे समाज के विभिन्न अनुभवी वकीलों ने अपने कार्यकाल में न केवल कानूनी मामलों में सफलता प्राप्त की है, बल्कि समाज सेवा, न्याय की रक्षा और शिक्षा के माध्यम से आने वाली पीढ़ी को प्रेरित भी किया है. दै.आज का आनंद के लिए प्रो. रेणु अग्रवाल ने पेशवर वकीलों से इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने बताया कि कैसे संघर्ष और समर्पण से पेशेवर पहचान बनती है, और कैसे समाज में सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए वकील अपने ज्ञान और अनुभव का प्रयोग करते हैं. प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश
प्रो. रेणु अग्रवाल (मो. 8830670849)
सघर्ष और समर्पण से बनी पहचान
मेरे दो बेटे और एक बहू हैं और तीनों ही वकील हैं. मेरे बड़े बेटे और बहू दोनों वकालत करते हैं, जबकि मेरा छोटा बेटा अमेरिका की एक प्रसिद्ध लीगल फर्म में नौकरी करता है.मैं स्वयं भी वकालत करती हूं और मुझे वकालत करते हुए अब 18 वर्ष हो चुके हैं. उससे पहले मैं 15 वर्ष तक एक मेडिकल प्रैक्टिसनर के रूप में कार्यरत थी. इसके साथ ही कुशल नगर में मेरा स्कूल है और सिडको में एक जिम भी है. फौजदारी (क्रिमिनल) मामलों में काम करने वाली महिला वकीलों को काफी कठिनाइयां आती हैं. पहले तो पक्षकारों को महिला वकीलों पर भरोसा करने में समय लगता है. उन्हें लगता है कि महिला की आवाज और उसका व्यक्तित्व साक्षी पर प्रभाव नहीं डालेगा. लेकिन जब मैं पक्षकारों को वेिशास में लेकर समझाती हूँ कि मैं पूरी मेहनत से काम करूँगी, तब वे मुझ पर भरोसा करते हैं. सीनियर एडवोकेट्स) के नोट्स बनाना चाहिए. समाज में वकीलों की छवि झूठ बोलने वाले के रूप में होती है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. वकील का काम होता है संपूर्ण तर्क प्रस्तुत करना, मामले को गहराई से समझना, और उसे कानून के अनुसार पेश करके अपने मुवक्किल का पक्ष मजबूती से रखना.
एड. वर्षा घाणेकर, सिडको, संभाजीनगर
 
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संविधान की समझ ही सशक्त समाज की नींव
मेरी उम्र 43 साल है और हमारी बड़ी संयुक्त (जॉइंट) फैमिली है. मैं पेशे से वकील हूँ. पिछले कई वर्षों से प्रैक्टिस करते समय यह अनुभव हुआ है कि जो भी क्लाइंट हमारे पास आते हैं, वे अपनी जीत की गारंटी मांगते हैं. साथ ही यह भी जानना चाहते हैं कि केस का परिणाम (रिजशट) कितने समय में मिलेगा.ऐसे लोगों से मैं हमेशा यही कहता हूँ कि अगर केस सही दिशा में चलता रहा, तो परिणाम समय से पहले भी आ सकता है. मैं स्वयं कभी भी कोर्ट में तारीख़ बढ़ाने की मांग नहीं करता. जो विद्यार्थी इस प्रोफेशन में आना चाहते हैं, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि वकील बनने के शुरुआती दिनों में केवल ज्ञान बढ़ाने पर ध्यान दें. अगर शुरुआत में आप पैसों के पीछे भागेंगे, तो हाथ में केवल निराशा ही आएगी. हमें किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए. हर केस लड़ते समय जज के सामने पूरी तैयारी के साथ खड़ा होना अत्यंत आवश्यक है. इस अख़बार के माध्यम से मैं समाज से यह कहना चाहता हूँ कि कानून की जानकारी भारत के हर नागरिक को होनी चाहिए. आने वाली पीढ़ी यह समझ सके कि हमारा संविधान कितना महान है और यह हमारी रक्षा किस प्रकार करता है.
-एड. रामेेशर यशवंतराव उघड़े (लिंबिकर), गारखेड़ा, संभाजीनगर
 
 
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कानून की समझ ही सशक्त राष्ट्र की पहचान
मैंने अपनी लॉ की पढ़ाई औरंगाबाद से पूरी की. पढ़ाई के दौरान अनेक स्पर्धाओं में भाग लेकर अपनी पब्लिक स्पीकिंग स्किल को निखारा. वर्ष 2003 से मैंने वकालत के पेशे की शुरुआत मुंबई हाईकोर्ट तथा औरंगाबाद हाईकोर्ट से की. अपने 22 वर्षों के प्रैक्टिस के दौरान मैंने अनेक केस सॉल्व किए हैं. मेरा अधिकतर कार्य ग्रुप क्राइम से संबंधित मामलों पर केंद्रित रहा है. मेरा कार्यालय एम्स हॉस्पिटल, हर्सूल टी.वी. पॉइंट रोड पर स्थित है. साल 2023 से 2025 के बीच लगभग 700 जूनियर वकीलों ने मेरे मार्गदर्शन में ट्रेनिंग लेकर वकालत के क्षेत्र में सफलता प्राप्त की है. इनमें से कुछ जिला न्यायाधीश, दीवानी न्यायाधीश, वरिष्ठ स्तर के अधिकारी तथा कुछ प्रथम वर्ग न्यायदंडाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. अपने पूरे 22 वर्षों के अनुभव के आधार पर मैं यह कहना चाहता हूँ कि हमारी प्राथमिक शिक्षा से लेकर हाई स्कूल स्तर तक न्यायालय एवं कानून की मूलभूत पढ़ाई अनिवार्य रूप से शामिल की जानी चाहिए. पुलिस, राजकीय नेता, शासकीय कर्मचारी, न्यायाधिकारी तथा प्रशासकीय सेवा में कार्यरत सभी अधिकारियों के लिए कानून का ज्ञान अनिवार्य (कंपलसरी) किया जाना चाहिए.
एड. प्रवीण भानुदास वाघमारे, संभाजीनगर
 

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मेहनत और ईमानदारी ही सफलता की असली कुंजी
 मेरी उम्र 56 वर्ष है और हमारे घर में मेरी पत्नी, दो बेटे और दो बेटियाँ हैं. हम कई वर्षों से सिस्टर पल्लवी अमले फाउंडेशन नाम से एक चला रहे हैं, जिसके माध्यम से हम विभिन्न स्थानों पर कैंप आयोजित कर समाज के पिछड़े और गरीब लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करते हैं वह भी कानून के दायरे में रहकर. मैं पिछले कई वर्षों से हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस कर रहा हूँ. वकीलों को अपने कार्यकाल में ऐसे कई लोगों का सामना करना पड़ता है, जिनके साथ किसी न किसी प्रकार का अन्याय हुआ होता है. ऐसे लोगों को कानून की सीमाओं में रहकर सही सलाह देना कभी-कभी बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है.इसके साथ ही वकीलों को अपने क्लाइंट्स को अधिक समय देने की वजह से अक्सर अपनी फैमिली को समय नहीं दे पाते.जो भी विद्यार्थी इस क्षेत्र में आना चाहते हैं, मैं उन्हें यही कहना चाहता हूँ कि जीवन में सफलता पाने के लिए मेहनत के अलावा कोई दूसरा शॉर्टकट नहीं है. इसलिए पूरी ईमानदारी से मेहनत कीजिए सफलता अवश्य मिलेगी.
एड. अनंतकुमार गूंगे, प्रेसिडेंट, फैमिली कोर्ट वकील संघ, संभाजीनगर  
 
 
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  सच्चाई, मेहनत और निडरता वकालत का मूल मंत्र

मेरी उम्र 61 साल है. हमारे घर में मेरी पत्नी और दो बेटे रहते हैं. मैं पहले रोटरी क्लब में मेंबर था. सोशल वर्क करना मुझे बहुत पसंद है. मेरा मानना है कि प्रॉब्लम तो हर प्रोफेशन में होती है. वकालत करते समय सबसे पहले हम देखते हैं कि समस्या क्या है. फिर उस समस्या को हर कोण (एंगल) से समझकर और विचार करने के बाद ही उसे हल (सॉल्व) करने की कोशिश करते हैं. इस प्रोफेशन में आने वाले स्टूडेंट्स से मैं यही कहना चाहूंगा कि ईमानदारी (ऑनेस्टी) और मेहनत (हार्ड वर्क) से ही अपना काम करें. सबसे महत्वपूर्ण है कि अपने काम में पारदर्शिता (ट्रांसपेरेंसी) हो. हमेशा अपने काम के दौरान डर की भावना को छोड़कर निडर होकर काम करें.ज्ञान बढ़ाने के लिए पढ़ना, सुनना और लिखने की आदत आवश्यक है. यदि इस फील्ड में लंबे समय तक रहना है, तो इन मूल्यों का पालन अनिवार्य है. हमारे लिए मंदिर और कोर्ट दोनों समान हैं. बिना वजह कोर्ट में मत आइए, मगर अन्याय के विरोध में कोर्ट का दरवाजा खटखटाना भी जरूरी है.
एड. राजेंद्र प्रेमचंद मुगड़िया, संभाजीनगर
 
 
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वकालत समाज सेवा और न्याय की राह

मेरे परिवार में मेरी माँ, पत्नी और दो बच्चे हैं. मैं पेशे से वकील हूँ. वकालत के साथ-साथ मुझे सामाजिक कार्यों में भी गहरी रुचि है. पिछले कई वर्षों से प्रैक्टिस करते समय यह अनुभव होता है कि जो भी क्लाइंट हमारे कार्यालय में आते हैं, वे अक्सर बड़े घबराए हुए और भ्रमित रहते हैं. उन्हें समझ नहीं आता कि इस परिस्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए. ऐसे में सबसे पहले हमें उन्हें धीरज देकर समझाना होता है कि केस कैसे लड़ना है. साथ ही उनके मन में उठ रहे सभी प्रश्नों का उत्तर देकर उन्हें समाधान प्रदान करना पड़ता है. आजकल इस क्षेत्र में काफी प्रतिस्पर्धा (कम्पीटीशन) बढ़ गया है. कुछ लोग अपने फायदे के लिए क्लाइंट को गलत मार्गदर्शन (मिसगाइड) भी कर देते हैं. कभी-कभी क्लाइंट के पास पैसे नहीं होते, फिर भी हमें उन्हें संभालकर सहायता करनी पड़ती है. वकालत एक प्रतिष्ठित प्रोफेशन है. यहां आप समाज से जुड़े रहकर समाज सेवा कर सकते हैं. यदि आप मेहनत और ईमानदारी से अपने क्लाइंट को न्याय दिलाते हैं, तो सफलता निश्चित रूप से आपके कदम चूमेगी.
एड. सूरज सुभानराव देशमुख, रेलवे स्टेशन रोड, छत्रपति संभाजीनगर
 

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धैर्य, एकता और मेहनत से हासिल होती है

सफलता मेरी उम्र 47 वर्ष है और मैं पेशे से वकील हूँ. मुझे जवाहरात (नगीने) का बड़ा शौक है. मैं 2002 से औरंगाबाद सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहा हूँ. मैंने अपने करियर में कई मामलों में पैरवी की है.पहले की तुलना में आजकल कोर्ट के अधिकांश कार्य ऑनलाइन हो गए हैं. शुरू में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन बाद में सब कुछ सेटल हो गया.मैं इस क्षेत्र के सभी स्टूडेंट्स से कहना चाहता हूँ कि चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, डट कर मुकाबला करें. आपको एक दिन सफलता अवश्य मिलेगी, बस धैर्य बनाए रखें. इस समाचार पत्र के माध्यम से मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि एकता में शक्ति हैफफ, और उसके बाद विजय निश्चित है. शर्त केवल यह है कि हम सभी एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें.
एड. शेख शमसुद्दीन वकील, बरी कॉलोनी, रोशन गेट, संभाजीनगर
 
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