मिहला समानता,विकास और शांति के शब्दों को क्या दुनिया सुन रही ?

09 Oct 2025 14:47:51
  
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ब्रिजटाउन (बारबाडोस), 8 अक्टूबर (आ.प्र.)

संसदें केवल कानून बनाने वाली संस्थाएं नहीं हैं. ये न्याय, समानता और सामाजिक परिवर्तन के मंच हैं. विधान परिषद की उप सभापति डॉ. नीलम गोर्हे ने कहा, आइए मिलकर विकास करें.. वह बारबाडोस में चल रहे 68वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में बोल रही थीं. 9वें राष्ट्रमंडल महिला सांसदों (सीडब्ल्यूपी) सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में, डॉ. गोर्हे ने महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त संदेश देते हुए एक प्रभावशाली भाषण दिया. उन्होंने एक ज्वलंत प्रश्न पूछा, क्या दुनिया महिला समानता, विकास और शांति के इन शब्दों को सुनने के लिए तैयार है..? अपने भाषण में, डॉ. गोर्हे ने कहा कि 1995 का बीजिंग घोषणापत्र और कार्य मंच दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों के लिए सबसे उन्नत ढांचा है. इसके साथ ही, उन्होंने लोकतंत्र, विकास, स्वास्थ्य सुधार, असमानता कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में राष्ट्रमंडल देशों द्वारा की गई पहलों की सराहना की. डॉ. गोर्हे ने कहा कि यद्यपि महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है, लेकिन यह हर जगह समान नहीं है. 1995 में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 11.3 प्रतिशत था, जो 2025 में बढ़कर 27.2 प्रतिशत हो गया है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यद्यपि अमेरिका और यूरोप में महिलाओं का प्रतिनिधित्व संतोषजनक है, लेकिन एशिया और मध्य पूर्व में स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है. संसद और विधान सभाओं में महिला नेतृत्व का प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है. कानून प्रवर्तन में कमियों, लिंग आधारित हिंसा, साइबर उत्पीड़न, लैंगिक समानता और असंगठित क्षेत्र में महिलाओं की असुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर 2030 तक एक राष्ट्रमंडल कार्य योजना की आवश्यकता पर डॉ. गोर्हे ने बल दिया. देश विदेशों से शामिल कई महिलाओं और प्रतिनिधियों ने डॉ. गोर्हे को बधाई दी.  
 
डॉ. गोर्हे द्वारा सुझाए गए उपाय
आर्थिक सशक्तिकरण और निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी महिला आरक्षण विधेयक का वैेिशक कार्यान्वयन वंचित समूहों की महिलाओं को प्रोत्साहन बढ़ाना डिजिटल साक्षरता और कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना
 
भारत का ऐतिहासिक निर्णय
वर्तमान चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भारत की प्रगति के संदर्भ में, डॉ. गोर्हे ने 33% महिला आरक्षण विधेयक (नारी शक्ति वंदना अधिनियम 2023) के ऐतिहासिक निर्णय का उल्लेख किया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाए गए इस कदम को ऐतिहासिक बताया.  
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