लक्ष्मी रोड, 16 अक्टूबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
कई लोग साल भर तरह- तरह की चीजें खरीदते रहते हैं. हालांकि, लोग कुछ बजट और कुछ चीजें ख़ास तौर पर दिवाली के दौरान ख़रीदने के लिए अलग रखते हैं. दिवाली बस कुछ ही घंटे दूर है, ऐसे में ग्राहक बाजारों में अयादा संख्या में दिखाई देने लगे हैं. स्वाभाविक रूप से, व्यापारियों का उत्साह भी बढ़ गया है.
उपभोक्ताओं में इलेक्ट्रॉनिक सामानों का जबरदस्त क्रेज
इस साल दिवाली पर उपभोक्ताओं में इलेक्ट्रॉनिक सामानों का जबरदस्त क्रेज है. जीएसटी में कमी का अच्छा असर देखने को मिल रहा है. खासकर एयर कंडीशनर, एलईडी और डिशवॉशर की बिक्री बढ़ी है. उपभोक्ताओं को इस बात का फायदा मिल रहा है कि अब इन सामानों पर 28% की बजाय 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा रहा है. इस वर्ष उपभोक्ता बड़े पैनल वाले एलईडी खरीदने के लिए तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके अलावा, चूंकि ये सभी चीजें भारत में ही बनती हैं, इसलिए इनकी कीमत भी कम हो गई है. पहले, ऐसे सामान सिर्फ दिवाली के दौरान ही खरीदे जाते थे, लेकिन अब उपभोक्ता साल भर ये सभी चीजें खरीद रहे हैं. हालांकि, चूंकि उपभोक्ताओं को दिवाली के दौरान अपने घरों में नए सामान लाने की आदत होती है, इसलिए हमारा अनुभव है कि दिवाली के दस से पंद्रह दिनों में बिक्री आमतौर पर बीस से पच्चीस प्रतिशत बढ़ जाती है. एयर कंडीशनर अब साल भर बिकते हैं. लोग अब बड़े फ्रिज और बड़े आकार के एलईडी टीवी आसानी से खरीद रहे हैं. विभिन्न कंपनियों द्वारा दी जा रही वित्तीय योजनाओं से मध्यम वर्ग के ग्राहकों को लाभ हुआ है. इसके अलावा, क्रेडिट कार्ड में कैशबैक का विकल्प बहुत अच्छा होने के कारण, ग्राहक इसका भरपूर लाभ उठाते हैं. चूंकि दिवाली के दौरान कई ऑफर दिए जाते हैं, इसलिए इस दौरान बिक्री भी बढ़ जाती है. - मंगेश शाह, मे. योगेश इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वारगेट
मोती के आभूषण खरीदने का रुझान बढ़ रहा
दिवाली के तुरंत बाद शादियों की शुरूआत हो जाती हैं. इसलिए आजकल जो खरीदारी हो रही है, वह दिवाली मनाने के साथ साथ उसके बाद होने वाली शादी में पहनने के लिए है. इस समय सोने की कीमत में काफी बढ़ोतरी हुई है, यह भी एक कारण हो सकता है कि उपभोक्ताओं का मोती के आभूषण खरीदने का रुझान बढ़ा है. यह भी एक सच्चाई है कि कई उपभोक्ता इतनी ऊंची कीमत पर सोने के आभूषण नहीं खरीद पाते. बेशक, सिर्फ सोने की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से ही लोग इमिटेशन ज्वेलरी या मोती के आभूषण नहीं खरीदते. हालांकि, लोगों को ये डिजाइन भी काफी पसंद आते हैं. इसलिए, मोती के आभूषणों की खरीदारी साल भर चलती रहती है. अच्छी फिनिशिंग, मैचिंग विकल्प और तरह-तरह के डिजाइन सोने के आभूषणों जैसे लगते हैं. डिजाइन में, टेंपल ज्वेलरी, रजवाड़ी पॉलिश और मोती के डिजाइन खूब बिकते हैं. दिवाली के दौरान लोग खुद पहनने के लिए कई तरह के आभूषण खरीदते हैं, और ये उपहार देने के लिए भी काफी उपयोगी होते हैं. सुरक्षा भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है. ग्राहक गिफ्टिंग के लिए लगभग 2,000 से 3,000 रुपये का बजट रखते हैं. दिवाली के दौरान, पाड़वा और भैया दूज के दो दिनों में यह खरीदारी पहनने और उपहार देने, दोनों के लिए की जाती है. पिछले कुछ वर्षों में, लोगों की पैसे खर्च करने की इच्छा भी बढ़ी है. यानी, अगर कोई अच्छी चीज हो, तो लोग उसके लिए अयादा पैसे देने को भी तैयार रहते हैं. - कमल सोमाणी, मे. श्रीकृष्णा पर्ल्स, लक्ष्मी रोड
पेस्टल रंग या ज्यामेट्रिकल डिजाइन की मांग ज्यादा
दिवाली बस कुछ ही पलों की दूरी पर है. दिवाली के दौरान कपड़ों की खूब खरीदारी होती है. साथ ही दिवाली के बाद होने वाले विवाह समारोहों के लिए और भी अयादा खरीदारी हो रही है. ख़ास तौर पर पेस्टल रंग या ज्यामेट्रिकल डिजाइन इस समय काफी मांग में हैं. लोग मिश्रित रंगों वाले डिजाइन और उत्पाद अयादा पसंद कर रहे हैं. इन दिनों बेडशीट और साड़ियों की भी अच्छी मांग है. पहले कॉटन कपड़ों का चलन ज्यादा हुआ करता था, अब स्टीच कॉटन का ट्रेंड चल रहा है. आमतौर पर 200 रुपये से शुरू होने वाले कपड़ों की अच्छी मांग है. अब तक बाजार में लगभग पचास प्रतिशत ग्राहक पहुंचे हैं. हमारे इलाके में लगातार लगने वाला ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या बन गया है. इस वजह से, ग्राहक हमारे इलाके में कम ही आते हैं. पहले, यह इलाका खरीदारी के लिए एक केंद्रीय बाजार के रूप में ग्राहकों द्वारा पसंद किया जाता था. लेकिन, लगातार ट्रैफिक जाम रहने से ग्राहकों को अपनी गाड़ियों के लिए पार्किंग की जगह नहीं मिलती. इसके अलावा, दुकानों के सामने अनाधिकृत विक्रेता अपना सामान सजाकर बैठे रहते हैं, जिससे सरकार द्वारा अधिकृत और राजस्व दिलाने वाले व्यापारी मुश्किल में हैं. इससे निपटने के लिए कोई रास्ता निकालना होगा. - उमेश झंवर, अध्यक्ष, रविवार पेठ कपड़ा व्यापारी संघ
ब्रांडेड चीजों के लिए लोग अयादा पैसे देने को तैयार
हमारा व्यवसाय घर की साज-सज्जा और सजावट का है. दिवाली के दौरान चादरें, पर्दे और कालीन अयादा बिकते हैं. ख़ास तौर पर दिवाली पाड़वा के दौरान, बहुत से लोग अपने नए घर में प्रवेश करते हैं. इसलिए, इसके लिए जशरी सजावटी सामग्री की हमारे यहां काफी मांग रहती है. हम सोफा निर्माण का भी काम करते हैं. इस अवसर पर, यह देखा गया है कि लोग अब अपने घरों पर अयादा पैसा खर्च कर रहे हैं, क्योंकि लोग बेहतर रहने का माहौल चाहते हैं. इसके अलावा, अगर ब्रांडेड चीजें हों तो लोग अयादा पैसे देने को भी तैयार रहते हैं. लोग सोचते हैं कि घर का हॉल सजावटी होना चाहिए. क्योंकि, बाहरी लोग ज्यादातर हॉल में आते हैं. लोग चाहते हैं कि हॉल अच्छा दिखे. दिवाली के दौरान, घर के रंग-रूप से मेल खाते (मैचिंग) और डिजाइन वाले पर्दे, डिजिटल प्रिंट और चादरें सबसे अयादा मांग में रहती हैं. इन उत्पादों की कीमत आमतौर पर 2,000 रुपये से 3,500 रुपये के बीच होती है. दिवाली के दौरान उपहार देने के लिए नैपकिन और तौलिये के सेट का अयादातर इस्तेमाल होता है. फिलहाल पांच तरह के सुगंधित नैपकिन और तौलिये की मांग बहुत अयादा है. गौरतलब है कि कपड़े को स्पर्श करके अयादा पहचाना जाता है. इसलिए, ऑनलाइन खरीदारी का हमारे कारोबार पर कोई असर नहीं हुआ है. लोग यहां आते हैं, खुद कपड़ा देखते हैं और फिर ऑर्डर करते हैं. आजकल, ग्राहक इन उत्पादों को खरीदते समय थ्रेड काउंट का भी ध्यान रखते हैं. वर्तमान में बांबू तौलिये की मांग बढ़ रही है. - संतोष पटवा, मे. ए-वन ट्रेडर्स, लक्ष्मी रोड
कपड़ों के साथ बच्चों को अच्छा खिलौना देना भी पसंद
हमारी एक खिलौनों की दुकान है. दिवाली के दौरान, बच्चों के खिलौने उपहार देने और खेलने के लिए बड़ी मात्रा में बिकते हैं. पिछले कुछ वर्षों में, अच्छे खिलौनों के प्रति जागरूकता बढ़ी है. बच्चों में भी खिलौनों का शौक बढ़ा है. खासकर छमाही परीक्षाओं के बाद, माता-पिता एक खिलौना खरीदने का वादा करते हैं. इसलिए, दिवाली के दौरान, खिलौने खरीदने और देने के लिए माता-पिता की बाजार में भीड़ उमड़ पड़ती है. अब, दिवाली पर सिर्फ कपड़े खरीदने के बजाय, माता-पिता अपने बच्चों को एक अच्छा खिलौना देना भी पसंद करते हैं. माता-पिता की सोच यह हो गई है कि बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन नहीं होना चाहिए, लेकिन अगर उनके पास एक अच्छा खिलौना हो, तो काम चल जाएगा. माता-पिता के बीच डिआईवाई का चलन भी बढ़ने लगा है. बच्चे अयादा इलेक्ट्रॉनिक खिलौने चाहते हैं, जबकि माता-पिता रचनात्मक खिलौने देना पसंद करते हैं. क्रिएटिव टॉयज् सेट, आकाश कंदिल बनाने की किट और अन्य खिलौने और सामान भी बाजार में उपलब्ध हैं. माता-पिता और बच्चों दोनों की ओर से इसकी अच्छी मांग है. अब इस लिहाज से अभिभावकों का बजट बढ़ गया है. 250 से 500 रुपये तक के खिलौने खूब बिक रहे हैं. अपने यहां दिवाली के दौरान बच्चें घर के बाहर गढ़-किले बनाते हैं. इन किलों पर बैटमैन जैसे सुपरहीरो, अलग-अलग कारें और अन्य खिलौने रखकर या उनके आसपास की जगह को सजाया जाता है, जिससे बिक्री भी बढ़ गई है. - जयसिंह सुभेदार, मे. रेणुका एंटरप्राइजेज, सदाशिव पेठ
साड़ी पहनने के बाद व्यक्ति का अच्छा प्रभाव पड़े
दिवाली के दौरान सिल्क साड़ियों, पैठणी, गढ़वाल की हमेशा मांग रहती है. इसके अलावा, दिवाली के दौरान लोग फैंसी या नए-नए कपड़े अयादा पसंद करते हैं. दिवाली के बाद शादी-ब्याह में पारंपरिक साड़ियां या अन्य प्रकार के कपड़े इस्तेमाल किए जाते हैं. हालांकि, लोग दिवाली के लिए कुछ अलग, नया चाहते हैं. इस समय रेडीमेड रलाउज वर्क और आर्ट सिल्क का क्रेज है. आमतौर पर 1,000 से 5,000 रुपये की रेंज में आर्ट सिल्क की अच्छी मांग रहती है. प्योर सिल्क की साड़ियां 5,000 रुपये और उससे अयादा की रेंज में उपलब्ध हैं. ग्राहक पारंपरिक शैली में नए डिजाइन या रंगों पर अयादा जोर देते हैं. पैठणी साड़ियों में जॉमेट्रिकल डिजाइन की भी मांग रहती है. लोग अब साड़ियों के डिजाइन में पत्ते और फूल नहीं चाहते. जब लोग उपहार में देने के लिए साड़ियां खरीदते हैं, तो उनकी मांग होती है कि साड़ी का इस्तेमाल होना चाहिए और तो और, साड़ी पहनने के बाद उस व्यक्ति का अच्छा प्रभाव पड़े. कुल मिलाकर, साड़ी शानदार दिखनी चाहिए. उपहार में दी जाने वाली साड़ियों की रेंज लगभग पांच सौ रुपये से लेकर ढाई हजार रुपये तक है. ग्राहक अलग-अलग दुकानों पर आते हैं. हालांकि, हम अयादातर ग्राहकों से व्यक्तिगत संपर्क बनाए रखने की कोशिश करते हैं. देखा गया है कि कोरोना के बाद के दौर में लोग अब बजट के बारे में अयादा नहीं सोच रहे हैं, बल्कि उनकी मुख्य इच्छा और मांग साड़ी पहनने के बाद अच्छा दिखना है. कई लोग अलग-अलग दुकानों या इंटरनेट पर सर्च करके अपने मोबाइल फोन में तस्वीरें लेकर उसी डिजाइन या रंग की साड़ियों की मांग करते हैं. ऐसे लोग ठगे न जाएं, इसके लिए हम आपको प्योर सिल्क और आर्ट सिल्क के बीच का अंतर बताते हैं. - चंद्रकांत जूकंटी, मे. अग्रिमा सिल्क, कुमठेकर रोड
पुरुषों में फैंसी, मैचिंग या अलग स्टाइल के कपड़ों की क्रेज
हमारे पास पुरुषों के लिए, खासकर दिवाली की खरीदारी में, अच्छी वैरायटी है. इसके साथ ही, ग्राहक आने वाली शादियों के लिए भी कपड़े खरीद रहे हैं. रेगुलर वियर, शर्ट और पैंट साल भर खरीदे जाते हैं. इसलिए, दिवाली के दौरान फैंसी, मैचिंग या अलग स्टाइल के कपड़े अयादा पसंद किए जाते हैं. अगर दिवाली जैसा कोई बड़ा त्यौहार हो, तो कुर्ता, इंडो-वेस्टर्न, बंद गले जैसे कपड़ों की मांग अयादा होती है. शनिवार और रविवार सबसे अयादा व्यस्त होते हैं. हालांकि, दिवाली के दौरान पुरुषों की खरीदारी सबसे आखिर में होती है. क्योंकि सबसे पहले बच्चों, लड़कियों और महिलाओं के लिए कपड़े खरीदे जाते हैं, फिर पुरुषों के लिए मैचिंग कपड़े खरीदे जाते हैं. आजकल पुरुष भी फैंसी रंग के कपड़े पहनते हैं. आमतौर पर, उनकी व्यक्तिगत खरीदारी 800 रुपये से 4,000 रुपये तक होती है. जबकि पुरुषों की शादी समारोहों के लिए खरीदारी 5,000 रुपये से 40,000 रुपये तक होती है. ग्राहकों को पता है कि नवरात्रि से बाजार में नया स्टॉक आता है. इसलिए, तब से लोग अच्छे नए और ट्रेंडी कपड़ों की तलाश में रहते हैं. नवरात्रि से दिवाली तक, 25 से 30 प्रतिशत बिक्री होती है. इसके अलावा, इस दौरान ग्राहकों को अच्छे ऑफर, स्कीम और लकी ड्रॉ का भी शौक होता है. ये सभी चीजें इस दौरान ग्राहकों को आकर्षित करती हैं. - अमोल येमुल, मे. श्रीमंत कलेक्शन, कुमठेकर रोड
घर में अच्छा माहौल और ताजगी के लिए धूपबत्ती
तीन पीढ़ियों से लोग हमारे पास पूजा सामग्री खरीदने आते रहे हैं. चूंकि दिवाली मुख्यतः एक धार्मिक त्यौहार है, इसलिए पूजा सामग्री की अच्छी मांग रहती है. गणेशोत्सव से लेकर दिवाली तक धूप, अगरबत्ती, कपूर और धूपबत्ती जैसी सभी पूजा सामग्री की मांग रहती है. अब लोग अयादा प्रीमियम उत्पाद चाहते हैं. लोग अयादा समय तक चलने वाली धूप, धूपबत्ती और कपूर की मांग कर रहे हैं. पूनम अगरबत्ती हमारा प्रसिद्ध ब्रांड है. साथ ही अरबी शैली की, फैंसी, अलग सुगंध देनेवाली धूपबत्ती की मांग बहुत अयादा है. गणेशोत्सव से लेकर दिवाली तक के त्यौहार घर-घर मनाए जाते हैं. इसलिए, इन तीन महीनों में पूजा सामग्री की बिक्री अयादा होती है. इसके अलावा, लोग घर में अच्छा माहौल चाहते हैं. वे ताजगी चाहते हैं. इसके लिए भी अब अगरबत्ती और धूपबत्ती का इस्तेमाल किया जाता है. हर साल बिक्री में लगभग दस से बीस प्रतिशत की वृद्धि हो रही है. मिड-रेंज हमेशा से ही अच्छी रही है. हालांकि, अब प्रीमियम उत्पादों की भी अच्छी मांग है. कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के कारण इस साल कीमतों में दस से बीस प्रतिशत की वृद्धि हुई है. लोग अब अच्छी गुणवत्ता चाहते हैं. बेहतर विकल्प उपलब्ध होने पर लोग अयादा कीमत चुकाने को तैयार हैं. ऑटोमेशन का अच्छा प्रभाव पड़ा है और उत्पादन बढ़ा है. - निर्मल शाह, मे. शाह सुगंधी वर्क्स, गुरुवार पेठ

वस्तुएं सिर्फ दिखावटी होने के बजाय घर पर काम आ सकें
त्यौहारों के दौरान हम दिवाली कॉर्पोरेट गिफ्टिंग का सबसे अयादा काम करते हैं. आमतौर पर लोगों का उपहार देने का बजट 500 से 2,000 रुपये तक होता है. उसमें भी, 1,000 रुपये तक की चीजों की हमेशा अच्छी मांग रहती है. वे घरेलू सामान चाहते हैं और चाहते हैं कि वे सामान इस्तेमाल में आएं. इसलिए, दिवाली के दौरान प्रेशर कुकर, तांबे और पीतल के सामान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बिजली के उपकरणों की अच्छी मांग होती है. दिवाली के दौरान इलेक्ट्रिक केटल, मल्टीकेटल, टिफिन बॉक्स और बोतलों की सबसे अयादा मांग होती है. ये चीजें उपहार देने के लिए बहुत लोकप्रिय हैं. कॉर्पोरेट उपहारों में, कई कार्यालयों में अपने कर्मचारियों को देने के लिए भी ये चीजें बड़ी मात्रा में खरीदी जाती हैं. पिछले कुछ वर्षों में ऐसी चीजों की मांग बढ़ी है जो सिर्फ दिखावटी होने के बजाय घर पर काम आ सकें. शहर में मेट्रो सेवा शुरू होने से हमारे इलाके में आने वाले या मंडई इलाके और उसके आसपास की दुकानों पर आने वाले ग्राहकों के लिए यह बहुत आसान हो गया है. उपनगरों से ग्राहक अब सीधे मेट्रो से यहां आते हैं, खरीदारी करते हैं और वापस लौट जाते हैं. उन्हें ट्रैफिक जाम और भीड़भाड़ से बचने का बड़ा फायदा मिल रहा है. - नितिन काकड़े, मे. काकड़े एंड संस
बच्चों के धैर्य और मस्तिष्क विकास के लिए खिलौनों की मांग
पिछले कुछ वर्षों में रिटर्न गिफ्ट का चलन बढ़ा है. दिवाली में भी यह देखने को मिलता है. दिवाली में भाऊबीज के त्यौहार पर बच्चे अपनी बहनों को उपहार देने के लिए तरह-तरह के रिटर्न गिफ्ट खरीदते हैं. इनमें पिछले कुछ वर्षों में माइंड पजल और माइंड गेम्स की मांग काफी बढ़ गई है. इसके अलावा, ब्रांडेड स्टेशनरी किट अयादा पसंद की जाती हैं. आमतौर पर, एक हजार रुपये तक के खिलौने, बोर्ड गेम, स्टेशनरी किट की मांग रहती है. वर्तमान में, पारिवारिक बोर्ड गेम्स का चलन भी बढ़ा है. माता-पिता स्वयं भी इस प्रकार के खिलौनों, ताश के खेलों, शब्दों के खेलों पर जोर दे रहे हैं. माता-पिता अब ऐसे खेलों की मांग कर रहे हैं जो बच्चों के धैर्य और मस्तिष्क के विकास के लिए उपयोगी हों. माता-पिता किताबों के साथ-साथ खिलौने भी देने के बारे में सोचने लगे हैं. पिछले कुछ वर्षों में स्वदेशी खिलौनों का उपयोग बढ़ा है. अब भारत में कई प्रकार के अच्छे खिलौने बनने लगे हैं. इनकी फिनिशिंग भी अच्छी है, इसलिए भारतीय खिलौनों की मांग बढ़ी है. पहले खिलौनों पर जीएसटी 12% था, जो अब घटकर 5% हो गया है. इसलिए, पिछले साल के मुकाबले खिलौनों की कीमत में लगभग 10 प्रतिशत की कमी आई है. - दिलीप बलकवड़े, मे. सानिका रिटर्न गिफ्ट, बोहरी आली