वेद ही इंसानियत की पहली साहित्यिक खोज

22 Nov 2025 14:56:53
 
vbdbf
सदाशिव पेठ, 21 नवंबर (आ. प्र.)

इंसानियत की पहली साहित्यिक खोज हमारे वेद हैं. ज्ञान की परंपरा भारत की खासियत है. यह जमीन भोग-विलास की नहीं, बल्कि ज्ञान की, तपस्या की जमीन है. ज्ञान का असली स्त्रोत वेद हैं. किसी दूसरे देश में ऐसा साहित्य नहीं रहा. वेद एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचे है. इसका श्रेय गुरुकुल चलाने वाले वेदमूर्तियों को जाता है, ऐसे विचार डेक्कन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. प्रसाद जोशी ने रखे. वे वेद विद्या पुरस्कार प्रदान कार्यक्रम में बोल रहे थे. यह कार्यक्रम शुक्ल यजुर्वेदीय माध्यंदिन महाराष्ट्रीय ब्राह्मण मध्यवर्ती मंडल के वेद विद्या संवर्धन समिति द्वारा आयोजित किया गया था. सणस मैदान के सामने स्थित वेद शास्त्रोत्तेजक सभा में हुए इस कार्यक्रम में वेदमूर्ति विजय भालेराव को वैदिक घनपाठी पुरस्कार, वेदमूर्ति राहुल बेले को वैदिक अध्यापक पुरस्कार तथा अथर्व हरिदास, हर्षद कुलकर्णी, प्रसन्न कुलकर्णी, सोमनाथ जोशी को वैदिक छात्र पुरस्कार प्रदान किया गया. इसके अलावा, पांच वैदिक पाठशालाओं, श्री राजेेशर देशमुख शास्त्र पाठशाला, संत नामदेव महाराज वेद विद्यालय (औंढ्या नागनाथ), ब्रह्मचैतन्य याग्निक पाठशाला, आध्यात्मिक प्रतिष्ठान, आलंदी, जीवन ज्योति प्रतिष्ठान को छात्र भोजन के लिए 11- 11 हजार रुपये दिए गए. कार्यक्रम में माणिक शेठ दुधाने को ज्ञानेेशरी प्रदान की गई. साथ ही रत्नमाला और गजानन जोशी की स्मृति में दिया जाने वाला सेवा रत्न पुरस्कार विवेक गोपाल कुलकर्णी को दिया गया. वेद विद्या समिति के अध्यक्ष प्रो. रवींद्र मुले ने प्रस्तावना रखी. कार्यवाह श्रीकांत जोशी ने संस्था के बारे में जानकारी दी. वेदमूर्ति कुणाल शिंगणे ने सूत्रसंचालन किया.  
 
ज्ञान परंपरा दुनिया को बचाएगी : सिंघल

सिंघल फाउंडेशन के प्रमुख न्यासी संजय सिंघल ने कहा, अशोकजी सिंघल ने अपनी पूरी जिंदगी वेदों की रक्षा के लिए लगा दी. सब उन्हें राम मंदिर मुद्दे के लिए अयादा जानते हैं, लेकिन, उनके जीवन का मुख्य काम वेदों की रक्षा करना था. उन्होंने वेदों से प्रेरणा लेकर काम किया.  
Powered By Sangraha 9.0