जीवनयापन की बढ़ती लागत काे लेकर दुनियाभर में गुस्सा दिख रहा

28 Nov 2025 21:21:55
 

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हाल ही में, भारत के सांख्यिकी मंत्रालय ने बताया कि अ्नटूबर में उपभाे्नता मूल्य मुद्रास्फीति गिरकर 0.25 प्रतिशत पर आ गई है, जाे जनवरी 2012 के बाद सबसे कम है.दरअसल, इस महीने खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 5.02 प्रतिशत रह गई. कीमताें में यह गिरावट आधार प्रभाव से और भी बढ़ जाती है. उदाहरण के लिए, अ्नटूबर 2024 में खाद्य महंगाई 9.7 प्रतिशत थी, जिससे अ्नटूबर 2025 की तुलना का प्रभाव बदल जाता है. सच्चाई ताे यह है कि न हर चीज सस्ती हुई है और न ही हर जगह दाम घटे हैं. तेल में 11.1 फीसदी, पर्सनल केयर में 23.8 फीसदी और फलाें में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. केरल में सीपीआई 8.5 फीसदी है.दिलचस्प बात यह है कि यह विपक्षी शासित राज्याें कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और तमिलनाडु में राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है. कृषि प्रधान और कम शहरीकृत राज्याें में मुद्रास्फीति भी राष्ट्रीय औसत से कम देखी जा रही है.
 
बिहार में मुद्रास्फीति सबसे निचले स्तर पर है, जाे -1.97 फीसदी है. उसके बाद उत्तर प्रदेश में -1.71 फीसदी, मध्य प्रदेश में -1.62 फीसदी, असम में -1.5 फीसदी, ओडिशा में -1.39 फीसदी और छत्तीसगढ़ में -1.2 फीसदी है. सवाल यह है कि ्नया इन राज्याें के लाेग (खासकर बिहार में जहां ‘महंगाई’ चुनाव में एक बड़ा मुद्दा थी.) दिखावे पर यकीन करते हैं या अच्छा महसूस करते हैं.
एच जीवेल्स के शब्दाें में हालांकि घरेलू के लिए कम मुद्रास्फति के दावे उतने ही बेतुके लगते हैं, जितना कि यह कहना कि ठाेस धरती तरल थी. यह निराशावाद वैश्विक है.उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति लगभग 2.2 प्रतिशत (और चीन में 0.2 फीसदी) के निचले स्तर पर चल रही है. फिर भी, मुद्रास्फीति में गिरावट की खबराें पर जनता की प्रतिक्रिया उसे खारिज करने से लेकर एक ईमानदार सवाल तक हाेती है.
 
महंगाई कम हाेती दिखती क्यों नहीं? यहाजनैतिक अर्थ-भ्रम की बात है. राजनेता ब्याज दराें में गिरावट काे कीमताें में गिरावट के रूप में प्रस्तुत करने में तत्पर रहते हैं. फिर यह तथ्य भी है कि कीमताें में वृद्धि की दर भले ही धीमी हाे, लेकिन घरेलू उपभाेग की वस्तुओं की कुल कीमतें ऐतिहासिक शिखर पर हैं. कम मुद्रास्फीति के आभास ने बढ़ती महंगाई पर वैश्विक आक्राेश काे और भड़का दिया है. कुछ दिनाें पहले, ट्रंप ने टैरिफ की आलाेचना करने वालाेें काे मूर्ख कहकर उनका मजाक उड़ाया और अमेरिकी परिवाराें काे 2,000 डाॅलर का लाभांश देने की घाेषणा की. उन्हाेंने बीफ, केला, काेकाे, काॅफी, टमाटर, चाय और एवाेकाडाे पर हर देश पर लगाए गए टैरिफ वापस ले लिए. ट्रंप की रेटिंग गिरकर 36 फीसदी पर आ गई है, ऐसे में सबसे जरूरी बात है खर्च करने की क्षमता. माैसमी राजनीतिक फैसले लेने की प्रथा सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है.
 
भारत में, बिहार चुनाव व दिवाली से ठीक पहले जीएसटी दराें में कटाैती की गई थी. हर चुनाव नकद लाभ हस्तांतरण के कारवां के साथ आता है. याेजनाएं हमेशा चुनावाें का इंतजार नहीं करती,बल्कि बीच में भी आ सकती हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राशन कार्डधारकाें काे रियायती दामाें पर दालें, चीनी व नमक उपलब्ध कराने के लिए एक नई याेजना शुरू की. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता 25 दिसंबर काे साै अटल कैंटीन का शुभारंभ करेंगी, जिसमें पांच रुपये में भाेजन मिलेगा.जीवनयापन की लागत काे लेकर गुस्सा दुनिया भर में दिखाई दे रहा है. अमेरिका के हालिया चुनावाें में रिपब्लिकन डेमाेक्रेट्स से हार गए हैं. पूंजीवाद की राजधानी और वाॅल स्ट्रीट के केंद्र न्यूयाॅर्क ने समाजवादी जाेहरान ममदानी काे चुना है, जाे किराया स्थिर रखने का वादा करते हैं. इस नाराजगी काे कम करने के लिए ट्रंप ने 50 साल के बंधक का विचार पेश किया है.
 
ब्रिटेन में, कीर स्टार्मर के नेतृतव वाली लेबर सरकार आंतरिक गृहयुद्ध और निगेल फराज की रिफाॅर्म पार्टी के उदय का सामना कर रही है. भयभीत स्टार्मर और चांसलर रेचेल रीव्स कल्याणकारी याेजनाओं के लिए धन जुटाने हेतु अमीराें पर कर बढ़ाने की तैयारी में हैं. फ्रांस में प्रधानमंत्री लेकाेर्नू ने राष्ट्रपति मैक्राें की विवादास्पद पेंशन सुधार याेजना काे बंद कर दिया. जर्मनी में, ओलाफ साेल्ज काे भी जीवनयापन की बढ़ती लागत काे लेकर जनता का आक्राेश सहना पड़ रहा है. जापान में, प्रधानमंत्री साने ताकाइची के नेतृत्व वाली नई सरकार द्वारा 14 खरब येन से अधिक के प्राेत्साहन पैकेज की घाेषणा किए जाने की उम्मीद है, ताकि परिवाराें काे नुकसान कम हाे. जीवनयापन की लागत का संकट मजदूरी और मुद्रास्फीति के समीकरण से बढ़ रहा है. हालांकि, 2022 से मजदूरी में सुधार हुआ है, लेकिन वास्तविक मजदूरी में काेई सुधार नहीं हुआ है, क्योंकि मुद्रास्फीति ने क्रय श्नित काे कम कर दिया है. व्हाइट हाउस के अनुसार, वाइडन शासन में श्रमिकाें की क्रय श्नित में 2,900 डाॅलर से ज्यादा की कमी आई थी. -शंकर अय्यार
 
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