मशहूर एड गुरु पीयूष पांडे का निधन

26 Oct 2025 13:04:39
 

death 
 
विज्ञापन की दुनिया में अगर किसी ने आम बाेलचाल की भाषा काे ब्रांड की पहचान बना दिया, ताे वाे थे पीयूष पांडे. उनकी कलम से निकले स्लाेगन सिर्फ प्राेडक्ट नहीं बेचते थे, बल्कि लाेगाें के दिलाें में उतर जाते थे. शुक्रवार सुबह 70 वर्ष की उम्र में उन्हाेंने दुनिया काे अलविदा कह दिया.एशियन पेंट्स का मशहूर स्लाेगन हर खुशी में रंग लाएं हाे या कैडबरी का कुछ खास है, ये लाइनें सिर्फ विज्ञापन नहीं थीं, ये भावनाएं थीं, जाे पीयूष पांडेय की साेच से निकलीं. उन्हाेंने फेविकाेल, हच जैसी कंपनियाें के लिए भी ऐसे कैंपेन बनाए जाे आज भी याद किए जाते हैं.भारत की विविधता काे एकता में पिराेने वाला गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ भी उन्हीं की रचना थी. ये गाना दूरदर्शन का थीम साॅन्ग बना और इंटरनेट के दाैर में भी लाेगाें ने इसे बार-बार सुना. ये उनके काम की गहराई और समाज की समझ काे दर्शाता है.
 
पीयूष पांडेय ने सिर्फ ब्रांड्स ही नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रचार में भी अपनी छाप छाेड़ी.अबकी बार, माेदी सरकार जैसा चर्चित नारा भी उनकी ही साेच का नतीजा था.उन्हाेंने दिखाया कि विज्ञापन सिर्फ प्राेडक्ट नहीं, विचार भी बेच सकता है. 1982 में उन्हाेंने ओगिल्वी इंडिया काे जाॅइन किया और करीब 40 साल तक इस कंपनी के साथ जुड़े रहे. इस दाैरान उन्हाेंने विज्ञापन की भाषा, टाेन और साेच काे बदल दिया. अंग्रेजी प्रभुत्व वाली इंडस्ट्री में उन्हाेंने हिंदी और भारतीयता काे जगह दिलाई. विज्ञापन में आने से पहले वह क्रिकेटर थे, चाय बागान में काम कर चुके थे और निर्माण क्षेत्र में भी अनुभव लिया था. 27 साल की उम्र में उन्हाेंने इस इंडस्ट्री में कदम रखा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.उनके कैंपेन में भारतीय समाज की भाषा, परंपरा और भावनाएं साफ झलकती थीं. यही वजह थी कि उनके बनाए विज्ञापन सिर्फ टीवी पर नहीं, लाेगाें के दिलाें में भी जगह बना लेते थे.
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