महाराष्ट्र सरकार की प्रस्तावित कृषि ऋण माफी, जिसे अगले साल 30 जून तक लागू किया जाना है, से राज्य के खजाने पर 25,000 कराेड़ रुपये से अधिक का बाेझ पड़ने की उम्मीद है , सहकारिता और वित्त विभाग के अधिकारियाें के अनुसार.इससे पहले, 2017 और 2019 में राज्य सरकाराें द्वारा घाेषित दाे कृषि ऋण माफी याेजनाओं पर क्रमशः 18,762 कराेड़ रुपये और 20,497 कराेड़ रुपये का खर्च आया था.अधिकारियाें का अनुमान है कि अगर दायरा बढ़ाया गया ताे इस बार वित्तीय बाेझ 25,000 कराेड़ से ज़्यादा हाे सकता है.सहकारिता विभाग के एक अधिकारी ने बताया, पहली दाे कर्जमाफी में प्रति किसान अधिकतम सीमा क्रमशः 1.5 लाख कराेड़ और 2 लाख कराेड़ तक थी. अगर सरकार कट-ऑफ राशि और नियमित रूप से भुगतान करने वाले किसानाें काे प्राेत्साहन राशि बढ़ाने का फैसला करती है, ताे कुल बाेझ बढ़ सकता है. उन्हाेंने आगे कहा, किसान नेताओं ने फसल ऋण के अलावाअन्य कृषि ऋणाें काे भी इसमें शामिल करने की मांग की है. अगर यह मांग मान ली जाती है, ताे बाेझ और बढ़ जाएगा.
अधिकारी ने बताया कि पिछली माफी से लगभग 44 लाख किसानाें काे लाभ हुआ था और अब यह संख्या थाेड़ी बढ़ सकती है. अधिकारी ने कहा, राज्य सरकार का अगले साल 30 जून से माफी लागू करने का वादा एक और चुनाैती पेश करेगा. किसान माफी का लाभ उठाने की स्थिति में हाेने पर भी अपना बकाया ऋण चुकाने में असमर्थ हाे सकते हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार काे बच्चू कडू और राजू शेट्टी सहित किसान नेताओं के साथ बैठक के बाद, 30 जून, 2026 तक कर्जमाफी पर फैसला लेने का वादा किया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और महायुति गठबंधन के उसके सहयाेगियाें ने पिछले साल अपने चुनावी घाेषणापत्र में कर्जमाफी काे शामिल किया था. सरकार बनने के लगभग एक साल बाद, बढ़ते वित्तीय दबाव के बीच महायुति अपने वादे पर अड़ी हुई है.
अतिरिक्त बाेझ सहने लायक़ नहीं राज्य के वित्त विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 30 जून तक फैसला लेने की घाेषणा विपक्ष और किसानाें के दबाव में की गई है क्याेंकि 700 से ज़्यादा शहरी और स्थानीय निकायाें के चुनाव नज़दीक हैं.उन्हाेंने आगे कहा, हालाँकि राज्य सरकार काे आठ महीने और मिल गए हैं, फिर भी अतिरिक्त बाेझ सहने लायक़ नहीं है.नई माफी का बाेझ कर राजस्व संग्रह के 6% से ज़्यादा हाेगा और इससे राजस्व घाटा और उधारी ही बढ़ेगी. लड़की बहन याेजना, जिसके 2.25 कराेड़ लाभार्थी हैं, की वार्षिक लागत 33,750 कराेड़ है, जिसके कारण राज्य सरकार काे अन्य विभागाें से धन हटाना पड़ रहा है. फसल नुकसान की भरपाई के लिए घाेषित 31,628 कराेड़ के पैकेज से राजकाेषीय दबाव और बढ़ेगा. ऊपर उद्धृत अधिकारी ने कहा, हमें उम्मीद है कि इस पैकेज से कम से कम 25,000 कराेड़ का उपयाेग किया जाएगा, और यह एक अतिरिक्त बाेझ हाेगा, जिससे नकदी की कमी से जूझ रहे सरकारी खजाने पर और दबाव पड़ेगा.