
वानवड़ी, 25 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
समग्र शिक्षा और संस्कारक्षम उपक्रम ही वास्तव में मोबाइल का असली ‘एंटीवाय रस' हैं. मोबाइल का उपयोग केवल आवश्यक कामों के लिए करते हुए छात्रों को अपनी कौशल क्षमता, बुद्धि और कलागुणों को निखारने पर जोर देना चाहिए. महात्मा ज्योतिबा फुले द्वारा दिए गए प्रबोधनपर विचारों को अपनाकर उन पर चलना ही समाज की उन्नति का मार्ग है, ऐसे विचार सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने रखे. वे 129वें अखिल भारतीय महात्मा फुले प्रबोधन मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बोल रहे थे. वानवड़ी स्थित महात्मा फुले सांस्कृतिक सभागृह में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ‘सूर्यदत्त संस्थान' की स्थापना से लेकर आज तक महात्मा फुले के प्रबोधन के मार्गदर्शन में संस्था निस्वार्थ भाव से छात्रों को शिक्षित कर रही है और समाजहित के मजबूत, सक्षम नागरिक गढ़ने का कार्य कर रही है. सम्मेलन की अध्यक्षता अखिल भारतीय मराठी साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शरद गोरे ने की. राज्यभर से साहित्यकार, कवि, शोधकर्ता, कलाकार और साहित्यप्रेमियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध कलाकार किशोर टिलेकर उपस्थित थे. डॉ. शरद गोरे ने महात्मा फुले के प्रबोधनपर और प्रभावी विचारों का सशक्त विवेचन किया. नंदकिशोर राउत द्वारा पत्नी की शिक्षा पूर्ण कराकर उन्हें सरकारी उच्च पद तक पहुंचाने की प्रेरक कथा भी मंच से साझा की गई. सम्मेलन के सफल आयोजन में सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन का सक्रिय योगदान रहा. कार्यक्रम का समन्वयन सूर्यदत्त संस्थान की पीआर संचालिका स्वप्नाली कोगजे ने किया. कार्यक्रम में सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट्स को महात्मा ज्योतिबा फुले राष्ट्रीय आदर्श शिक्षण संस्था पुरस्कार से सम्मानित किया गया.