चेक बाउंस होने पर क्रिमिनल और सिविल प्रोसिजर से वसूली संभव

16 Nov 2025 15:24:02

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पुणे, 15 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

कानूनी मामलों में अक्सर लोगों को प्रक्रिया और अधिकारों की पूरी जानकारी नहीं होती, जिसका सीधा असर उनके मुकदमे, संपत्ति विवाद, वैवाहिक अधिकार और आर्थिक दावों पर पड़ता है जमीन के बंटवारे से लेकर चेक बाउंस, तलाक, ससुराल में रहने के अधिकार और कोर्ट में तारीखें तेज कराने जैसे मुद्दों पर कई लोग भ्रमित रहते हैं. दै. आज का आनंद से बातचीत करते हुए विभिन्न विषयों पर कानूनी सलाह दी. प्रस्तुत हैं उनकी बातचीत के मुख्य अंश-  एड. भालचंद्र धापटे मोबाइल-9850166213
 
प्रश्न: बंटवारे के दावे का न्याय-निर्णय होने के बाद भी प्रत्यक्ष विभाजन नहीं हुआ, तो क्या करें?

उत्तर: - बंटवारे (Partition Suit) में न्यायालय द्वारा Preliminary Decree या Final Decree पारित होने के बावजूद यदि जमीन/मकान का प्रत्यक्ष विभाजन नहीं हुआ है, तो वह डिक्री केवल कागज पर ही रह जाती है. प्रत्यक्ष विभाजन का अर्थ हैजमीन या घर का वास्तव में माप करके हर पक्ष को उसका हिस्सा जमीन पर देकर उसे Revenue Records में अलग Mutation Entry के रूप में दर्ज करना.ऐसी स्थिति में कानून के अनुसार अगला कदम है Final Decree Proceedings और Execution Proceedings के माध्यम से प्रत्यक्ष बंटवारा करवाना. Code of Civil Procedure के Order 20 Rule 18 और Order 21 Rule 35 व 36 के तहत आप Execution Petition दाखिल कर सकते हैं और न्यायालय से Court Commissioner नियुक्त करने का निवेदन कर सकते हैं. Commissioner मौके पर जाकर पायमाप, सीमांकन, नक्शा तैयार करके कोर्ट में जमा करता है. यदि प्रतिवादी सहयोग न करें, तो Execution Court Commissioner को Police Protection भी दे सकता है. Final Decree तैयार होने के बाद Talathi और Tahsildar को नोटिस भेजकर Mutation में अलग हिस्से की दर्ज करवा सकते हैं. इसलिए, डिक्री होने के बाद भी यदि प्रत्यक्ष विभाजन नहीं हुआ, तो Execution से इसे लागू करवाया जा सकता है. डिक्री स्वयं लागू नहीं होती उसे कोर्ट से लागू करवाना पड़ता है.

प्रश्न : मेरे किराना दुकान के ग्राहक ने दो लाख का चेक दिया था, लेकिन चेक बाउंस हो गया. मेरे पास ग्राहक का Bill/Challan भी है. अब मैं क्या कर सकता हूँ?

उत्तर: - किसी ग्राहक द्वारा दिया गया चेक बाउंस होने पर कानून में दो समानांतर उपाय उपलब्ध हैं. Criminal Complaint Section 138, Negotiable Instruments A ct, 1881Civil Recovery रकम की वसूली का दावा बैंक से Cheque Return Memo मिलते ही 30 दिनों के भीतर ग्राहक को Legal Notice भेजना आवश्यक है. नोटिस में चेक की जानकारी, लिया गया माल, बाउंस का कारण और 15 दिनों में भुगतान करने की मांग लिखी जाती है. यदि 15 दिनों में भुगतान नहीं होता, तो अगले 30 दिनों में Section 138 NI Act का अपराध दर्ज किया जा सकता है. इसमें सजा, जुर्माना, Compensation और Warrant की संभावना रहती है. चूँकि आपके पास Bill और Invoice है, इसलिए आपकी Proof Chain मजबूत है. इस आधार पर आप Order 37 CPC के तहत Summary Suit, या सामान्य Money Recovery Suit दाखिल कर सकते ह्‌ैं‍. Criminal और Civilदोनों कार्यवाही एक साथ की जा सकती हैं क्योंकि दोनों का उद्देश्य अलग है.

प्रश्न : विवाह को एक वर्ष पूरा नहीं हुआ है. क्या हम Divorce दाखिल कर सकते हैं?
उत्तर: - Hindu Marriage Act, 1955 की Section 14 के अनुसार विवाह के एक वर्ष के भीतर सामान्य परिस्थितियों में Divorce Petition दाखिल नहीं किया जा सकता. इसका उद्देश्य दंपत्ति को विवाह बचाने का अवसर देना है. लेकिन इस सेक्शन में एक महत्वपूर्ण अपवाद है. यदि पति या पत्नी पर Exceptional Hardship (असाधारण कष्ट) या Exceptional Depravity (अत्यंत अनैतिक/ निर्दयी व्यवहार) सिद्ध होता है, तो Court की Leave लेकर एक वर्ष से पहले भी Divorce Petition दाखिल किया जा सकता है. इसके लिए अलग से आवेदन दाखिल करना होता है, जिसमें क्रूरता, जान का खतरा, त्याग, अश्लील/पाशविक व्यवहार, झूठे केस आदि की गंभीर परिस्थितियां साबित करनी होती हैं. अतः सामान्यतः एक वर्ष पूरा होना आवश्यक है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में Court Permission लेकर पहले भी Divorce दाखिल किया जा सकता है.

प्रश्न:  पति की मृत्यु के बाद सास-ससुर ने मुझे घर से निकाल दिया. मायके से भी मदद नहीं मिलती है. क्या मुझे ससुराल के घर में रहने का अधिकार है?
 उत्तर: - विवाहित स्त्री को Shared Household में रहने का अधिकार Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 की Section 17 व 19 में दिया गया है. Supreme Court के निर्णय Satish Chander A huja v. Sneha A huja (2020) में स्पष्ट कहा गया है कि पत्नी का रहने का अधिकार पति की ownership या tenancy पर निर्भर नहीं है. आप Magistrate Court में DV Act के तहत Residence Order, Protection Order, Maintenance Order,Compensation के लिए आवेदन कर सकती हैं. Residence Order के बाद आपको फिर से Shared Household में रहने का पूरा अधिकार मिलता है, और ससुरालवाले आपको बाहर नहीं निकाल सकते. आवश्यकता होने पर Court पुलिस सुरक्षा भी दे सकती है.

प्रश्न: मेरी Family Petition Court में लंबित है लेकिन बहुत लंबी तारीखें मिल रही हैं. क्या मैं Dates जल्दी करा सकती हूँ?
उत्तर: - पारिवारिक मामलों में देरी आम है, लेकिन Speedy Justice हर नागरिक का अधिकार है Hindu Marriage Act की Section 21-B में निर्देश है कि विवाह संबंधी मामले 6 महीनों में या कम समय में निपटाए जाए.आप Section 151 CPC के तहत Early Hearing Application या Preponement of Date Application दाखिल कर सकती हैं. अर्जी में यह बताना होगा कि मामला पारिवारिक है, देरी से मानसिक/ आर्थिक/सामाजिक हानि हो रही है, और कानून के अनुसार Expedited Hearing आवश्यक है. Speedy Trial संविधान के Article 21 का हिस्सा है, इसलिए न्यायालय आमतौर पर ऐसे आवेदनों पर सकारात्मक विचार करता है. प्रश्न: मेरे पास Class-II जमीन (महार वतन जमीन) खरीदने का प्रस्ताव है. क्या मैं इसे खरीद सकता हूँ? उत्तर: - महार वतन जमीन Bombay Inferior Village Watans bolition Act, 1958 के अधीन विशेष श्रेणी की जमीन है. Class-II Land सामान्य बिक्री के लिए खुली जमीन नहीं होती. ऐसी जमीन बेचने/खरीदने के लिए Collector की Written Permission अनिवार्य है. बिना अनुमति का Sale Deed अवैध माना जाता है और Mutation Entry होने पर भी बाद में रद्द हो सकती है. यदि आप जमीन खरीदना चाहते हैं, तो पहले विक्रेता को Class-II जमीन को Class-I में Convert करवाने का आवेदन Revenue uthorities को देना होगा. किसी भी प्रकार की पूर्व-अनुमति के बिना की गई खरीद भविष्य में गंभीर कानूनी समस्याएँ पैदा कर सकती है, जिसमें जमीन जब्त होने की संभावना भी होती है.
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