नए चेक क्लियरिंग सिस्टम में चुनौतियों से व्यापारी परेशान

16 Oct 2025 14:41:48
 
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शिवाजीनगर, 15 अक्टूबर (आ.प्र.)

भारतीय रिजर्व बैंक ने 4 अक्टूबर 2025 से देशभर में नया चेक क्लियरिंग सिस्टम लागू किया. तब बताया गया था कि घंटों में चेक क्लियर होंगे. उन्नत संस्करण के तहत भुगतान प्रक्रिया और भी तेज और पारदर्शी बनेगी. लेकिन, मौजूदा स्थिति यह है कि 5-6 दिन बाद भी चेक क्लियर नहीं हो रहा है. इससे व्यापारियों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. फिलहाल इस नई व्यवस्था (चेक ट्रंकेशन सिस्टम - सीटीएस) से लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं, लेकिन, शुरुआत में ही काफी चुनौतियां सामने आ रही हैं. कई जगहों पर चेक क्लियरिंग में असहनीय देरी हो रही है. तकनीकी गड़बड़ियां, स्कैनिंग में त्रुटि, नेटवर्क दिक्कतें और सॉफ्टवेयर समस्याओं की वजह से चेक क्लियर नहीं हो पा रहे. ऐसे में व्यापारियों का कहना है कि फिलहाल पुरानी व्यवस्था ही शुरू की जाए और भुगतान तुरंत पूरा किया जाए. नई व्यवस्था का ट्रायल किया जाए. फिर उसके क्रियान्वयन पर विचार किया जाए. दिवाली के समय व्यापारियों को इस तरह की असुविधा का सामना करना ठीक नहीं है. बैंकों में संसाधनों की कमी बताया जा रहा है कि कर्मचारियों को नई प्रक्रिया की अपर्याप्त जानकारी होने से त्रुटियां बढ़ीं हैं. साथ ही ग्राहकों को क्रेडिट रिवर्सल और स्थिति की अस्पष्टता से परेशानी हो रही है. दूसरी ओर सहकारी बैंकों में संसाधनों की कमी और पुराने उपकरणों से तालमेल की दिक्कत हो रही है. ऐसे ही कई कारणों से व्यवसायी और ग्राहक अनावश्यक विलंब से भ्रमित स्थिती में हैं. बदलाव के साथ तालमेल बिठाएं लोगों का मानना है कि आरबीआई का यह कदम निश्चित रूप से साहसिक और प्रगतिशील है, लेकिन बैंकिंग प्रणाली इस बदलाव के साथ तेजी से तालमेल बिठाए, ताकि यह सुधार अपने वास्तविक उद्देश्य घंटों में चेक क्लियरिंग तक पहुंच सके.
बेहतर स्कैनर और मजबूत नेटवर्क की व्यवस्था की जाए

इन चुनौतियों के समाधान के लिए कुछ कदम तुरंत उठाए जाने चाहिए, जैसे कि सभी शाखाओं में बेहतर स्कैनर और मजबूत नेटवर्क की व्यवस्था की जाए. बैंक कर्मचारियों के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं. ग्राहकों को नई प्रक्रिया की जानकारी एसएमएस, ईमेल और नोटिस बोर्ड के माध्यम से दी जाए. छोटे और सहकारी बैंकों को तकनीकी सहायता व अतिरिक्त समय प्रदान किया जाए. साथ ही ग्राहक शिकायतों के लिए त्वरित निवारण प्रणाली लागू की जानी चाहिए. यदि यह प्रणाली पूरी तरह से सुचारू हो जाती है, तो इससे व्यापारियों के कैश फ्लो में बड़ा सुधार होगा और आम नागरिकों को भी तेज भुगतान सुविधा मिलेगी. परंतु, यदि शुरुआती दिक्कतें दूर नहीं हुईं, तो लोगों का भरोसा डगमगा सकता है और वे डिजिटल माध्यमों (जैसे यूपीआई, आईएमपीएस) की ओर अधिक झुक सकते हैं. - सीए सुहास पी. बोरा, वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट, पुणे
 

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दुकानदारों की गुडविल को धक्का लग रहा
चेक क्लियरिंग के संबंध में, वर्तमान में बाजार में बैंकों द्वारा 3-4 दिनों तक चेक क्लियर नहीं हो रहे. दुकानदारोंने आगे चेक देकर रखे हैं. लेकिन, चेक बाउंस हो रहे है. एक बार चेक बाउंस हुआ तो बैंक 500 रुपये चार्ज करती है. वहां किसी भी प्रकार का कॉम्प्रोमाइज नहीं होता. दुकानदारोंको बेहद तकलीफ हो रही है. बैंक क्लियरिंग में देरी होने से दुकानदार हर तरफ से मुश्किल का सामना कर रहा है. करें तो क्या करें..? ऐसी दुविधा है. बैंक द्वारा क्लियरिंग का काम कब तक पूरा होगा इसकी भी ठीक जानकारी नहीं मिल पाती है. दुकानदार परेशान है, साथ ही उनकी गुडविल को धक्का लग रहा है. बैंक की तरफ से क्लियरिंग कब सही होगी और, और कितना इंतजार करना पड़ेगा, यह बात भगवान भरोसे है. मीठालाल जैन, अध्यक्ष, पूना इलेक्ट्रॉनिक्स हायर परचेज एसोसिएशन
 

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असमंजस की स्थिति में व्यापारियों में तनाव का माहौल
नई प्रणाली लागू होने के बाद से चेक क्लियरिंग में कई समस्याएं आ रही हैं. चेक क्लियर होने में पांच से छह दिन लग रहे हैं. इस देरी से व्यापारियों को असुविधा हो रही है. बैंकिंग प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है. यह दिवाली का समय है. अधिक लेन-देन हो रहे हैं. अधिक भुगतान की आवश्यकता है. हालांकि, भुगतान न मिलने पर दूसरा पक्ष माल नहीं भेजता. इससे व्यापारियों में तनाव का माहौल है. दिवाली जैसे त्यौहारों पर भी जब माल की ज्यादा आवश्यकता होती है, उसी समय केवल चेक पास न होने के कारण माल न मिलना बहुत परेशानी की बात है. इसलिए, इस प्रणाली को तुरंत अपडेट किया जाना चाहिए. - महेंद्र पितलिया, सचिव, पुणे व्यापारी महासंघ
 

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समय के साथ नई प्रणाली भी सुचारू काम करेगी
हम उद्योग जगत और नागरिक के तौर पर आरबीआई तथा सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं कि चेक क्लियरिंग प्रणाली को और आधुनिक व सुरक्षित बनाया जा रहा है. नई प्रणाली में पॉजिटिव पे जैसी सुरक्षा व्यवस्था और उसी दिन निपटान जैसी सुविधाएं दी गई हैं. परंतु, व्यवहार में यह बदलाव बैंकों द्वारा अभी पूरी तरह आत्मसात नहीं किया गया है. परिणामस्वरूप, चेक क्लीयरेंस 1-2 दिन की बजाय 2-5 दिन लग रही है, जिससे दिवाली से ठीक पहले सभी उद्योग प्रभावित हो रहे हैं. जैसा कि पहले भी हमने देखा है, जैसे यूपीआई की शुरुआत में कुछ कठिनाइयां आईं, लेकिन आज वह भारत की पहचान बन चुका है और विदेशों में भी गर्व का कारण है. वैसा ही हमें वेिशास है कि समय के साथ यह नई चेक प्रणाली भी सुचारू रूप से काम करेगी और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगी. - कपिल गांधी, एमडी, सिग्मा वन यूनिवर्सल
 
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 फिलहाल पुरानी व्यवस्था तुरंत शुरू की जानी चाहिए
चेक देने वाले व्यक्ति के खाते से पैसे डेबिट हो जाते हैं. लेकिन चेक जमा करने वाले व्यक्ति के खाते में पैसे नहीं जमा होते. बैंक चेक वापस नहीं कर सकते. ऐसे में, इस समय लेन-देन में काफी उलझन है. अगर सिस्टम को अपडेट नहीं किया गया था, या प्रायोगिक तौर पर यह नहीं देखा गया कि यह सिस्टम कैसे काम करता है, तो इसे लागू करने की इतनी जल्दी क्या थी..? यही असली सवाल है. व्यापारियों और लोगों के लाखों-करोड़ों रुपये अटके हुए हैं. यह दिवाली का मौसम है. इस समय लेन-देन में अयादा पैसा खर्च होता है. दुकान में अयादा सामान रखना पड़ता है. लेकिन, चेक क्लियर न होने के कारण सामान उपलब्ध नहीं हो पाता. कुछ लेन-देन, खासकर जमीन के लेन-देन, चेक नंबर डालकर पूरे करने पड़ते हैं. इसलिए, चेक का भुगतान करना पड़ता है. इसलिए, सिस्टम को अपडेट करना और फिर नई व्यवस्था लागू करना अयादा जशरी लगता है. मौजूदा स्थिति से बाहर निकलने के लिए फिलहाल पुरानी व्यवस्था तुरंत शुरू की जानी चाहिए. जिन लोगों ने चेक से भुगतान किया है, उनका भुगतान तुरंत किया जाना चाहिए. - राजेंद्र गुगले, पूर्व अध्यक्ष, दि पूना मर्चेंट्स चेंबर

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