कोल्हापुर, 16 अक्टूबर (वि.प्र.) चंदगड स्थित दौलत शेतकरी सहकारी शुगर फैक्ट्री की ई-नीलामी के माध्यम से होने वाली बिक्री प्रक्रिया पर आखिरकार दिल्ली के ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) ने रोक लगा दी है. इस निर्णय से दौलत शुगर फैक्ट्री के किसान सदस्य संतोष व्यक्त कर रहे हैं. कोल्हापुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के बकाये के कारण दौलत शुगर फैक्ट्री पिछले 12 वर्षों से आर्थिक संकट में थी. इसी पृष्ठभूमि में कोल्हापुर जिला मध्यवर्ती सहकारी (केडीसीसी) बैंक ने वर्ष 2019 में मे. अथर्व इंटरट्रेड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ फैक्ट्री को 39 वर्षों की लीज पर चलाने का करार किया था. इस करार के अनुसार, बैंक के कुल वैधानिक देयों में से 162 करोड़ रुपये की वसूली की जिम्मेदारी उक्त कंपनी की थी. इस लीज करार में उल्लिखित देयों में से 18.8 करोड़ रुपये की शुगर विकास निधि और उस पर लगने वाले ब्याज की वसूली के लिए राष्ट्रीय सहकार विकास निगम (एनसीडीसी) ने हस्तक्षेप करते हुए इस फैक्ट्री को ई-नीलामी प्रक्रिया के तहत बिक्री के लिए रखा था. एनसीडीसी ने 23 अगस्त 2024 को ई-नीलामी प्रक्रिया की घोषणा प्रकाशित की थी और नीलामी 9 अक्टूबर 2025 को होनी थी. लेकिन केडीसीसी बैंक, अर्थ इंटरट्रेड प्राइवेट लिमिटेड और दौलत शुगर फैक्ट्री के प्रबंधन ने इस बिक्री प्रक्रिया के खिलाफ दिल्ली डीआरटी न्यायालय में दलीलें पेश कीं. इस दौरान डीआरटी कोर्ट के वसूली अधिकारी द्वारा जारी फैक्ट्री की नीलामी को गलत ठहराते हुए लिखित और मौखिक दोनों प्रकार की दलीलें अदालत के समक्ष रखी गईं. न्यायालय ने इन दलीलों पर विचार करते हुए फैक्ट्री की बिक्री प्रक्रिया को स्थगित करने का आदेश दिया. बैंक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रीति भट्ट ने पक्ष रखा. केडीसीसी बैंक द्वारा दौलत शुगर फैक्ट्री को चलाने के लिए किया गया लीज करार वैध है, यह बात अदालत ने स्पष्ट की. शुगर फैक्ट्री के स्वामित्व परिवर्तन से संबंधित जारी मामलों के बाद दिल्ली स्थित डीआरटी न्यायालय ने विस्तृत आदेश जारी किया और अधिवक्ता प्रीति भट्ट द्वारा रखे गए तर्कों को स्वीकार करते हुए सहकारी बैंक द्वारा केंद्र सरकार की एनसीडीसी और एसडीएफ जैसी नोडल संस्थाओं के खिलाफ की गई कानूनी कार्रवाई को उचित माना. इस नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए अथर्व इंटरट्रेड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने अपील दाखिल की थी. इस दलील को स्वीकार करते हुए ङ्गडीआरटीफ न्यायालय ने कहा कि केडीसीसी बैंक द्वारा दौलत शुगर फैक्ट्री को चलाने के लिए किया गया लीज करार उचित है. साथ ही, बैंक द्वारा सिक्योरिटाइजेशन एक्ट-2002 के तहत चलाई गई प्रक्रिया को भी न्यायालय ने सही ठहराया.
मंत्री हसन मुश्रीफ ने निभाया अपना वादा
जिला बैंक की एक महीने पहले हुई आमसभा में भी यह मुद्दा उठाया गया था. उस समय बैंक की ओर से अध्यक्ष एवं मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा था कि करार के अनुसार एनसीडीसी के सभी बकायों का भुगतान करने की जिम्मेदारी अथर्व इंटरट्रेड कंपनी की है. यदि कंपनी यह देनदारी नहीं चुकाएगी तो यह राशि केडीसीसी बैंक स्वयं भरेगी और दौलत शुगर फैक्ट्री सदा किसानों की ही संपत्ति बनी रहेगी. इस निर्णय के साथ मुश्रीफ ने अपना वादा निभाया.