समर्पण, नैतिकता और मेहनत से बनती है समाज में पहचान

30 Nov 2025 15:21:30
 
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पुणे, 29 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
हमारे समाज में अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोग अपने अनुभव, चुनौतियाँ और सीख के माध्यम से समाज को नई दिशा देते हैं. चाहे महिला उद्यमिता हो, वकालत का जिम्मेदार पेशा, मेडिकल सेवा की निष्ठा या सामाजिक सरोकारहर व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में समर्पण, नैतिकता और मेहनत के बल पर एक अलग पहचान बनाता है. यह मूल्यवान संदेश विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने दै.आज का आनंद के लिए प्रो. रेणु अग्रवाल से बातचीत में दिया. प्रस्तुत हैं उनकी बातचीत के प्रमुख अंश-  
 
मोटर एक्सीडेंट क्लेम में विशेषज्ञ वकालत की जिम्मेदारी
हमारा प्रोफेशन मोटर एक्सीडेंट क्लेम से जुड़ा है, जिसमें हम दुर्घटना के कारण घायल हुए व्यक्तियों या मृतक के परिवार को उचित मुआवजा दिलाने का काम करते हैं. चालक, मालिक और इंश्योरेंस कंपनी के विरुद्ध दावा दायर करके न्याय सुनिश्चित करना हमारा उद्देश्य होता है. हमारा वकीलों का संगठन मजबूत और एकजुट है, और हम मिलकर हर समस्या का समाधान निकाल लेते हैं. जो विद्यार्थी वकालत में आना चाहते हैं, उन्हें शुरुआत में संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए स्टाइपेंड और अच्छे सीनियर्स समय के साथ मिलते हैं. भाषा का ज्ञान, प्रेजेंटेशन, तेजी से जवाब देने की क्षमता और पढ़ने की आदत इस क्षेत्र में बेहद आवश्यक हैं. मैं सभी से आग्रह करती हूँ कि आपसी मतभेद भूलकर भाईचारा बढ़ाएं और अपने व्यवहार से किसी को कष्ट न पहुंचाएं. एड. मीरा एम. परदेशी, मोटर दुर्घटना क्लेम स्पेशलिस्ट, जिला वकील संघ सदस्या, संभाजीनगर

 
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वकालत में धैर्य और अनुभव का महत्व होता है

मैं पिछले दस वर्षों से औरंगाबाद में वकालत कर रहा हूँ. इस प्रोफेशन में शुरुआती दो-तीन साल बेहद मेहनत के होते हैं, लेकिन अनुभव बढ़ने के साथ लोगों का वेिशास भी बढ़ता है और वे अपने कानूनी काम आपके पास लेकर आने लगते हैं. नए विद्यार्थियों को मैं यही सलाह दूँगा कि एक सफल वकील बनने के लिए कोर्ट में जाकर हर केस को ध्यान से समझें, साथ ही नियमित रूप से लीगल किताबें और अखबार पढ़ें. वकालत में हम रोज लोगों के तनाव और विवादों से रूबरू होते हैं, इसलिए मेरा मानना है कि जीवन बहुत छोटा हैछोटे-छोटे झगड़ों को बढ़ाने की बजाय उन्हें आपसी सहमति से सुलझाना चाहिए. एडवोकेट गौरव मोरे, संभाजीनगर
 
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 जब गुण उभरते हैं तो पहचान बनती है

मेरी शादी को 28 साल हो चुके हैं और पिछले सात वर्षों से मैं ओरिफ्लेम कंपनी के विभिन्न ब्यूटी प्रोडक्ट्स का व्यवसाय कर रही हूँ. मेरा मानना है कि महिलाएँ घर संभालते हुए जिस भी काम चाहे बिजनेस हो या नौकरी में सहज हों, वही करें. हर व्यक्ति में कुछ न कुछ विशेष गुण होते हैं, और जब वही गुण उभरते हैं तो हमारी अलग पहचान बनती है. काम के बहाने नए लोगों से जुड़ने, सीखने और अनुभव प्राप्त करने का अवसर भी मिलता है. हमारे परिवार में सासससुर, हम पति-पत्नी और दो बेटियां हैं, फिर भी घर की जिम्मेदारियों के साथ मेरा ओरिफ्लेम बिजनेस सहजता से चलता है. अपने आप को व्यस्त रखना जशरी है. इससे मन प्रसन्न रहता है और स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है. कंचन पारस अग्रवाल, मार्केटयार्ड, पुणे
 
 
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वकालत में नैतिकता और सच का विशेष मूल्य

एक सफल वकील बनने के लिए केवल डिग्री पर्याप्त नहीं होतीहमेशा सच का साथ देना सबसे जशरी है. केस जीतने के लिए कभी भी अनैतिक तरीकों का सहारा नहीं लेना चाहिए. दस वर्षों के अनुभव से मुझे महसूस हुआ है कि वकालत तनावपूण र् पेशा है, क्योंकि कई बार हमें आक्रामक या चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ता है. मेरा एक बेटा है, और मैं चाहती हूँ कि वह बड़ा होकर सच और न्याय का साथ देने वाला वकील बने. इस अखबार के माध्यम से मैं यही कहना चाहूँगी कि गलत के खिलाफ खुलकर आवाज उठाना चाहिएचाहे विषय राजनीति का हो या समाज का, इतिहास हमेशा संघर्ष करने वालों को याद रखता है. एड.नीलोफर खान, हाई कोर्ट एवं डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट, संभाजीनगर
 

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मेडिकल प्रोफेशन में सेवा, अनुशासन जरूरी

 मैं पिछले 11 वर्षों से मेडिकल फील्ड में प्रैक्टिस कर रहा हूँ और डायबिटीज, थायराइड डिसॉर्डर व अस्थमा का विशेषज्ञ हूँ. अनुभव बताता है कि लोग अक्सर बीमारी का इलाज नहीं, बल्कि केवल लक्षणों का इलाज करवाना चाहते हैं. हम मरीजों को समझाते हैं कि बीमारी आने से पहले उसके संकेत दिखने लगते हैं, इसलिए शुरुआती चरण में ही इलाज जशरी है. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, लेकिन अफसोस कि अधिकांश लोग केवल शारीरिक बीमारी को ही महत्व देते हैं. मेडिकल प्रोफेशन बेहद नेक पेशा है. जो विद्यार्थी इस क्षेत्र में आना चाहते हैं, उन्हें अनुशासन, समर्पण और 24 घंटे सेवा देने की प्रतिबद्धता को अपनाना चाहिए. डॉ. अमित चोरडिया, संभाजीनगर
 
 

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 हर वकील जीवन भर विद्यार्थी ही रहता है

मेरे परिवार में माता जी, तीन भाई और उनके परिवार हैं, और मैं वकालत को समाज सेवा का माध्यम मानता हूँ. माँ अम्बे की कृपा से समाज से जो मानसम्म ान मिला है, उसे मैं इसी पेशे के माध्यम से लौटाने की कोशिश करता हूँ. हर वकील जीवन भर विद्यार्थी ही रहता है, इसलिए मेरा संदेश हैजितना पढ़ सकते हैं पढ़ें, जितना सीख सकते हैं सीखें, और लिखने की आदत बनाएँ. यदि ये तीन चीजें आत्मसात कर लीं, तो सफलता आपको अवश्य मिलेगी. वकालत केवल जिम्मेदारी और सेवा नहीं, बल्कि त्याग का पेशा भी हैत्याग निजी समय, सुविधा और कभी-कभी रिश्तों का भी. चाहे आप परिवार में पहले वकील हों या पारिवारिक परंपरा से जुड़े हों, इस रास्ते पर धैर्य, मेहनत और अटूट वेिशास अत्यंत आवश्यक हैं. डॉ.अनीष श्रीवास्तव लाल एडवोकेट, आर्बिट्रेटर व मेडिएटर, इंदिरा नगर, लखनऊ

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