केरल में हर 5 में से एक छात्र मानसिक तनाव से ग्रस्त !

09 Oct 2025 23:05:43
 
 
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केरल में 12 से 19 वर्ष की उम्र का हर पांच में से एक छात्र मानसिक तनाव से पीडित है. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार डाॅ. नरेश पुराेहित के एक हालिया अध्ययन में यह बात उभर कर सामने आई है. काेझिकाेड स्थित मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान द्वारा मानसिक स्वास्थ्य की चुनाैतियाें पर आयाेजित एक वेबिनार में डाॅ. पुराेहित ने राज्य में युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिये जाने की बात कही है. डाॅ. पुराेहित ने केरल में व्याप्त मानसिक बीमारी शीर्षक के अपने अध्ययन में बताया कि 10.5 प्रतिशत छात्र कम स्तर के तनाव, 5.4 प्रतिशत मध्यम और 5 प्रतिशत गंभीर मनाेवैज्ञानिक तनाव से पीडित हैं. उन्हाेंने कहा कि ये आंकड़े स्पष्ट रूप से केरल में एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट का संकेत देते हैं. डाॅ. पुराेहित ने केरल राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा 5 जिलाें में किए गए एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए बताया कि राज्य की 12.43 प्रतिशत आबादी अर्थात हर 8 में से एक व्यक्ति, काे मनाेचिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता है.
 
अध्ययन में यह भी पता चला कि 15-20 प्रतिशत लाेग, खासकर शहरी इलाकाें में, किसी न किसी प्रकार की मानसिक परेशानी, खासकर अवसाद से जूझ रहे हैं.डाॅ. पुराेहित ने इंडियन साइकियाट्रिक साेसाइटी द्वारा राज्य में किए गए अध्ययनाें से चाैंकाने वाले निष्कर्षाें का उल्लेख किया. उन्हाेंने कहा, सभी मानसिक स्वास्थ्य विकाराें में से आधे मामले 14 साल की उम्र तक और तीन-चाैथाई मामले 20 साल की उम्र तक शुरू हाे जाते हैं. 15-20 साल की उम्र के युवाओं में आत्महत्या करने की प्रवृति अधिक देखी गई है. डाॅ. पुराेहित ने बताया कि केरल में 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 10.48 प्रतिशत लाेग डिमेंशिया और काॅगनीटिव इंपेयरमेंट से प्रभावित हैं उन्हाेंने कहा, कड़वी सच्चाई यह है कि चिंता विकार (एंग्जाइटी), अवसाद और सिज़ाेफ्रेनिया केरल में सबसे आम मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं. अब समय आ गया है कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाए
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