देशभर में एसआईआर काे लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का दाैर जारी है. वाेटर लिस्ट संशाेधन अभियान काे लेकर तमाम नकारात्मक बाताें के बीच अभियान बिछड़े बेटे काे मिलाने में भीलवाड़ा में सेतु बना है. भीलवाड़ा सूरज गांव से करीब 40 साल पहले लापता हुआ बेटा छत्तीसगढ़ में गुमनामी की जिंदगी जी रहा था. तभी वाेटर लिस्ट संशाेधनअभियान के चलते परिजन से बिछड़ा उदय सिंह 40 साल बाद अपने गांव पहुंचा.बकाैल उदय सिंह रावत 1980 में अचानक घर से लापता हाे गया.परिजन 30 साल तक उन्हें खाेजते रहे. उसका काेई ठाेस सुराग नहींमला. बाद उदय सिंह छत्तीसगढ़ में एक निजी कंपनी में गार्ड की नाैकरी करने लगे. वहां उन्हें एक सड़क दुर्घटना का सामना करना पड़ा, जिसमें सिर पर चाेट लगने के बाद उनकी याद्दाश्त चली गई और घर-परिवार की पहचान धुंधली हाे गई.
इस बीच SIRअभियान शुरू हुआ. ताे दस्तावेज काे लेकर उसने जिज्ञासा हुई. उसे केवल अपनी जाति और गांव का नाम सुराज याद था. बुधवार काे जैसे तैसे उदय सिंह भीलवाड़ा के सुराज गांव स्थित स्कूल में वाेटर फाॅर्म की जानकारी लेने पहुंचे. उनके द्वारा दी गई जानकारी और रिकाॅर्ड मिलान के समय स्कूल के शिक्षक काे शक हुआ और उसने परिजनाें काे सूचना दी. परिजन जैसे ही स्कूल पहुंचे, उदय सिंह और परिवार की भावनात्मक पुनर्मिलन प्रक्रिया शुरु हुई. जब उदय ने परिवार की पर्सनल यादाें और बचपन की बातें बताईं, ताे यकीन हाे गया कि सामने उनका ही भाई खड़ा है. पहचान की अंतिम पुष्टि तब हुई, जब मां चुनी देवी रावत ने बेटे के माथे व सीने पर पुराने घावाें के निशान देखे.