मुंबई, 6 नवंबर (आ.प्र.) मुंबई महानगर में राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित सिपाही और आशीर्वाद संस्था के संस्थापक डॉ. उमाकांत बाजपेयी का गुरुवार (6 नवंबर) को मुंबई में निधन हो गया. वे 87 वर्ष के थे और कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे. उन्होंने स्वेच्छा से अन्न-जल त्यागकर गोलोक गमन का मार्ग चुना. उनके अंतिम समय में पुत्रियां नीता, निरुपमा, संगीता, दामाद शेखर आदि उनके साथ थे. प्रमुख अग्रोहा संस्थाओं को नेतृत्व देनेवाले बृजमोहन अग्रवाल, अग्रशक्ति सामाजिक संस्था की अध्यक्ष शोभा अग्रवाल, अग्निशिखा मंच की अध्यक्ष अलका पांडे सहित कई गणमान्य ने वाजपेयी के योगदान को यादकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. डॉ. बाजपेयी एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे, जिन्होंने लेखन, संपादन, आयोजन और समाजसेवा के माध्यम से ख्याति अर्जित की. उन्होंने 1969 में आशीर्वाद नामक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया और 1977 में इसी नाम से संस्था का शुभारंभ किया. वे 1998 तक भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में भी कार्यरत रहे. उनका साहित्यिक योगदान व्यापक था.
ऐतिहासिक आयोजनों के सूत्रधार हिंदी के प्रचार-प्रसार में डॉ. बाजपेयी का योगदान ऐतिहासिक रहा. उन्होंने सन् 1974 और 1978 में मुंबई में पहले अखिल भारतीय लेखक सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया. इसके अलावा, उन्होंने 25 वर्षों तक लगातार आशीर्वाद फिल्म अवार्ड का आयोजन किया, जिसमें सिनेमा जगत की मशहूर हस्तियों ने शिरकत की. 1991 से शुरू किया गया उनका आशीर्वाद राजभाषा पुरस्कार एवं सम्मेलन आज भी राजभाषा हिंदी के संवर्धन के लिए जारी है.