सारसबाग, 7 अक्टूबर (आ.प्र.)
नवरात्रि के दौरान, देवी ने राक्षस शक्ति से युद्ध किया. तब सभी देवताओं ने उन्हें अपने अस्त्र-शस्त्र दिए और युद्ध में उनका साथ दिया. युद्ध समाप्त होने के बाद, भगवान शंकर देवी के रौद्र रूप को शांत करने के लिए उनके चरणों में आ गए. इस कथा से स्पष्ट है कि देवी समस्त शक्तियों की स्रोत हैं और भगवान शंकर का उनके चरणों में आना शक्ति, भक्ति और सम्मान का प्रतीक है. इसी प्रकार, आज अहंकार को त्यागकर महिलाओं का सहयोग और सम्मान करने की आवश्यकता है, ऐसे विचार राज्य मंत्री माधुरी मिसाल ने रखे. सारसबाग के सामने स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर में आयोजित ‘नारी तू नारायणी' पुरस्कार समारोह में वह बोल रही थीं. इस वर्ष का पुरस्कार सामाजिक कार्यकर्ता मीरा बड़वे, सिस्टर लूसी कुरियन और पूजा मिसाल को प्रदान किया गया. इस अवसर पर सांसद डॉ. मेधा कुलकर्णी, ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी अमिता अग्रवाल, ट्रस्टी भरत अग्रवाल, डॉ. तृप्ति अग्रवाल, प्रवीण चोरबेले, हेमंत अर्नालकर आदि उपस्थित थे. पुरस्कार ग्रहण करते हुए लूसी कुरियन ने कहा, जब मुझे पुरस्कार मिलता है, तो मैं ईेशर से पूछती हूं कि क्या मैं इसके योग्य हूं..? इससे मुझे प्रेरणा मिलती है और मैं और अधिक मेहनत करती हूं. आज मैं 70 वर्ष की हो गई हूं, लेकिन मैं काम करती रहूंगी. मीरा बडवे ने कहा, मेरी प्रत्येक बेटी अलग-अलग क्षेत्रों में कुशलता से काम कर रही है. फिर उन्हें अनाथ या अंधा क्यों कहा जाए..? उनकी प्रगति देखकर मुझे और अधिक काम करने की प्रेरणा मिलती है. पूजा मिसाल ने कहा, आज पुरस्कार प्राप्त करने के बाद, मुझे लगता है कि हम सही रास्ते पर हैं. आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले और उन्हें देने वाले, दोनों ही समाज में दूसरों के लिए काम कर रहे हैं. पूजा मिसाल ने ऐसे लोगों से प्रेरणा लेकर, भविष्य में और अधिक काम करने की इच्छा व्यक्त की. इस महोत्सव का आयोजन मंदिर के संस्थापक ट्रस्टी राजकुमार अग्रवाल, मुख्य ट्रस्टी अमिता अग्रवाल, ट्रस्टी एड. प्रताप परदेशी, डॉ. तृप्ति अग्रवाल, भरत अग्रवाल, प्रवीण चोरबेले, हेमंत अर्नालकर, नारायण काबरा, नीलेश लद्दड़, मुरली चौधरी, राजेश सांकला आदि ने किया.
महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र भी होना चाहिए सांसद डॉ. मेधा कुलकर्णी ने कहा कि पहले महिलाओं की उपलब्धियां अनेक बाधाओं से सीमित थीं, लेकिन आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी क्षमता साबित कर रही हैं. आज महिलाओं ने पैसा कमाना सीख लिया है, लेकिन उसका उपयोग करना भी उतना ही जशरी है. आज भी, कई महिलाओं के सभी आर्थिक मामलों का ध्यान उनके परिवार के पुरुष ही रखते हैं. महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिए, बल्कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र भी होना चाहिए.